प्राकृतिक खेती को लेकर 15 व 16 को कुरुक्षेत्र गुरुकुल में कार्यक्रम, हरियाणा और गुजरात के सीएम करेंगे शिरकत

चंडीगढ़। गुजरात के राज्यपाल आचार्य डॉ. देवव्रत ने कहा कि देश के किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने के लक्ष्य को लेकर केंद्र और राज्य सरकार योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम कर रही है। किसानों का प्राकृतिक खेती की ओर रूझान बढ़ाना समय की जरूरत है। इससे किसानों की लागत कम होगी और किसानों की आय प्रथम वर्ष से ही बढ़नी शुरू हो जाएगी।राज्यपाल आचार्य डॉ. देवव्रत मंगलवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर गुरुकुल कुरुक्षेत्र में एक बड़े स्तर पर 15 व 16 सितंबर को कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में 15 सितंबर को केंद्र सरकार के केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, आईसीए के महानिदेशक, केंद्रीय कृषि सचिव के साथ-साथ विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। 16 सितंबर को सुबह 10 बजे गुरुकुल कुरुक्षेत्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल, गुजरात के कृषि मंत्री राघव भाई पटेल के साथ-साथ दोनों राज्यों के कृषि विभाग के आलाधिकारी शिरकत करेंगे। इन दोनों दिन सभी गणमान्य अतिथिगण गुरुकुल कुरुक्षेत्र की गांव कैंथला के पास 200 एकड़ में की जा रही प्राकृतिक खेती का अवलोकन भी करेंगे। डॉ. देवव्रत ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों और किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरुक सहजता से किया जा सकता है। प्राकृतिक खेती से धरती की सेहत अच्छी होगी और लोगों को भी अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद मिल पाएंगे। जब लोगों को प्राकृतिक खेती के उत्पाद मिलेंगे तो कैंसर जैसी बीमारियों से भी निजात मिल पाएगी। इसलिए देश के लोगों को स्वस्थ रखने, किसानों की लागत कम करके आय में वृद्धि करने, भूमि की सेहत में सुधार लाने तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती के प्रति राष्ट्रीय स्तर पर किसानों को जागरुक करने के साथ-साथ प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में प्राकृतिक खेती को लेकर केंद्र और राज्य सरकार तेजी के साथ आगे बढक़र काम कर रही है। इस कार्य को लेकर गुरुकुल कुरुक्षेत्र में काफी समय से काम किया जा रहा है। यहां पर सरकार के सहयोग से प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा चुका है। इस प्रशिक्षण केंद्र में किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के दौरान किसानों के जेहन में प्राकृतिक और जैविक खेती के अंतर को भी बारीकी से समझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक खेती हर प्राणी की आवश्यकता है। इस विषय को जहन में रखकर ही प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती से एक एकड़ में 33 क्विंटल फसल की पैदावार ली जा सकती है और प्रथम वर्ष से ही अधिक उपज ली जा सकती है, लेकिन इस तकनीकी को अपनाने के लिए प्रशिक्षण लेने की जरूरत है। इस तकनीकी में देसी गाय का अहम योगदान रहेगा।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS