शपथ ग्रहण के बाद भारत भ्रमण की तैयारी : जिला परिषद और ब्लॉक समितियों की चेयरमैनी के लिए शुरू होगा असली खेल

नरेन्द्र वत्स/ रेवाड़ी। दिसंबर माह के पहले सप्ताह में मौसम का मिजाज जितना ठंडा होगा, उतना ही राजनीति का पारा गर्म होगा। 3 दिसंबर को शपथ ग्रहण के बाद जिला परिषद से लेकर ब्लॉक समितियों के चेयरमैन चुनने की कवायद अंतिम दौर में प्रवेश कर जाएगी। सबसे बड़ी जंग जिला प्रमुख के चयन को लेकर होनी तय है। इस जंग में जीत का खिताब उसे हासिल होगा, जो पार्षदों के बहुमत को 'भारत भ्रमण' पर ले जाने में कामयाब होगा। इन पार्षदों को पूरी तैयारी के साथ चुनाव के दिन ही हाजिर किया जाएगा, ताकि जोड़-तोड़ की संभावनाओं को खत्म किया जा सके।
चुनाव परिणाम आने के 28 दिन के अंदर जिला प्रमुख और ब्लॉक समितियों के चेयरमैनों का चुनाव होना है। इसमें तीन दिन कम हो चुके हैं। शपथ ग्रहण की औपचारिकता 3 दिसंबर को पूरी हो जाएगी। कई ब्लॉकों में चेयरमैनी हासिल करने की जंग भी कुछ कम नहीं है। जिला प्रमुख बनाने के लिए जहां दिग्गजों की ओर से रस्साकसी चल रही है, तो ब्लॉक समितियों के चेयरमैन बनाने में तीनों हलकों के विधायक अंदरखाने पूरा इंटरेस्ट ले रहे हैं। विधायकों का प्रयास अपने चहेतों को चेयरमैन बनाने का है, लेकिन चहेतों की संख्या अधिक होने के कारण वह किसी एक के पक्ष में खुलकर खड़े होने की स्थिति में नहीं हैं। खुलकर किसी एक का साथ देना उनके लिए आने वाले समय में मुसीबत पैदा करने वाला साबित हो सकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच जोर-आजमाइश चल रही है। कई तेज तर्रार पार्षदों ने पहले ही चेयरमैनी के लिए गोटियां फिट कर ली हैं। मामला एक या दो पार्षदों पर अटका हुआ है।
खुलकर नहीं आ रहा कोई नाम सामने
जिला प्रमुख इस बार सामान्य वर्ग के पुरुष पार्षद के लिए सुरक्षित है। 16 में से आधे पार्षद पुरुष हैं। इनमें से अभी तक किसी का नाम चेयरमैनी के लिए खुलकर आगे नहीं आया है। जिला प्रमुख बनाने में अभी तक राव इंद्रजीत सिंह का दबदबा रहा है। आधे से अधिक पार्षदों को अपने निवास पर बुलाने के बाद राव खेमा इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आ रहा है कि इस बार भी जिला प्रमुख वही बनेगा, जिसे राव का आशीर्वाद मिलेगा। दूसरा खेमा राव खेमे के मंसूबों पर पानी फेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।
'अज्ञातवास' की रणनीति पर काम
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार पहले ही तरह पार्षदों के बहुमत को चेयरमैनी का चुनाव होने तक 'अज्ञातवास' में भेजने की रणनीति तैयार की जा रही है। इस रणनीति में जो भी दिग्गज बाजी मारेगा, संभवतया चेयरमैन बनाने में वही कामयाब हो पाएगा। इसके साथ ही आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो जाएगा। प्रशासन के लिए भी चेयरमैनी का चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं होगा। इसके लिए राजनीतिक दबाव खुलकर अपना काम करेगा। शपथ ग्रहण के बाद जिला प्रमुख बनाने की जंग अचानक तेज हो जाएगी। देखना यह होगा कि इस जंग में बाजी कौन मारेगा।
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