ऑफलाइन परीक्षाओं में विद्यार्थियों को आ रही परेशानी, निर्धारित समय में नहीं हल कर पा रहे प्रश्न

ऑफलाइन परीक्षाओं में विद्यार्थियों को आ रही परेशानी, निर्धारित समय में नहीं हल कर पा रहे प्रश्न
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लगातार दो वर्षो तक मोबाइल के प्रयोग से विद्यार्थियों की मानसिकता पर भी असर पड़ा है और विद्यार्थी ऑफलाइन परीक्षा के दौरान याद किया हुआ पाठयक्रम भूल भी रहे है। जिसके चलते अभिभावकों के साथ-साथ अध्यापकों की चिंता को भी बढ़ा दिया है।

तपस्वी शर्मा : झज्जर

सरकारी व निजी स्कूलों (Government and private schools) में प्री-बोर्ड परीक्षाएं (Pre-Board Exams) हो रही है। कोविड के चलते पिछले करीब दो वर्षो से विद्यार्थी नियमित तौर से स्कूल नहीं जा पाए है। ऐसे में उनकी लिखने की क्षमता प्रभावित हुई है। जिसका असर प्री-बोर्ड परीक्षाओं में भी देखने को मिल रहा है।

दो वर्षो की ऑनलाइन परीक्षाओं के बाद अब ऑफलाइन परीक्षा होने से जहां विद्यार्थी लगातार तीन घंटे तक परीक्षा में नहीं बैठ पा रहे है, वहीं निर्धारित समय में प्रश्न हल करने में भी दिक्कत आ रही है। लगातार दो वर्षो तक मोबाइल के प्रयोग से विद्यार्थियों की मानसिकता पर भी असर पड़ा है और विद्यार्थी ऑफलाइन परीक्षा के दौरान याद किया हुआ पाठयक्रम भूल भी रहे है। जिसके चलते अभिभावकों के साथ-साथ अध्यापकों की चिंता को भी बढ़ा दिया है।

ऑनलाइन परीक्षाओं में कमजोर विद्यार्थी रहे अव्वल

नाम न छापने की शर्त पर एक अभिभावक ने बताया कि उनका बेटा कक्षा नौवीं में एक निजी स्कूल में पढ़ता है। बीते दिनों ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन हुआ। जिसका परिणाम देखकर स्कूल प्रबंधन और अध्यापक भी हैरान रह गए। कारण यह रहा कि कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों ने सभी प्रश्न हल किए जबकि होशियार विद्यार्थी उम्मीद पर खरा नहीं उतरे। जिसका बाद में मंथन किया गया तो पाया कि विद्यार्थियों का एक ग्रुप अपने साथियों की मदद के लिए प्रश्नपत्र हल कर उनके पास व्हाटसएप पर भेजता रहा। जिसके चलते स्कूल प्रबंधन ने दोबारा से सभी विद्यार्थियों की ऑफलाइन परीक्षा ली और परिणाम बाद में बिल्कुल उलट रहा।

विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भरने का किया जा रहा प्रयास

संस्कारम पब्लिक स्कूल खातीवास के प्राचार्य किशोर तिवारी ने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा का असर ऑफलाइन परीक्षा पर पड़ा है। इसको नकारा नहीं जा सकता। कोरोना काल के दौरान आयोजित परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों को बढ़ावा मिला है। जिससे विद्यार्थियों की लिखने की क्षमता प्रभावित हुई है। विद्यार्थी जहां निर्धारित समय में प्रश्न पत्र हल नहीं कर पा रहे है, वहीं उनकी मानसिकता पर भी असर पड़ा है। सब्जेक्टिव सवालों के उत्तर लिखने में उन्हें समय लग रहा है। विद्यार्थियों में फिर से आत्मविश्वास भरने का प्रयास किया जा रहा है।

पेपर की समयावधि बढ़ाए या प्रश्नों की संख्या की जाए कम

शिक्षाविद नविंदर कुमार ने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा होने की वजह से विद्यार्थियों की लिखने की आदत छूट गई है। जिसके चलते विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। इसके समाधान के लिए पेपर की समयावधि बढ़ाई जाए या फिर प्रश्नों की संख्या कम की जाए। लेकिन भविष्य डिजिटलाइजेशन का है। हाईब्रिड लर्निंग का मॉडल अपना लेना चाहिए। नियमित स्कूल नहीं लगने के कारण विद्यार्थी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता खो चुके है। परीक्षाओं के लिए लिखना और याद करना दोनों का अभ्यास जरूरी है।

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