HAU के दीक्षांत समारोह में President द्रौपदी मुर्मू बोलीं : बेटियां हर क्षेत्र में बढ़ रही आगे, डिग्री हासिल करने वाले में भी आधे से अधिक बेटियां

- कृषि के समक्ष कई चुनौतियां, जिनका समाधान खोजना कृषि पेशेवरों का दायित्व
- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षांत समारोह में पहुंची राष्ट्रपति, विद्यार्थियों को प्रदान की डिग्रियां
- हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य
Hisar : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या (Population), सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता, जलवायु परिवर्तन (Climate Change ) जैसी अनेक चिंताएं हैं, जिनका समाधान खोजना कृषि पेशेवरों, वैज्ञानिकों का दायित्व है। आज ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को पर्यावरण और जैव-विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। राष्ट्रपति ने सोमवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची और विद्यार्थियों को डिग्रियां व गोल्ड मेडल प्रदान किए।
डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में आधे से अधिक बेटियों की संख्या से गौरवान्वित हुई राष्ट्रपति ने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 70 प्रतिशत से अधिक छात्राएं हैं। यह संतोष और गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां कृषि एवं संबंद्ध विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह दीक्षांत समारोह
(Convocation ) कनवोकेशन केवल डिग्री, पुरस्कार या पदक प्रदान करने का ही अवसर नहीं है, बल्कि अर्जित क्षमताओं के माध्यम से चुनौतियों को स्वीकार करना तथा अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का अवसर है। आज का दिन विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन आज शिक्षा संपूर्ण नहीं हुई है, केवल एक हिस्सा पूरा हुआ है। कृषि विज्ञान के विद्यार्थी के रूप में आप सभी ने जो भी सीखा है, उसका व्यावहारिक रूप से उपयोग करने का अवसर जीवन में आएगा। अब आप अन्नदाता किसान के साथ मिलकर कृषि के विकास में अपना योगदान देंगे और कृषि जगत की सेवा करते रहेंगे।
उन्होंने विद्यार्थियों को कहा कि आपको अपने ज्ञान और क्षमताओं के विस्तार के लिए दुनिया भर के नवीनतम नवाचारों से अवगत रहना होगा। आपका यह प्रयास देश को वैभवशाली राष्ट्र बनाने में सार्थक होगा। बड़ी जनसंख्या के बावजूद, आज भारत खाद्यान्न संकटग्रस्त देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इसमें हमारे नीति-निर्माताओं, कृषि-वैज्ञानिकों और किसान भाइयों-बहनों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की किसान-हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तकनीकी पहल और सबसे बढ़कर यहां के किसानों की नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की इच्छा-शक्ति को जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां के मेहनती निवासियों की कुशाग्रता और सामर्थ्य के बल पर हरियाणा का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।
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उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अपने स्थापना के समय से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की सफलता में भी इस विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अब तक फसलों की कई किस्मों का विकास किया है। यहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 18000 क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होता है। आज जब पूरा विश्व एक-दुसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह विश्वविद्यालय कई देशों की संस्थाओं के साथ कृषि से जुड़े विषयों पर सहयोग कर रहा है।
जल का मितव्ययता के साथ उपयोग किया जाना समय की मांग
राष्ट्रपति ने कहा कि खेती की लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, उसे पर्यावरण अनुकूल बनाने तथा उसको और अधिक लाभकारी बनाने में तकनीक की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि पानी कृषि का एक अहम घटक है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि जल का मितव्ययता के साथ उपयोग किया जाए। सिंचाई में तकनीक का अधिकतम प्रयोग होना चाहिए जिससे जल-संसाधन का दोहन न्यूनतम हो सके। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रतिवर्ष पंजाब, हरियाणा और दिल्ली क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। हमें प्रदूषण की समस्या का समाधान न सिर्फ अपने स्वास्थ्य के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए भी ढूँढना है।
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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में पांचवें रैंक पर - राज्यपाल
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में पांचवें रैंक पर आता है। पिछले कुछ समय में ही चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने समय की मांग के अनुसार कार्य करते हुए मेन कैम्पस में मत्स्य विज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी के दो नए कॉलेजों की स्थापना की है। विश्वविद्यालय ने गुरूग्राम में कृषि उद्यमिता एवं व्यापार प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की है। इसी तरह से प्राकृतिक एवं जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने दीन दयाल उपाध्याय उत्कृष्टता केन्द्र के नाम से 123 एकड़ में जैविक कृषि फार्म की स्थापना की है। गेहूं और चावल के अतिरिक्त अन्य मोटे अनाजों के अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय द्वारा पोषक अनाज अनुसंधान केन्द्र को भिवानी के गोकुलपुरा में स्थापित किया गया है। जल संरक्षण नीति के तहत विश्वविद्यालय ने चावल की खेती में पानी को बचाने के लिए प्रत्यक्ष प्रत्यारोपण तकनीक का विकास किया है।
युवा वैज्ञानिक अपनी उपलब्धियों से कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा का नाम देश-विदेश में करेंगे रोशन- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि युवा वैज्ञानिक अपनी उपलब्धियों से कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा का नाम देश-विदेश में रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थ आईए सेवार्थ जाइये वाली कहावत को चरितार्थ करने के लिए विद्यार्थियों को शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को समाज सेवा में लगाकर बेहतर प्रमाण देंगे। किसानों के लिए फसल विविधिकरण के साथ-साथ डेयरी, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, वृक्षारोपण, बायोगैस, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक कीटनाशक व जल संरक्षण पद्धतियों को भी बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। इस विश्वविद्यालय ने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में देश-विदेश में बड़ा नाम कमाया है। यही नहीं, हरियाणा प्रदेश आज जिस समृद्धि और खुशहाली के मुकाम पर पहुंचा है, उसमें इस विश्वविद्यालय का उल्लेखनीय योगदान है।
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