जनता को हो रही परेशानी : यहां एसडीएम व तहसीलदार समेत कई अहम पद खाली

राजकुमार बड़ाला : महम
महम में अफसरों का अकाल पड़ गया है। यहां एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार समेत कई अहम पद खाली पड़े हैं। जिस वजह से महम क्षेत्र की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी न होने से महम के विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी दिक्कत आ गई है। एसडीएम और तहसीलदार की कोर्टों के अनेक मामले लंबित पड़े हैं। जिस कारण महम कोर्ट के वकील भी परेशान हैं। महम में तहसीलदार व नायब तहसीलदार के पद पिछले कई महीने से रिक्त पड़े हैं। तहसीलदार व नायब तहसीलदार न होने से यहां पर जमीन की रजिस्ट्रियों का काम प्रभावित हो रहा है। तहसीलदार कोर्ट में काफी संख्या में केस पेंडिंग हैं। हालांकि काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए कलानौर के तहसीलदार को सप्ताह में दो दिन यहां काम करने के आदेश दिए हुए हैं।
शुक्रवार व मंगलवार का दिन उनके लिए निर्धारित किया गया है। लेकिन पहले सप्ताह में यहां 5 दिन काम काज होता था। लेकिन किसी सप्ताह तो पूरा ही खाली चला जाता है। जिस कारण रूटीन में शपथ पत्रों पर तहसीलदार के हस्ताक्षर नहीं हो पाते और लोग एफिडेविट लेकर इधर उधर भटकते रहते हैं। जाति प्रमाण पत्र बनवाने की बात हो या फिर युवाओं द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन का मामला। तहसीलदार न होने से जमीनी विवाद, खेवट अलग करवाना व जमीनों को मापने के काम रुक गए हैं। स्थाई बीडीपीओ न होने से महम खंड के गांवों के विकास का पहिया रुका हुआ है। अब महम में एसडीएम का पद भी खाली पड़ा है। एसडीएम गायत्री अहलावत जब यहां थी तो उनके पास कई अतिरिक्त जिम्मेदारियां थी। जिस वजह से वह भी अपने कार्यालय में जनता को व अधिकारियों व कर्मचारियों को कम समय दे पाती थी।
महम नगर पालिका व बीडीपीओ कार्यालय की फिलहाल वे ही प्रशासक थी। उनके चले जाने से महम शहर के विकास कार्यों के प्रभावित होने का अंदेशा पैदा हो गया है। यदि इसी तरह एसडीएम का पद रिक्त रहा तो वाहन रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस, एसडीएम कोर्ट के केसों की सुनवाई समेत अन्य प्रशासनिक कार्य ठप हो जाएंगे।
हालांकि एसडीएम गायत्री अहलावत के रहते हुए भी ये कार्य सुचारू रूप से नहीं चल रहे थे। महम के वकीलों व आम जनता को शिकायत रहती थी कि फाइलें एसडीएम कार्यालय में एसडीएम के हस्ताक्षर न होने की वजह से अटकी हुई हैं। अधिकारियों न होने से परेशान होकर महम बार एसोसिएशन के प्रधान प्रदीप ढाका ने अधिकारियों की नियुक्ति की मांग को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल व रोहतक के जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार को एक पत्र लिखा है।
महम में लंबे समय तक नहीं टिकते अधिकारी
अधिकारियों के इधर से उधर स्थानांतरण तो होते रहते हैं। यह एक आम प्रक्रिया है। लेकिन अधिकारी यहां नियुक्ति पाना अपने आप में एक सजा समझते हैं। यहां के नेताओं के सख्त स्वभाव की वजह से अधिकारी यहां लंबे समय तक नहीं टिकते। जब विभाग के उच्च अधिकारी किसी अफसर को महम भेजना चाहते हैं तो वे यहां आने में हाय तौबा करते हैं। यदि किसी अधिकारी का यहां पर जबरदस्ती तबादला कर भी दिया जाता है, तो वह जल्दी ही किसी न किसी तरह तिकड़मबाजी लगाकर यहां से थोड़े समय बाद ही चलता बनता है। क्योंकि यहां के नेता अधिकारियों के साथ शालीनता व नरमी से बातचीत नहीं करते। यहां के नेता किसी भी अफसर व कर्मचारी द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को पसंद नहीं करते। यदि कोई अधिकारी उनके द्वारा कहे गए काम में ढिलाई बरतता है तो वह अधिकारी इनके बर्दास्त से बाहर हो जाता है। इन नेताओं द्वारा बार बार कहने पर भी यदि कोई काम नहीं होता तो मुख्यमंत्री या मंत्री से मिलकर यहां के नेता उस अफसर का तबादला करवा देते हैं। या फिर बार बार इनके द्वारा डाले जा रहे दबाव से परेशान होकर अधिकारी खुद तबादला करवा जाते हैं। यहां के नेता अधिकारी के साथ बहुत ही सख्त लहजे में बात करते हैं, जो बहुत से अधिकारियों को पसंद नहीं होता।
जीरो टॉलरेंस पर काम करते हैं महम के नेता
यहां के नेता जनता के बीच रहते हैं। इनके सूत्र इतने मजबूत हैं कि किसी भी सरकारी दफ्तर में थोड़ी सी भी कुछ गड़बड़ी होती है, तो इनके पास तुरंत सूचना पहुंच जाती है। ऐसे कई मामले हुए हैं जब किसी कर्मचारी ने किसी से रिश्वत ली तो तुरंत इनके संज्ञान में आ गया। बहुत से लोगों के पैसे भी इन्होंने वापस दिलवाए हैं और वह कर्मचारी या अधिकारी यहां वापस दिखाई नहीं दिया। कहने का मतलब है यहां के नेता जीरो टोलरेंस पर काम करते हैं। यहां के नेता मुंहफट भी हैं। जो कहना होता है, तुरंत कह देते हैं। ये तुरंत रिएक्शन करते हैं। यह बात अधिकारियों को अखरती है। शायद यहां के नेताओं के सख्त स्वभाव की वजह से ही आज महम में एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार जैसे महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं।
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