नेशनल हेल्थ मिशन और हरियाणा सेहत विभाग की तैयारी, एनीमिया से मुक्ति के लिए बनाई रणनीति

नेशनल हेल्थ मिशन और हरियाणा सेहत विभाग की तैयारी, एनीमिया से मुक्ति के लिए बनाई रणनीति
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प्रदेश में खून की कमी वाले मरीजों में सबसे ज्यादा महिलाएं, किशोर, किशोरियां प्रभावित हैं। विशेषज्ञ इसके कईं सारे कारण बताते हैं। आंकड़ों पर गौर करें, तो पचास फीसदी महिलाओं में रक्त की कमी है।

योगेंद्र शर्मा : चंडीगढ़

हरियाणा में नेशनल हेल्थ मिशन और सेहत विभाग मिलकर एनीमिया मुक्ति का विशेष अभियान छेड़ने जा रहे हैं। जिसके लिए खास होमवर्क कर लिया गया है ताकि जमीनी हकीकत में इस मुहिम को सिरे चढ़ाया जा सके। वैसे, कुछ वक्त पहले एनएचएम और सेहत विभाग मिलकर जन-जागरण अभियान चला चुके है। जिसमें चार लाख के करीब की जांच और दवा देने के साथ ही उन्हें आने वाले समय के लिए जागरूक किया गया है।

यहां पर बता दें कि प्रदेश में खून की कमी वाले मरीजों में सबसे ज्यादा महिलाएं, किशोर, किशोरियां प्रभावित हैं। विशेषज्ञ इसके कईं सारे कारण बताते हैं। आंकड़ों पर गौर करें, तो पचास फीसदी महिलाओं में रक्त की कमी है। इतना ही नहीं रक्त की कमी के मामले में हरियाणा अच्छा खासा खुशहाल प्रदेश होने के बावजूद नेशनल रैंकिंग में पिछड़ रहा है। इन सभी बिंदुओं पर विचार मंथन के बाद एनएचएम के एमडी प्रभुजोत सिंह ने इसके लिए युद्ध स्तर पर मुहिम चलाने का निर्देश दिया है, साथ ही यह जमीनी हकीकत में सफल रहे इसके इंतजाम भी करने को कहा है। एमडी का कहना है कि वे किसी भी तरह की आंकड़ेबाजी नहीं बल्कि कामकाज ठीक तरह से करने के हक में हैं।

दूसरी तरफ एनीमिया मुक्ति की मुहिम को लेकर खुद सेहत मंत्री अनिल विज एक पुस्तक का विमोचन कर चुके हैं। इस पुस्तक को बेहत आकर्षक ढंग से तैयार कराया गया है, ताकि स्कूलों, आंगनवाडी केंद्रों व अन्न स्थानों पर खेल खेल में बच्चों को अहम जानकारी मिल सकें, इसके लक्षण, खानपान में सुधार के साथ ही कईं अहम जानकारी भी दी गई हैं। खासतौर पर किशोर, किशोरियों को इसमें उनकी जिज्ञासा वाले सारे प्रश्नों के उत्तर खुद-ब खुद मिल जाएंगे। जागरण अभियान को बेहद सघन तरीके से जमीनी हकीकत बदलने के लिए रणनीति तैयार हो चुकी है, कुछ समय के बाद में इसे निचले स्तर से ब्लाक, जिला सभी में एक साथ चलाने की तैयारी है।

इस तरह से प्रदेश के अंदर आने वाले कुछ दिनों में नेशनल हेल्थ मिशन और हरियाणा का सेहत विभाग युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ने जा रहा है। इस अभियान के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों से लेकर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के साथ-साथ सीएचसी पीएचसी डिस्पेंसरी से लेकर जिला अस्पताल तक में मुहिम चलेगी। हरिययाणा को देश के अंदर एनीमिया मुक्ति मामले में सम्मानजनक स्थिति दिलाने के लिए गत दो माह पहले भी राज्य के स्वास्थ्य एवं नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से 4 लाख बच्चों महिलाओं का टेस्ट कराने के बाद उनको दवा आदि का वितरण किया गया था।

वैसे, नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे में हरियाणा फिलहाल अच्छी नहीं है। जिसको लेकर खुद सेहत मंत्री और एमडी चिंतित हैं, साथ ही वे इस फील्ड में ज्यादा मेहनत के साथ ही रिजल्ट भी चाहते हैं। विभाग एनीमिया मुक्ति अभियान के तहत इससे प्रभावित लोगों कोंं छह श्रेणियों में बांटकर काम करता है। इस क्रम में नेशनल हेल्थ मिशन के आला अफसरों ने एक विशेष बुक तैयार कराई है। जैसे छोटे बच्चे महिलाएं किशोरियों को तमाम तरह के प्रश्नों के उत्तर इसके अंदर मिल जाएंगे इतना ही नहीं मिशन की ओर से इसकी सॉफ्ट कॉपी भी तैयार की गई है ताकि इंटरनेट और कंप्यूटर फ्रेंडली बच्चे इसको डिजिटल रूप में खोल कर पढ़ सके।

खुशहाल प्रदेश होने के बावजूद 50 फ़ीसदी महिलाएं एनीमिक

देश में विशेष स्थान रखने वाले हरियाणा की जीडीपी भले ही बेहतर हो उसके बावजूद एनीमिया के मामले में प्रदेश की झोली में कोई खास उपलब्धि नहीं है।

कौन सी या छह श्रेणियां

हरियाणा का सेहत विभाग और नेशनल हेल्थ मिशन ने जिन छह श्रेणियों में एनीमिक मरीजों को बांटा है,, उसमें 5 साल तक के बच्चे इसके बाद 5 से 9 श्रेणी और 2 साल से 19 साल की श्रेणी बनाई है। गर्भवती महिलाएं, बच्चों को स्तनपान कराने वालीमहिलाएं और कम उम्र की किशोरी को शामिल किया गया है। खास बात यह है कि 60 फ़ीसदी किशोरियों और 30 फीसदी किशोर प्रदेश के अंदर एनीमिक पाए गए हैं।। तममा पहलुओं को देखते हुए प्रदेश के अंदर सेहत और एनएचएम इस मुहिम को व्यापक स्तर पर छेड़ने जा रहा है।

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