प्रगतिशील किसान अब कहलाएंगे प्रकृतिशील किसान

करनाल के डॉ. मंगलसैन ऑडोटोरियम हॉल में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हर ब्लॉक में एक प्रदर्शन प्लांट अवश्य बनाया जाए ताकि उस खंड के किसान उसका आसानी से लाभ उठा सकें। ब्लॉक स्तर पर 50 से ज्यादा प्रगतिशील किसान प्रशिक्षित किये जाएं। इस प्रकार प्रदेश भर में ज्यादा से ज्यादा प्रगतिशील किसान तैयार किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान अब कहलाएंगे प्रकृतिशील किसान, क्योंकि प्राकृतिक खेती प्रकृति के नियमों के अनुसार की जानी है, जिससे हम अतीत में दूर हो गए थे। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सराहना की, जिन्होंने प्राकृतिक खेती का प्रारूप देश के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा है और गुरूकुल कुरूक्षेत्र में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान के लिए जमीन उपलब्ध करवाई है। अब तक 232 एटीएम, बीटीएम व किसानों ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया। अब ये लोग किसानों के पास जाकर योजनाओं के साथ प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए मैनपावर और बजट बढ़ाने की आवश्यकता हुई तो सरकार उसे पूरा करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि किसान अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे हैं और कृषि विभाग द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अब तक प्रदेश के 1253 किसानों ने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए पंजीकरण करवाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब 1960 के दशक में देश में खाद्यान्नों की कमी हो गई थी, इसके लिए हरित क्रांति का आह्वान किया गया, जिसके चलते अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग हुआ और देश में अनाज के उत्पादन की कमी नहीं रही। अब रासायनिक खादों के प्रयोग से खेत भी जहरीले हो गए हैं और खाद्यानों का उत्पादन भी जहरीला हो गया है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि न तो जहर बोएंगे और न ही जहर खांएगे।
कार्यक्रम के दौरान सीधे संवाद में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन प्लांट लगाने हेतु पोर्टल बनाया जाएगा। इस पोर्टल पर जमीन की पूरी जानकारी देने के साथ-साथ किसान स्वेच्छा से फसल विविधिकरण अपनाने बारे जानकारी देंगे। इसके अलावा वे दलहनी फसलें उगाने बारे भी जानकारी देगा। इस प्रकार विभाग के पास पूरी जानकारी होगी तो आसानी से मोनिटरिंग की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को 20-25 के छोटे-छोटे समूह में प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे अच्छी तरह से फसल उत्पादन बारे जानकारी ले सकें। प्राकृतिक खेती के उत्पादों की पैकिंग सीधे किसान के खेतों से ही हो, ऐसी योजना भी तैयार की जाएगी ताकि बाजार में ग्राहकों को इस बात की शंका न रहे कि यह प्राकृतिक खेती का उत्पाद है या नहीं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक उत्पादन की टेस्टिंग की जानकारी लेने के लिए बाजार में मंहगे उपकरण उपलब्ध हैं ।
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