छात्र प्रिंस हत्याकांड : हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची CBI, जानें पूरा मामला

छात्र प्रिंस हत्याकांड : हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची CBI, जानें पूरा मामला
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सीबीआइ ने 19 फरवरी, 2021 के आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें हरियाणा पुलिस कर्मियों पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई द्वारा मांगी गई अभियोजन की मंजूरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हरियाणा ने अस्वीकार कर दिया था।

गुरूग्राम के प्रिंस हत्याकांड में कंडक्टर को फंसाने के आरोपित चार पुलिसकर्मियों पर केस चलाने की अनुमति न देने के हरियाणा सरकार के फैसले को सीबीआइ ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सीबीआइ की याचिका पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार व डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है। अपनी याचिका में सीबीआइ ने 19 फरवरी, 2021 के आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें हरियाणा पुलिस कर्मियों पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई द्वारा मांगी गई अभियोजन की मंजूरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हरियाणा ने अस्वीकार कर दिया था। सीबीआइ द्वारा दलील दी गई कि मुख्य मामले में सीबीआई द्वारा एकत्र और दायर की गई जांच वर्तमान मामले से जुड़ी हुई है और जांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी साबित करती है।

याचिका के अनुसार इस मामले में सीबीआइ ने चार पुलिस अधिकारियों तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआई सुभाष चंद्र के खिलाफ पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में चालान पेश कर दिया है। चारों को सीबीआइ ने अपनी ओर से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी माना है। लेकिन हरियाणा सरकार ने सीबीआइ को इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति नहीं दी।

बता दें कि आठ सितंबर 2017 को सोहना रोड स्थित एक नामी विद्यालय के बाथरूम में छात्र प्रिंस की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। आरोपित के रूप में विद्यालय का एक छात्र भोलू हिरासत में है। आरोपित के रूप में भोलू की पहचान सीबीआइ ने की थी। सीबीआइ से पहले गुरुग्राम पुलिस ने अपने स्तर पर जांच करते हुए स्कूल के एक बस सहायक को आरोपित बना दिया था लेकिन सीबीआइ जांच शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर यह साफ हो गया था कि आरोपित बस सहायक नहीं बल्कि स्कूल का ही छात्र भोलू है। पुलिस ने इस मामले में स्कूल के ही बस कंडक्टर अशोक को आरोपित मानकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। प्रदेश सरकार ने जब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी तो स्कूल के कक्षा 11वीं के छात्र भोलू को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया था और कंडक्टर अशोक को क्लीन चिट दे दी थी।

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