UPSC में 102वां रैंक हासिल करने वाले राजेश मोहन ने महम में की थी प्राइमरी पढ़ाई, ऐसे सपना किया साकार

हरिभूमि न्यूज : महम
भराण गांव के राजेश मोहन उर्फ राजू ने यूपीएससी के परीक्षा परिणाम में 102वां रैंक हासिल कर अपने माता-पिता, गुरुजनों और गांव का नाम रोशन किया है। आईएएस की परीक्षा में अच्छा रैंक हासिल करने पर भराण गांव में खुशी का माहौल है और सब गांववासी राजू को बधाई देने में जुटे हैं।
राजू का जन्म 22 अक्टूबर 1991 को भराण गांव में ही हुआ था। प्राइमरी की पढ़ाई इन्होंने महम के डीएवी स्कूल से की थी। उसके बाद 10वीं और 12वीं और बीएससी की परीक्षाएं इन्होंने चंडीगढ़ से पूरी की। बाद में चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात सेना की इनफेंटरी विंग में चंडीगढ़ में ही अपनी सेवाएं दी। राजेश मोहन के पिता 53 वर्षीय राजकंवर मोहन चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सिविल सचिवालय में अंडर सेक्रेटरी कार्यरत हैं। इनकी माता कमलेश देवी गृहणी हैं। आईएएस के पांचवें एटेम्पट में राजू ने यह उपलब्धि हासिल की है। लगातार पांच साल तक इन्होंने कड़ी मेहनत की है। राजू का एक छोटा भाई भी है, जिनका नाम कुलबीर सिंह मोहन है। जो राजू से दो साल छोटे हैं। जो वन पैरा स्पेशल फोर्स में कैप्टन के पद पर कार्यरत हैं।
डॉक्टर राजेश मोहन उर्फ राजू ने बताया कि उनके पिता चंडीगढ़ हरियाणा सचिवालय में कार्यरत हैं। इसलिए पहले से ही उनके मन में था कि यहां आईएएस व आईपीएस अधिकारी भी हैं और उनका एक अपना रुतबा होता है। उनके पिता से समय समय पर उन्हें इसकी प्रेरणा मिलती रहती थी। एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान और डॉक्टर की सेवा के समय भी उनको यूपीएससी के लिए प्रेरणा मिली।
कुपोषण दूर करना प्राथमिकताओं में शामिल : एमबीबीएस की इंटर्नशिप में इनको लगा कि इनको आईएएस व आईपीएस की तरफ जाना चाहिए। क्योंकि वहां पर एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट मिला। कुपोषण पर उनको लेक्चर देना था। उस समय लगा कि कुपोषण का उपचार करना पड़ता है। रोगी को दवा देनी पड़ती है। इसलिए ऐसी नौबत न आए कि किसी को कुपोषण का शिकार होना पड़े। कुपोषण की दवा देने की बजाए ऐसे लोगों को भोजन ही उपलब्ध करवा दिया जाए, ताकि कोई कुपोषित ही न हो। आईएएस बनकर वे इस सेक्टर में काम करना चाहेंगे। वे गांव में पैदा हुए हैं। गांव के लोगों की समस्याएं देखी हैं। गांव देहात में बहुत सी समस्याएं होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ही देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा।
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