15 अगस्त से पहले राफेल का इंडक्शन समारोह

हरिभूूमि न्यूज : अंबाला
राफेल विमानों का भारत आगमन व उनकी अंबाला एयरबेस पर सफल लैंडिंग (Landing) से देश के सैन्य इतिहास में नए युग का सूत्रपात हुआ है। राफेल के इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) के सुपुर्द होने के बाद अब इन्हे पुनर्जीवित किए गए 17वें गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन में शामिल किया जाएगा।
एयरफोर्स सूत्रों के मुताबिक 15 अगस्त से पहले राफेल का एयरफोर्स में आफिसियल इंडक्शन किया जाएगा। यह इंडियन एयर फोर्स में अब तक शामिल किए गए लड़ाकू विमानों में से सबसे कम समय में किया जाने वाला इंडक्शन है। इसका कारण चीन के साथ चल रहा तनाव भी है। इससे पहले लड़ाकू विमानों के एयरफोर्स को मिलने के बाद भी उनके इंडक्शन व आपरेशनल होने में महीनों लग जाते थे। राफेल की लैंडिंग के बाद एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया ने विमानों को फ्रांस से भारत लाने वाले ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिह व उसके साथी पायलट्स से उनके यात्रा के अनुभ्व सांझा किए। एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया को ही राफेल को सबसे पहले उड़ाने का सौभाग्य मिला था। पिछले साल फ्रांस के साथ हुए सांझा अभ्यास गरूड़ के तहत भदौरिया ने तब एयरफोर्स के डिप्टी चीफ रहते राफेल को उड़ाया था। इसके बाद से ही भदौरिया राफेल खरीद के केंद्र में थे। उनके एयरफोर्स चीफ बनने के बाद उनकी कमांड में ही राफेल के भारत आने की प्रक्रिया पूरी हुई।
गोल्डन एरो को अब तक मिले लड़ाकू विमान
आजादी के बाद बनाए गए 17 गोल्डन एरो को देश के एक से एक लड़ाकू विमानों को उड़ाने का अनुभव है। इसमें एयरफोर्स के सबसे प्रशिक्षित पायलटों को शामिल किया जाता है। राफेल से पहले 1 अक्टूबर 1951 को गोल्डन एरो को हार्वड 2-बी फाइटर प्लेन मिले थे। इसके बाद नवंबर 1955 में हैविलैंड वैम्पायर को गोल्डन एरो स्क्वॉर्डन में शामिल किया गया। 1957 में हॉकर हंटर इस स्क्वॉडर्न की शान बने। ये सभी विमान अंबाला एयरबेस पर ही तैनात रहे। 1975 में मिग-21 भी इसी स्क्वॉर्डन को मिले थे। बाद में इस स्क्वॉर्डन को भंग कर दिया गया। लेकिन स्क्वॉर्डन के शानदार इतिहास को देखते हुए इसको पुनजीर्वित किया गया व राफेल विमान इसको सौंपे गए।
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