अंबाला लोकसभा सीट से तीसरी बार सांसद बने रतनलाल कटारिया मौके को नहीं भुना पाए, केद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी की हैं कई वजह

अंबाला लोकसभा सीट से तीसरी बार सांसद बने रतनलाल कटारिया मौके को नहीं भुना पाए, केद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी की हैं कई वजह
X
जनता से दूरी व किसानों पर अपमानजनक टिप्पणी का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा। काम में बेहतर परफोर्मेंस न दे पाने को भी एक वजह माना जा रहा है। लोगों से दूरी की वजह से कुछ महीने पहले उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगने गए थे। टिप्पणी के बाद किसानों के कड़े विरोध के बाद उन्होंने माफी भी मांग ली थी।

हरिभूमि न्यूज : अंबाला

लगातार दूसरी बार अंबाला संसदीय सीट से जीतकर पहली बार केंद्रीय राज्यमंत्री बने रतनलाल कटारिया की बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। जनता से दूरी व किसानों पर अपमानजनक टिप्पणी का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा। काम में बेहतर परफोर्मेंस न दे पाने को भी एक वजह माना जा रहा है। लोगों से दूरी की वजह से कुछ महीने पहले उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगने गए थे। टिप्पणी के बाद किसानों के कड़े विरोध के बाद उन्होंने माफी भी मांग ली थी।

13वीं लोकसभा के लिए रतनलाल कटारिया पहली बार अंबाला से सांसद बने थे। तब उन्होंने कांग्रेस के फूलचंद मुलाना को 1.24 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इसके बाद उन्हें 2004 व 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दग्गिज नेत्री कुमारी सैलजा ने शिकस्त दी थी। मगर इसके बाद कटारिया की किस्मत चमकी। मोदी लहर में पहले 2014 में वे तर गए। इसके बाद 2019 में फिर मोदी के सहारे उनकी नैया पार हो गई। इस बार उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को रिकॉर्ड मतों से हराकर हिसाब चुकता कर दिया था। इसी वजह से उन्हें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जलशक्ति, समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया था। पर दो साल के भीतर ही अब उनसे इस्तीफा ले लिया गया। अब संसदीय क्षेत्र में रहकर ही उन्हें काम करना होगा।

जुबान पर नहीं रख पाते काबू : पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया की जुबान कब फिसल जाए यह किसी को नहीं पता। पिछले दिनों ही उन्होंने उनके कार्यक्रम का विरोध करने वाले किसानों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांग ली थी। इससे पहले कटारिया कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा पर भी टिप्पणी कर फंस चुके हैं। तब महिला कांग्रेस की ओर से उनका पुरजोर विरोध किया गया था। उस समय में उन्हें माफी मांगकर जान छुड़ानी पड़ी।

फील्ड की बजाय बैठकों में नजर आए : अंबाला संसदीय क्षेत्र की जनता पिछले दो साल से कोरोना की मार झेल रही है। मगर सांसद रतनलाल कटारिया कहीं भी फील्ड में नजर नहीं आए। कुछ सरकारी कार्यक्रमों तक ही वे सीमित रहे। इसी वजह से संसदीय क्षेत्र के लोगों में उनके प्रति नाराजगी बढ़ गई। यमुनानगर में तो उनकी गुमशुदगी के पोस्टर तक लग गए थे। पिछले सात साल में केंद्र सरकार से भी वे कोई बड़ी सौगात संसदीय क्षेत्र के लिए नहीं ला पाए। इस वजह से भी लोगों में उनके प्रति नाराजगी बढ़ गई।

पत्नी बंतो कटारिया गेल की निदेशक : पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया खुद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। संगठन में मजबूत पकड़ की वजह से उन्हें लगातार पांच बार अंबाला लोकसभा से भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। पत्नी बंतो देवी कटारिया गेल गैस ऑथोर्रिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में गैर सरकारी स्वतंत्र निदेशक के रूप में मनोनीत है। जबकि इनके बेटे चंद्रकांत कटारिया हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) में चयनित होकर राज्य सरकार में क्लास वन अधिकारी हैं।

Tags

Next Story