गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली माताएं अभी ना लगवाएं वैक्सीन, जानें क्यों

गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली माताएं अभी ना लगवाएं वैक्सीन,  जानें क्यों
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कोविड-19 महामारी के दौरान गर्भवती महिलाओं में डर, चिंता और अनिश्चितता व्याप्त है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को बीमारी के डर एवं नकारात्मक सोच से भी बचना होगा। सतर्क रहने के साथ ही पौष्टिक एवं संतुलित आहार लेना चाहिए।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

कोरोना संक्रमण के दौर में गर्भवती महिलाओं में कोविड वैक्सीन लगवाने को लेकर दुविधा की स्थिति देखी जा रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से जारी गाइडलाइंस में बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण से किसी प्रकार का नुकसान नहीं है। वे भयमुक्त होकर टीका लगवा सकती हैं। हालांकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई हैहरिभूमि प्रतिनिधि रवींद्र राठी से विशेष बातचीत में झज्जर प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ समाज की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ज्योति मलिक ने भी गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं को अभी वैक्सीनेशन नहीं करवाने की सलाह दी है।

बता दें कि कोविड-19 महामारी के दौरान गर्भवती महिलाओं में डर, चिंता और अनिश्चितता व्याप्त है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को बीमारी के डर एवं नकारात्मक सोच से भी बचना होगा। सतर्क रहने के साथ ही पौष्टिक एवं संतुलित आहार लेना चाहिए। इंडियन सोसायटी फॉर प्रीनेटल डाइग्नोजिस एंड थैरेपिस्ट की सह सचिव डॉ. ज्योति मलिक स्वीकारती हैं कि गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने का खतरा अधिक है। इसीलिए उन्हें नियमित रूप से चिकित्सकीय परीक्षण करवाने की सलाह दी गई है। भावी माताओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं के मन में व्याप्त किसी प्रकार के संशय को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान से उन्हें दूरी बनाए रखनी है।

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति मलिक मानती हैं कि कोविड काल में अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं में संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। गर्भवती व फीडिंग मदर्स यानी स्तनपान कराने वाली मां को कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल में अभी तक शामिल नहीं किया गया है। इसीलिए अभी भारत सरकार ने गर्भवती व प्रसूता को टीकाकरण के बारे में कोई गाइड लाइन नहीं जारी की है। हालांकि इन स्थितियों में विदेशों में कोरोना से बचाव के दूसरे टीके लगाए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा संस्थाओं के अनुसार वैक्सीन सुरक्षित है। लेकिन भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का इस पर स्पष्ट रुख नहीं है।

डॉ. ज्योति के अनुसार महिलाओं में संक्रमण को लेकर डर का असर उनके प्रसव को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन अस्पताल में ही प्रसव कराया जाना सुरक्षित एवं सही विकल्प है। मासिक चक्र के दौरान हारमोन के प्रभाव से सामान्यत: महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। लेकिन इसमें प्रतिरोधक क्षमता कम नहीं होती है। ऐसे में टीकाकरण को लेकर किसी तरह का निषेध नहीं है। किसी भी उम्र की महिलाएं, किशोरियां या युवतियां माहवारी के किसी भी दिन कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन करा सकती हैं। टीकाकरण के बाद कुछ लोग दर्द, धबराहट, बेचैनी, बुखार, दस्त जैसी दिक्कतों की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है।

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