आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर के सामने पोषण ट्रैकर एप बना मुसीबत, अधिकतर के पास नहीं है स्मार्टफोन

दलबीर सिंह : भूना
प्रदेश सरकार की लगभग सभी महत्वपूर्ण योजनाओं में अहम भूमिका निभाने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हेल्पर की दिनचर्या कोरोना काल में और भी जटिल हो गई है। लंबित मांगों की अनदेखी को लेकर भले ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हेल्परों में सरकार के प्रति रोष है लेकिन टीकाकरण अभियान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वह तमाम दिक्ततों के बावजूद अभियान में पूरे उत्साह के साथ जुटी हैं।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं हेल्पर अपनी उपेक्षा से आहत भी हैं और उचित सम्मान की मांग कर रही हैं। फतेहाबाद जिला में 1096 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 1079 के हेल्पर अपनी सेवाएं देे रही हैं। इनमें फतेहाबाद में 283 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 223 हेल्पर, टोहाना में 194 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 190 हेल्पर, रतिया में 247 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 247 हेल्पर, भूना में 152 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 152 हेल्पर, भट्टूकलां में 140 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 140 हेल्पर व जाखल में 80 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 77 हेल्पर कार्यरत हैं।
आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर यूनियन फतेहाबाद की जिलाध्यक्ष सुनीता झलनियां ने बताया कि सरकार ने आंगनबाडी वर्कर को पोषण ट्रैकर एप पर पूरा डाटा डालने के लिए हिदायत दी हुई है, लेकिन अधिकतर आंगनबाडी वर्कर एवं हेल्पर के पास स्मार्टफोन नहीं है तथा इनमें कई फोन चलाना ही नहीं जानती। इसके कारण पोषण ट्रैकर एप मुसीबत बनी हुई है। इस पर सरकार को मंथन करना चाहिए। सरकार को आंगनबाडी वर्कर एवं हेल्पर को नि:शुल्क स्मार्टफोन देने की सुविधा के साथ-साथ उसे रिचार्ज करने की व्यवस्था करनी चाहिए। उसके बाद एक सप्ताह की ट्रेनिंग भी देनी चाहिए, तभी एप प्रणाली प्रभावी ढंग से लागू हो सकेगी।
आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर यूनियन जाखल ब्लॉक अध्यक्ष अनीता रानी ने कहा कि सरकार की सभी महत्वपूर्ण योजनाओं में हम से ही काम लिया जा रहा है। कोरोना काल में जोखिम उठाकर भी हम टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण अभियान को आगे बढ़ा रही हैं, लेकिन सरकार केवल हमारा शोषण कर रही है। कोरोना काल में हमारी कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व हेल्पर महिला साथी संक्रमित हो गई थी, इसलिए सरकार आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर की लंबित मांगों को पूरा करें।
आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर यूनियन ब्लॉक फतेहाबाद अध्यक्ष दयावंती का कहना है कि गांव में घर-घर जाकर लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कोरोना टीकाकरण से कोई ना छूटे, इस बात को भी सुनिश्चित कर रही हैं। कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व हेल्पर के लिए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक उस घोषणा पर कोई अमल नहीं किया गया है। कोरोना संक्रमित आंगनबाड़ी एवं हेल्पर को एक लाख रुपये की सहायता देनी चाहिए। अगर किसी वर्कर एवं हेल्पर की संक्रमण से जान चली जाती है तो उसके बच्चों की परवरिश के लिए 20 लाख रुपये दिए जाने चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुवान निर्मल ने बताया कि टीकाकरण अभियान बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान है, इसलिए हम इससे पीछे नहीं हट सकते। हमारी जिम्मेदारी है और हम इसे पूरी तरह निभा रहे हैं। सरकार हमें उचित सम्मान तक देने को तैयार नहीं है। कोरोना टीकाकरण के साथ ही बच्चों के टीकाकरण अभियान भी चल रहे हैं। हमारी जिम्मेवारी बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार हमारे प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझ रही। कमला देवी आंगनबाडी कार्यकर्ता नहला ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व हेल्पर हर मोर्चे पर खड़ी हैं। घर-घर जाकर दवा बांटना, डाटा तैयार करना व लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए जागरूक करने से लेकर प्रत्येक काम हम पूरी मेहनत से कर रहे हैं। हमारा पूरा दिन फील्ड में ही गुजरता है, लेकिन सरकार हमारी पुरानी मांगों के प्रति अडि़यल रवैया अपनाए हुए हैं।
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