Haryana में विद्यार्थियों को टैब देने के लिए प्रस्ताव तैयार, वित्त विभाग के पास भेजा

चंडीगढ़। हरियाणा शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने विधानसभा (Assembly) की एससी एसटी कमेटी के सामने अपना पक्ष रखा। इस दौरान साफ कर दिया कि उन्होंने बच्चों को स्मार्ट फोन अथवा टैब देने में कितना खर्च आएगा साथ ही इस आशय का एक प्रस्ताव तैयार कर कमेटी के सामने रख दिया है। कमेटी चेयरमैन ने विधानसभा सत्र के बाद सितंबर पहले सप्ताह में वित्त विभाग के सचिव को भी बुलाने का निर्देश जारी कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में 11 लाख बच्चों को लैपटाप देने में लगभग 467 करोड़ की राशि खर्च होगी।
यहां पर उल्लेखनीय है कि विधानसभा में एससी एसटी मामलों की कमेटी ने सरकारी स्कूलों के गरीब बच्चों को टैब, स्मार्ट फोन, लैपटाप देने की योजना पर काम करने के लिए कहा था। इतना ही नहीं मामले में चेयरमैन ईश्वर सिंह ने सीएम से भी गरीब बच्चों को कोरोना काल की चुनौती के बीच स्मार्ट फोन दिए जाने की वकालत की थी। बुधवार को इस संबंध में विधानसभा कमेटी की ओऱ से शिक्षा विभाग के अफसरों को बुलाया गया था। इस दौरान शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. महावीर सिंह, हायर एजूकेशन में डीजी अजीत बालाजी जोशी व शिक्षा विभाग से सेकेंडरी एजूकेशन के निदेशक जी गणेशन, एलीमेटरी एजूकेशन से प्रदीप डागर अन्य कईं अफसर पहुंचे हुए थे। सभी ने इस बार में अपने अपने सुझाव भी दिए।
एससी एसटी कमेटी अध्यक्ष और विधायक ईश्वर सिंह ने इस पर खर्च होने वाली राशि के बारे में विस्तार से बातचीत की, साथ ही बताया गया कि 11 लाख बच्चों को स्मार्ट फोन अथवा टैब देने में लगभग 467 करोड़ की राशि खर्च होगी। इस तरह का प्रस्ताव तैयार कर राज्य के वित्त विभाग के पास में भेजा गया है। कमेटी की ओर से इस पर जल्दी काम करने ताकि कोविड के दौरान बच्चों को इसका लाभ मिल सके। साथ ही अगली बैठक में वित्त विभाग के सचिव को बुलाने का निर्देश भी जारी कर दिया है।
यहां पर उल्लेखनीय है कि कोविड चुनौती के दौरान घरों तक सीमित बच्चों को शिक्षा जारी रखने में आ रहीं दिक्कतों को देखते हुए हरियाणा विधानसभा की एससी, एसटी कमेटी की ओर से टैब अथवा मोबाइल मुफ्त उपलब्ध कराने की अपील की है। कमेटी अध्य़क्ष ईश्वर सिंह ने बताया कि राज्य में भी कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं। शिक्षक आनलाइन ही बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। लेकिन निजी स्कूलों के बच्चों के पास में जिस तरह से सुविधाएं और साधन हैं, उस तरह से सरकारी स्कूलों से शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के पास में साधान नहीं हैं। उनका कहना है कि कमेटी की ओर से पहले शिक्षा विभाग के आला अफसरों को एससी, एसटी बच्चों को टैब अथवा मोबाइल उपलब्ध कराने के लिए कहा था ताकि उनकी शिक्षा जारी रहे और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़े।
जींद और फतेहाबाद के एसपी से मांगा अपराध का ब्योरा
जींद और फतेहाबाद के एसपी से ब्योरा मांगा गया था। इनको भी बुधवार को समय दिया गया था। लेकिन फतेहाबाद से एसपी इस दौरान पहुंचे, जिन्होंने दलितों के विरुद्ध अपराध मामलों में हुई कार्रवाई और सजा आदि का ब्योरा बनाने में समय लगने की दलील दी। इस पर उन्हें दो सप्ताह का समय दिया गया। इसके अलावा जींद की ओऱ से एक डीएसपी को भेजा गया था। जिन्होंने बताया कि गत 11 साल में 11 मामलों में सजा हुई है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि एक साल में एक ही औसतन सजा हुई है। इस मामले में भी कमेटी ने आगे का वक्त देकर पूरे ब्योरे के साथ में आने के लिए कहा है।
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