Private स्कूल संचालक संगठन का दावा : स्थाई मान्यता के लिए बनाई गई समीक्षा नीति से बढ़ेगा भ्रस्टाचार

Private स्कूल संचालक संगठन का दावा : स्थाई मान्यता के लिए बनाई गई समीक्षा नीति से बढ़ेगा भ्रस्टाचार
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  • शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से मिल कर निजी स्कूल संचालक जताएंगे विरोध
  • फेडरेशन का कहना, प्रदेश का कोई निजी स्कूल संचालक रिन्यू का नहीं भरेगा फार्म

Haryana : शिक्षा विभाग से जारी पत्र से प्रदेश के हजारों निजी स्कूल (Private Schools) संचालक परेशान हो गए हैं। स्थाई मान्यता के लिए सरकार की बनाई समीक्षा नीति के विरोध में निजी स्कूल संचालक लामबंद हो गए हैं। इस फैसले से भ्रस्टाचार तेजी से बढ़ेगा। यह बात फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेल्फेयर एसोसिएशन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार भ्रस्टाचार के खिलाफ काम करने की बात करती है। हालात यह हो गए हैं कि स्थाई मान्यता के लिए बनाई गई समीक्षा नीति से भ्रस्टाचार तेजी से बढ़ेगा। सरकार ने जिन स्कूलों को एक बार मान्यता प्रदान कर दी है, उन स्कूलों की बार-बार समीक्षा कराने की आवश्यकता क्या है। जब मान्यता दी गई थी, तब सारे नियमों के अनुसार ही दी गई थी। इसके अलावा निजी स्कूल्स हर साल फार्म-6 भरते हैं, जिसमें स्कूल संबंधी तमाम जानकारी दर्ज होती है। ऐसे में सरकार नए नियम को लागू करना चाहती है। सरकार चाहे तो 10 साल स्थायी मान्यता वाले स्कूलों से एक हलफनामा ले सकती है कि स्कूल चल रहा है या नहीं, साथ ही अन्य जानकारी ले सकती है। रिन्यू कराने के चक्कर में स्कूल संचालकों को सरकारी आफिसों के धक्के खाने पड़ेंगे। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि निजी स्कूल संचालकों को लाल फीताशाही के दौर से गुजारा जा रहा है।

नियम को बदला जाना चाहिए

डॉ. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि भाजपा जीरो टाेलरेंस नीति पर चल रही है। ऐसे में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले इस नियम को ही बदल दिया जाना चाहिए। सरकार ने मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा दिया है। ऐसे में इस दमनकारी नियम का औचित्य क्या है? क्या सरकार सरकारी स्कूलों की जांच करती है? क्या प्रदेश के सभी सरकारी स्कूल नॉर्म्स को पूरा करते हुए चल रहें? आज के यह ज्वलंत सवाल है। ऐसे में जांच और नियमों की तलवार सिर्फ निजी स्कूलों पर ही क्यों लटकी हुई है। हरियाणा के शिक्षा विभाग ने करीब दस दिन पहले एक पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया कि जो निजी स्कूल 10 साल के हो गए हैं, उन्हें अपनी मान्यता का रिव्यू करवाना होगा।

शिक्षा मंत्री से मिल जताएंगे विरोध

उन्होंने कहा कि फेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स वेल्फेयर एसोसिएशन और अन्य यूनियनों के पदाधिकारियों समेत निजी स्कूल्स संचालक शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से चंडीगढ़ में उनके आवास में मिलेंगे और मान्यता मुद्दें की पेचीदगी से संबंधित बातें उनके समक्ष रखेंगे। वह सीधे तौर पर शिक्षा मंत्री से कहेंगे कि वह इस पत्र को वापस लेकर निजी स्कूलों को राहत प्रदान करें। हमें उम्मीद है कि सरकारी हमारी जायज मांग को मानेगी और हमे राहत प्रदान करेगी।

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