खुद को जीवित साबित करने के लिए छह माह से चक्कर काट रहा पुजारी, सामने देख भी अधिकारी जिंदा मानने को तैयार नहीं

खुद को जीवित साबित करने के लिए छह माह से चक्कर काट रहा पुजारी, सामने देख भी अधिकारी जिंदा मानने को तैयार नहीं
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शिव शंकर शुक्ला सात माह पहले अपने पिता व माता का मृत्यु पंजीकरण करवाने के लिए नगरपालिका कार्यालय पहुंचे। महम नगरपालिका कर्मचारियों ने उसके पिता के स्थान पर उसका आधार कार्ड चढ़ा दिया। उसके बाद फैमिली आईडी में उसे मृत दिखाया जाने लगा।

हरिभूमि न्यूज : महम

अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए जिवित व्यक्ति को ही एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है। सामने खड़े होने पर भी अधिकारियों को उसे जिंदा समझना उचित नहीं लगता। यह सच है कि एक व्यक्ति को नगरपालिका रिकॉर्ड में गलती से मृत दिखाने के बाद वह व्यक्ति 6 माह से अपने आप को जिंदा साबित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसका प्रयास विफल साबित हो रहा है। यह जानकर मनसा देवी मंदिर के पुजारी शिव शंकर शुक्ला को हैरानी तब हुई जब उसको पता चला कि वह नगरपालिका के रिकॉर्ड में मृत दिखाया जा चुका है। अब वह सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने के लिए मजबूर है। शिवशंकर शुक्ला ने बताया कि थक हार कर अब उसने इसकी शिकायत सीएम विंडो पर की है।

यूं दिखा दिया मरा हुआ

शिव शंकर शुक्ला सात माह पहले अपने पिता व माता का मृत्यु पंजीकरण करवाने के लिए नगरपालिका कार्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके पिता की मृत्यु आज से 19 साल पहले हो चुकी थी। महम नगरपालिका कर्मचारियों ने उसके पिता के स्थान पर उसका आधार कार्ड चढ़ा दिया। उसके बाद उसकी फैमिली आईडी में उसे मृत दिखाया जाने लगा।

फैमिली आईडी बनी मुसीबत

सरकार द्वारा जनता की सुविधा के लिए बनाई गई फैमिली आईडी काफी लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। फैमिली आईडी में हुई गलती सुधारने के लिए किस कार्यालय में जाकर अपना दुखड़ा सुनाए। यह कोई बताने के लिए तैयार नहीं है। पुजारी ने कहा कि डीसी ऑफिस सबका कंट्रोल रूम होने के बाद भी उसे यह नहीं बताया गया कि वह जाए तो जाए कहां।

ऐसे आ रही समस्या

पुजारी ने बताया कि बच्चों के दाखिले दिलाने के लिए सबंधित कागजात जमा करवाते वक्त उनके फैमिली आईडी में उसे मृत दिखाए जाने के कारण दस्तावेज पूरे नहीं होने के कारण वे भारी परेशानी से गुजर रहे हैं। उनके बच्चों के भविष्य पर तलवार लटक गई है।

चक्कर लगाकर थक चुका है पुजारी

पुजारी ने बताया कि उसको फैमिली आईडी में मृत दिखाए जाने के बाद से ही वह सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर थक चुका है। हालांकि नगरपालिका द्वारा गलती सुधार ली गई है। लेकिन फैमिली आईडी में मृत व्यक्ति को जिंदा कराना आसान काम नहीं है। उन्होंने बताया कि वे डीसी व एडीसी कार्यालय तक गुहार लगा चुके हैं। लेकिन किसी ने उनको संतोष जनक उत्तर नहीं दिया। परेशान होकर उसनने 7 जून को सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिल सका है।

फैमिली आईडी में सुधार करना एडीसी के अधिकार क्षेत्र में

नगरपालिका कार्यालय द्वारा अपनी गलती सुधार ली गई है। फैमिली आईडी में सुधार करना एडीसी कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में है। - नगरपालिका सचिव नरेंद्र सैनी

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