गर्भवती महिला को नागरिक अस्पताल में करवाया दाखिल, कर्मी ने दिखाया बच्चे की मौत का डर, पढ़ें आगे

गर्भवती महिला को नागरिक अस्पताल में करवाया दाखिल, कर्मी ने दिखाया बच्चे की मौत का डर, पढ़ें आगे
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पीडि़त का आरोप हैं कि उसे बच्चे की मौत का डर दिखाया गया। रोहतक (Rohtak) पीजीआई के लिए एंबुलेंस तक मुहैया नहीं करवाई गई। मजबूरन उसे पत्नी को लेकर निजी अस्पताल में जाना पड़ा। जहां पर उसे बिल 60 हजार के करीब चुकाना पड़ा।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत। नागरिक अस्पताल के प्रसूति विभाग में तैनात स्टाफ कर्मी पर गर्भवति (Pregnant) महिला के पति ने निजी अस्पताल में सांठ-गांठ का आरोप लगाया हैं। उक्त मामले में पीडि़त ने सीएमओ कार्यालय में शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई हैं।

पीडि़त का आरोप हैं कि उसे बच्चे की मौत का डर दिखाया गया। रोहतक पीजीआई के लिए एंबुलेंस तक मुहैया नहीं करवाई गई। मजबूरन उसे पत्नी को लेकर निजी अस्पताल में जाना पड़ा। जहां पर उसे बिल 60 हजार के करीब चुकाना पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते उसने कर्ज उठाकर अस्पताल का बिल भरा। पीडि़त ने शिकायत में आरोपित कर्मचारी पर विभागीय कार्यवाही की मांग की हैं।

यह था मामला

गांव बैंयापुर निवासी जितेंद्र ने बताया था कि वह अपनी पत्नी रिंकी को लेकर गत 11 अक्टूबर नागरिक अस्पताल (Civil hospital) में पहुंचा। घर से अस्पताल लाने के लिए आशा वर्कर व उसने खुद कई बार एंबुलेंस कंट्रोल रूम में कॉल की, लेकिन कॉल बिजी व रिसीव नहीं की गई थी। उसने ऑटो का इंतजाम किया। उसके बाद पत्नी को लेकर अस्पताल में पहुंचा। उसकी पत्नी को प्रसूति विभाग में भर्ती कर लिया।

दो दिन भर्ती रहने के बाद 13 अक्टूबर को महिला स्वास्थ्य कर्मी ने उसकी पत्नी की हालत गंभीर बताकर रोहतक रेफर करने की बात कहने लगी। जितेंद्र ने बताया कि वह खुद 50 प्रतिशत विकलांग हैं। एंबुलेंस समय पर न मिलने पर स्वास्थ्य कर्मी ने उसे निजी अस्पताल में रिंकी को लेकर जाने की सलाह दी। उसने रोहतक पीजीआई के लिए एंबुलेंस देने के लिए कहा, स्वास्थ्य कर्मी ने रोहतक तक जाने में बच्चे की मौत होने की बात कही।

मजबूरन वह उसे लेकर निजी अस्पताल में पहुंचा। जहां उसकी पत्नी ने लड़के को जन्म दिया। कई दिनों तक निजी अस्पताल में रखने व उपचार का बिल करीब 60 हजार रुपये का बना। जिसमें आप्रेशन का 45 हजार रुपये व दवाइयों का खर्च करीब 20 हजार रुपये तक का हैं। जिसे चुकाने के लिए उसने कर्ज उठाना पड़ा। पीडि़त ने बताया कि वह खुर्द 50 प्रतिशत विकलांग हैं। पीडि़त ने सीएमओ को शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई हैं।

अस्पताल परिसर से निजी अस्पताल का एंबुलेंस बिल 300 रुपये

पीडि़त ने बताया कि अस्पताल के प्रसूति विभाग में तैनात स्वास्थ्य कर्मी ने उसे गर्भ में बच्चे की मौत का डर दिखाया। जल्द से जल्द निजी अस्पताल में लेकर जाने की बात कही। उसे समय पर एंबुलेंस नहीं मिली। प्रसूति विभाग के बाहर से अस्पताल के मुख्य गेट के सामने स्थित निजी अस्पताल तक पत्नी को लेकर जाने के लिए उसे 300 रुपये निजी एंबुलेंस का पेय करने पड़े। जोकि रास्ता महज 100 मीटर का ही होगा।

खुर्द कर्ज तले दबा, पत्नी शारीरिक कष्ट भुगत रही

जितेंद्र ने सीएमओ को शिकायत देकर बताया कि उसे समय पर एंबुलेंस नहीं मिली। दो दिन तक चिकित्सक ने सरकारी अस्पताल में भर्ती किए रखा। अगर उसे समय पर जानकारी दी जाती तो वह पत्नी को रोहतक पीजीआई में लेकर जाता। उसे डर दिखाया गया। स्टाफ की लापरवाही से वह खुर्द कर्ज के तले दब गया। वहीं उसकी पत्नी को शारीरिक पीड़ा उठानी पड़ रही हैं।

वर्जन

मामला संज्ञान में आ चुका हैं। जांच के लिए अधिकारियों की डयूटी लगाई हैं। स्टाफ कर्मी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा जायेगा। लापरवाही किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगी। - डा. जसवंत सिंह पूनिया, सीएमओ, नागरिक अस्पताल।


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