रामपाल के अनुयायियों को साहित्य बांटने से रोका, कॉपी जलाई

हरिभूमि न्यूज:रोहतक
आर्य समाज टिटौली के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को गांव टिटौली में रामपाल दास के अनुयायियों द्वारा साहित्य बांटने पर विरोध किया गया। गांव के सरपंच से बात करके अनुयायियों को रोका और उनके द्वारा बांटी गई सामग्री को कुंडू भवन के सामने जलाया। हुआ यूं कि सुबह एक बस और एक क्रूजर लोगों से भरकर गांव टिटौली में पहुंची, जिसमें महिलाओं की ज्यादा थी। इस बात का पता आर्य समाज के कार्यकर्ताओं को जब पता लगा तो उन्होंने ग्रामीणों को इस बात की जानकारी दी तो ग्रमीण इकठ्ठे होकर विरोध करने पहुंच गए।
ग्रामीणों ने अनुयायियों को चेतावनी दी कि भविष्य में गांव में ना घुसें। आर्य समाज ने प्रशासन से मांग की है कि सिंहपुरा में बनाई जा रही रामपाल दास की बिल्डिंग को हटाया जाए। आर्य समाज के युवा संन्यासी स्वामी आदित्यवेश ने आरोप लगाया कि रामपाल दास अपने अनुयायियों से दंगे करवाना चाह रहा है। उसने करौंथा और बरवाला के बाद अपनी बिल्डिंग सिंहपुरा में बनानी शुरू कर दी है।
बिल्डिंग नहीं हटी तो आंदोलन: स्वामी आर्यवेश
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने कहा कि रामपाल दास जेल में है। लेकिन फिर भी वह धड़ल्ले से दुष्प्रचार में लगा हुआ है। रोहतक के सिंहपुरा में एक बिल्डिंग बनाई जा रही है, जिसका आर्य समाज पहले भी विरोध कर चुका है। स्वामी आर्यवेश ने प्रशासन से मांग की है कि इस बिडिंग को तुरंत यहां से हटवा दें ताकि तनाव का माहौल न बने। ऐसा नहीं हुआ तो आर्य समाज फिर से आंदोलन करेगा। रामपाल जेल में है और इसके लिए आर्य समाज के कई लोगों ने बलिदान भी दिया है।
गांव के युवक ने फोन कर दी सूचना
स्वामी आदित्यवेश ने बताया कि मैं पौधरोपण के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दादरी के एक गांव में था। वहीं गांव के युवक का फोन आया और उसने रामपाल के अनुयायियों द्वारा साहित्य वितरित करने की सूचना दी। इसक बाद स्वामी आदित्यवेश ने टिटौली स्थित पुलिस चौकी में फोन किया और बताया कि गांव में माहौल तनावग्रस्त हो सकता है। अनुयायियों को गांव से बाहर किया जाए।
गांव में न घुसने की चेतावनी
आर्य समाज बाहुल्य गांव में महिलाएं और पुरुष महर्षि दयानंद के खिलाफ और नकली गीता और साहित्य वितरित कर रहे हैं। तीन दिन पहले बोहर गांव में साहित्य वितरित कर रहे थे। वहां भी आर्य समाज ने उस साहित्य को जलाया और गांव में भविष्य में गांव में न घुसने की चेतावनी दी। उसके बाद वे लोग बृहस्पतिवार को टिटौली में पहुंचे।
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