राम रहीम को राहत : रणजीत हत्याकांड में फैसला सुनाने पर फिर लगी रोक, मामले की सुनवाई से हटे जज

डेरा सच्चा सौदा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में सीबीआइ कोर्ट द्वारा फैसला सुनाने पर रोक जारी रहेगी, क्योंकि इस मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
अब यह मामला चीफ जस्टिस के पास जाएगा जो मामले को सुनवाई के लिए किसी अन्य उपयुक्त बेंच के पास भेजेंगे। तब तक पंचकूला की विशेष सीबीआइ कोर्ट के फैसले देने पर रोक रहेगी।जस्टिस सांगवान इस मामले की अब तक दो बार सुनवाई कर चुके हैं। इससे पहले 24 अगस्त को उन्होंने विशेष सीबीआइ अदालत पंचकूला को इस मामले में फैसला सुनाने से रोक दिया था और विशेष सीबीआइ जज सुशील कुमार गर्ग से उनके कामकाज पर सवाल उठाने वाली याचिका पर टिप्पणी मांगी थी। बाद में 27 अगस्त को, हाई कोर्ट ने उनकी टिप्पणियां प्राप्त कीं और मामले के अन्य पक्षों से जज की टिप्पणियों पर अपने जवाब प्रस्तुत करने को कहा था। गुरुवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो जस्टिस सांगवान ने मामले को किसी अन्य बेंच को भेजने का आदेश दिया।
मृतक रणजीत सिंह के बेटे जगसीर द्वारा हरियाणा, पंजाब या चंडीगढ़ में किसी अन्य सीबीआइ जज को मामले को स्थानांतरित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका के तहत मामला हाई कोर्ट के पास पहुंचा था। याचिका में आशंका व्यक्त की थी कि सीबीआइ के विशेष जज, सुशील कुमार गर्ग, केपी सिंह जो सीबीआइ के अन्य मामलों में वकील है से अनुचित रूप से प्रभावित हैं, सिंह इस मामले में नहीं, फिर भी वह अनुचित रुचि लेते हैं और सीबीआई जज पर अनुचित प्रभाव डालते हैं।
याचिका में यह भी आरोप गया है कि सीबीआइ के वकील केपी सिंह पहले विशेष जज सुशील कुमार के साथ चंडीगढ़ में तैनात थे। पंचकूला में उनके स्थानांतरण के बाद, सिंह भी पंचकूला आ गए और मामले में हस्तक्षेप कर रहे हैं तथा पूरी कार्यवाही को प्रभावित कर रहे है। इस मामले में सीबीआइ ने अपने विस्तृत जवाब में अपने वकील केपी सिंह लगाए गए आरोपों से बचाव किया।सीबीआइ ने हाई कोर्ट को बताया कि एचपीएस वर्मा और डीएस चावला को विशेष रूप से इस मामले में सीबीआइ का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया है, लेकिन इस मामले में केपी सिंह की उपस्थिति संदेह से परे है क्योंकि वह सीबीआइ अदालत में सीबीआइ के नियमित वकील होने के नाते सीबीआइके हित में कोर्ट में मौजूद रह कर सहायता कर सकते है। सीबीआइ ने कहा कि इससे पहले किसी ने भी ट्रायल के दौरान कोई आपत्ति नहीं जताई।
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