Power Crisis : बिजली कट से उद्योगों पर छाए संकट के बादल, बंद होने के कगार पर कई यूनिट

Power Crisis : बिजली कट से उद्योगों पर छाए संकट के बादल, बंद होने के कगार पर कई यूनिट
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घोषित कटों के अलावा अघोषित कटों ने भी उद्योग जगत की कमर तोड़ दी है। कई उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। डीजल से उत्पादन करने पर उन्हें प्रति यूनिट 20 रुपए का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है, जो काफी महंगा है।

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

प्रदेश में चल रहे बिजली संकट ने उद्योगपतियों की जान सांसत में लाने का काम कर दिया है। घोषित कटों के अलावा अघोषित कटों ने भी उद्योग जगत की कमर तोड़ दी है। कई उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। डीजल से उत्पादन करने पर उन्हें प्रति यूनिट 20 रुपए का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है, जो काफी महंगा है।

बिजली की कमी को देखते हुए उद्योगों की बिजली में भारी कटौती की जा रही है। रात 8 से सुबह 4:30 बजे तक उद्योगों पर पावर काट लागू है। इसके अलावा लोड बढ़ने की स्थिति में अघोषित कट भी लगाए जा रहे हैं। जिले में इस समय 500 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग चल रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या का सामना मध्यम और लघु उद्योग चलाने वाले लोगों को करना पड़ रहा है। डीजल महंगा होने के बाद उनके लिए जनरेटरों से उत्पादन करना काफी महंगा पड़ता है। इससे उत्पादन कोस्ट काफी बढ़ रही है। रेवाड़ी जिले का बावल और धारूहेड़ा ऐसे औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां कई बड़ी इंडस्ट्रीज चल रही हैं। इनकी सहायक इकाइयों की संख्या काफी अधिक है। बिजली की कमी के कारण इन उद्योगों के लिए उत्पादन का स्तर बरकरार रखना मुश्किल बन चुका है। मेटल इंडस्ट्रीज बिजली की कमी से दम तोड़ने के कगार पर पहुंच रही है।

साढ़े 3 गुणा महंगा पड़ता है डीजल से उत्पादन

उद्योगों को सरकार की ओर से 8 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मुहैया कराई जा रही है। उद्योगपति इसमें भी कम की मांग करते आ रहे हैं। इसके मुकाबले जनरेटरों से उत्पादन करने पर 28 रुपए प्रति यूनिट का खर्च आता है। करीब साढ़े 3 गुणा अधिक खर्च झेल पाना उद्योगपतियों के आसान नहीं है। गैस पाइप लाइनों की पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में अभी चंद इंडस्ट्रीज ही गैस जनरेटरों का इस्तेमाल शुरू कर पाई हैं। डीजल के मुकाबले गैस जनरेटरों का खर्च काफी कम होता है।

पर्यावरण के लिए खतरा हैं डीजल जनरेटर

डीजल से चलने वाले जनरेटर पर्यावरण के लिए खतरा साबित होते हैं। गत वर्ष सर्दी के मौसम में एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद एनजीटी और सरकार दोनों ने उद्योगपतियों को गैस आधारित जनरेटरों की व्यवस्था करने के सुझाव दिए थे। बाद में उद्योगतियों को इसी साल 30 सितंबर तक डीजल की जगह गैस आधारित जनरेटरों के इस्तेमाल संबंधित आदेश दिए थे। गैस पाइप लाइनों की पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में उद्योगपतियों के सामने जनरेटरों को रिप्लेस करने का भी संकट छाया हुआ है।

उद्योगपतियों का भारी नुकसान

कई उद्योग बिजली की भारी कमी के कारण बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। लंबे पावर कटों के कारण उद्योगपतियों का भारी नुकसान हो रहा है। चेंबर ऑफ कॉमर्स जल्द ही डीसी से मिलकर उद्योगपतियों को बिजली आपूर्ति में राहत देने की मांग करेगी। - एसएन शर्मा, अध्यक्ष, रेवाड़ी चेंबर ऑफ कॉमर्स।

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