Farmers Protest : महापंचायतों को लेकर रार, कुछ संगठन बॉर्डर पर संख्या बढ़ाने के पक्ष में

हरिभूमि न्यूज . सोनीपत
किसान नेता राकेश टिकैत और कुछ संगठनों द्वारा लगातार जारी महापंचायतों का अब और भी संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। महापंचायतों को लेकर किसान संगठनों में रार होती दिखाई दे रही है। इससे पहले भी किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी किसान पंचायतों को लेकर विरोध जता चुके हैं। अब फिर से कुछ संगठनों ने किसान पंचायतों की बजाए बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने की ओर ध्यान देने के बारे में कहा है। भारतीय किसान यूनियन के दो संगठनों ने टिकैत की महापंचायतों को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब किसान दिल्ली बॉर्डर पर इकट्ठा हैं और वहीं पर सभी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके बावजूद अलग-अलग महापंचायतें किए जाने का क्या औचित्य है।
इन संगठनों ने नसीहत भी दी है कि किसान महापंचायतें करने की बजाय दिल्ली की सभी बार्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए और पूरा फोकस किसानों की एकता बरकरार रखने पर होना चाहिए। इससे पहले भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी भी महापंचायतों पर सवाल उठा चुके हैं, हालांकि बाद में चढूनी खुद भी कई महापंचायतों में शामिल हो चुके हैं।
दहिया और आर्य ने ली बैठक, बोले आंदोलन भटकाव की तरफ
भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय महासचिव शमशेर सिंह दहिया व भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कुंडली बार्डर पर बुधवार को किसानों की एक बैठक ली। इस दौरान उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि किसान आंदोलन के दौरान महापंचायतों का निर्णय सही नहीं है। महापंचायतें शुरू होने के बाद से आंदोलन भटकाव की तरफ जा सकता है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा व किसान नेताओं को फिर से इस पर विचार करना चाहिए। किसान पंचायतें लगातार चल रही हैं, जिससे दिल्ली की बार्डरों पर जमे किसानों की संख्या पर असर पड़ रहा है। दोनों नेताओं ने किसानों को नसीहत दी कि वे महापंचायतें करने की बजाय दिल्ली की बार्डरों पर संख्या बढ़ाने पर जोर दें। सभी प्रकार के कार्यक्रम धरनास्थलों पर ही होने चाहिए और किसानों को अपने ट्रैक्टर-ट्राली लेकर यहीं पहुंचना चाहिए।
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