सेंटिंग का बिगड़ा खेल : सरकारी हॉस्पिटल से अब रेफर करने की डिटेल सीएमओ को देनी होगी, अस्पताल परिसर में नहीं खड़ी होगी निजी एंबुलेंस

सेंटिंग का बिगड़ा खेल :  सरकारी हॉस्पिटल से अब रेफर करने की डिटेल सीएमओ को देनी होगी, अस्पताल परिसर में नहीं खड़ी होगी निजी एंबुलेंस
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निजी अस्पताल से सेंटिंग का खेल अंदरूनी तौर पर सरकारी अस्पताल में चल रहा है। यहां से रेफर करके निजी अस्पतालों में मरीजों को भेजा जाता है। यह काम इतना गुपचुप होता है कि मरीज या उसके अभिभावक भी सम­झ नहीं पाते। अक्सर सुनने में भी आता है कि सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है।

सतीश सैनी : नारनौल

स्वास्थ्य विभाग की अंदरूनी बिगड़ी व्यवस्था को सुधरने की गुंजाइश नजर आने लगी है। हाल ही में डिप्टी सीएमओ से सीएमओ का चार्ज संभालने वाले डा. धर्मेश सैनी फुल फार्म में है। उनका साफ कहना है कि जच्चा-बच्चा वार्ड, एसएनसीयू व इमरजेंसी शाखा में चिकित्सा सुविधा प्राथमिकता रहेगी। इन वार्ड/शाखा से जुड़े चिकित्सक स्टाफ की बैठक लेकर हर पहलु पर बातचीत कर सभी की ड्यूटी तय की गई है। यहां कोताही बरतने वाले स्टाफ पर विभागीय कार्रवाई तुरंत अमल में लाई जाएगी।

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग मरीजों के उपचार के लिए मोटा बजट जारी हर साल अलग-अलग फंड में करता है। इसके बावजूद सरकारी तंत्र का बहाना कर कुछ चिकित्सक व स्टाफ मनमर्जी करते है। किसी को किसी राजनेता का आशीर्वाद है तो कोई उच्च अधिकारी से अच्छा संपर्क होने की दुहाई देकर नौकरी कर रहा है। यहीं कारण है कि सरकार की ओर से जारी सुविधा आमजन तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती। इससे मरीज मजबूरन निजी अस्पताल में मोटा पैसा देकर इलाज करवाने को मजबूर हो रहे है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डिप्टी सीएमओ से सीएमओ का चार्ज संभालने वाले डा. धर्मेश सैनी ने स्वास्थ्य सुविधा ओर बेहतर बनाने के लिए प्लान तैयार किया है। उनकी प्राथमिकता जच्चा-बच्चा वार्ड, एसएनसीयू व इमरजेंसी शाखा रहेगी। हरिभूमि से बातचीत करते हुए सीएमओ डा. धर्मेश सैनी ने बताया कि इन तीनों ही श्रेणी पर उनका पूरा फोकस रहेगा ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। इस पर वर्कआउट शुरू कर दिया है। परिणाम आने में कुछ समय जरूर लगेगा।

निजी अस्पताल से सेंटिंग का खेल अंदरूनी तौर पर सरकारी अस्पताल में चल रहा है। यहां से रेफर करके निजी अस्पतालों में मरीजों को भेजा जाता है। यह काम इतना गुपचुप होता है कि मरीज या उसके अभिभावक भी सम­झ नहीं पाते। अक्सर सुनने में भी आता है कि सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। इसी बात पर ध्यान रखते हुए सीएमओ ने आदेश जारी किए है कि जिला में किसी भी सरकारी अस्पताल से मरीज चिकित्सक रेफर करता है तो उसका पूरा विवरण रोजाना टेबल पर हो ताकि संबंधित मरीज या उनके अभिभावकों से फिडबेक लिया जा सके और पारदर्शिता के तौर पर इस रेफर लिस्ट को उच्च अधिकारियों के पास भेजी जा सके।

सरकारी अस्पताल के अंदर नहीं खड़ी होगी प्राइवेट एंबुलेंस

महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी, अटेली, कनीना का अस्पताल हो या फिर नारनौल का सरकारी नागरिक अस्पताल हो। अक्सर अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस गाड़ी खड़ी रहती थी। अस्पताल स्टाफ इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से सेंटिंग कर मरीजों को इन गाडि़यों से रेफर करते रहे है। इस पर लगाम लगाते हुए सीएमओ ने अस्पताल परिसर के अंदर प्राइवेट एंबुलेंस गाड़ी किसी भी सूरत में खड़ी नहीं होने के आदेश जारी किए है। सीएमओ का मानना है कि हमारे पास काफी एंबुलेंस गाड़ी है। फिर प्राइवेट एंबुलेंस गाड़ी का इस्तेमाल कर मरीजों पर अतिरिक्त भार क्यूं डाला जाए। एंबुलेंस कंट्रोल इंचार्ज सहित सरकारी एंबुलेंस चालकों को हिदायत दी है कि प्राइवेट की बजाय मरीजों को सरकारी एंबुलेंस गाड़ी ही मिले। इसमें कोताही या सबूत के साथ कोई शिकायत मिलती है तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इस आदेश के बाद नागरिक अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड की तरफ सरकारी एंबुलेंस गाड़ी लाइन लगाकर खड़ी दिखाई देने लगी है।

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