Army Recruitment : सेना में जाने का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए खुशखबरी, इंडियन आर्मी में अगस्त से शुरू होगी भर्ती!

हरिभूमि ब्यूरो : नई दिल्ली
भारतीय सेना ( Indian Army ) में लंबे वक्त से बंद पड़ी हुई जवानों की भर्ती ( Soldiers Recruitment ) प्रक्रिया की अगस्त से शुरूआत हो सकती है। केंद्र सरकार ( Central Government ) ने पिछले दो साल से कोरोना महामारी (Corona ) की वजह से देशभर में लगाई गई पाबंदियों की वजह से इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब इस बाबत सेना ने सकारात्मक संकेत देते हुए कहा है कि उसके द्वारा तैयार की गई टूर ऑफ ड्यूटी नीति यानी छोटी अवधि की सेवा को भी अंतिम रूप देने के अलावा भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी हुई तमाम रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच सेना द्वारा पूरे देश में अगस्त से दिसंबर तक जवानों की भर्ती के लिए रैलियों का आयोजन किया जाएगा। रक्षा सूत्रों से हरिभूमि ( Haribhoomi ) को ये जानकारी मिली है।
गौरतलब है कि बीते कुछ वक्त से देश के अलग-अलग राज्यों में युवाओं द्वारा सेना में बंद पड़ी हुई जवानों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर कड़ा आक्रोश जताते हुए कई विरोध-प्रदर्शन किए गए हैं। जिनमें बड़ी तादाद में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के युवाओं ने भाग लिया। इतना ही नहीं राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर भी हाल ही में नाराज युवाओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर प्रदर्शन किया था। यहां से कुछ युवाओं ने सरकार और सेना से जल्द बंद पड़ी हुई भर्ती प्रक्रिया को बहाल करने की मांग के साथ ज्ञापन रक्षा मंत्रालय को भी सौंपा था।
दो लाख हुई जवानों के रिक्त पदों की संख्या
केंद्र सरकार ने बीते संसद सत्र ( Parliament session ) के दौरान इस मामले को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में कहा था कि सेना ने वर्ष 2019-20 में कुल 80 हजार 572 लोगों की भर्ती की थी। उसके बाद के दो सालों में कोरोना महामारी की वजह से देश में लगाई गई पाबंदियों की वजह से सेना में जवानों की भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है। जिसे देखते हुए इन 24 महीनों के दौरान सेना में जवानों के रिक्त पदों की संख्या करीब डेढ़ से दो लाख तक पहुंच गई है। आमतौर पर सेना से हर साल 60 से 65 हजार जवान सेवानिवृत्त होते हैं। सेना के अलावा वायुसेना और नौसेना में भी महामारी काल की वजह से वायु कर्मियों और नौसैन्यकर्मियों की भर्ती नहीं हुई है।
प्रभावित नहीं हुई ऑपरेशनल क्षमताम
महामारी की वजह से रुकी हुई जवानों की भर्ती के बावजूद सेना का ये भी कहना रहा है कि इसकी वजह से उसकी तमाम यूनिटों में ना तो कामकाज प्रभावित हुआ है और ना ही इससे सेना की ऑपरेशनल तैयारियों पर कोई प्रभाव पड़ा है। बल द्वारा तेजी से टूर ऑफ ड्यूटी की नीति को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है। जिसमें अधिकारियों के रैंक से नीचे ( पीबीओआर ) की जाने वाली भर्ती के लिए किसी भी युवा को सेना में कुल चार साल तक के लिए काम करने का मौका दिया जाएगा। इसमें छह महीने का प्रशिक्षण भी शामिल होगा। चार वर्ष के लिए चुने जाने वाले आवेदकों में से कुछ को कार्यकाल खत्म होने के बाद सेवा से बाहर कर दिया जाएगा। जबकि कुछ को सेना में फिर से आगे कार्य करने की अनुमति भी दी जा सकती है।
पहले थी 20 साल की सेवा और पेंशन
यहां बता दें कि पहले सेना में होने वाली जवानों की सामान्य भर्ती में उन्हें करीब 20 साल का सेवाकाल दिया जाता था। इसके बाद सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन दी जाती थी। सेना में लंबे वक्त से रुकी हुई भर्तियों की वजह से इस वक्त डेढ़ से दो लाख जवानों की कमी बनी हुई है। इस आंकड़े में हर महीने करीब 5 हजार का इजाफा देखने को भी मिल रहा है। सेना में जवानों की आधिकारिक संख्या 1.2 मिलियन होनी चाहिए।
कोविड से पहले होती थी सालाना 100 रैलियां
कोरोना महामारी से पहले देश में सेना द्वारा हर साल कुल 100 भर्ती रैलियों का आयोजन किया जाता था। जिसमें प्रत्येक रैली संबंधित इलाके के करीब छह से आठ जिलों को कवर कर लेती थी। इसी तरह से कोविड से पहले सेना ने वर्ष 2019-20 में कुल 80 हजार 572 लोगों की भर्ती की थी। इससे पहले के साल यानी वर्ष 2018-19 में 53 हजार 431 लोगों को सेना में रैलियों के जरिए भर्ती किया गया था। यहां ध्यान देने बात ये भी है कि कोरोना महामारी का प्रभाव सेना में अधिकारियों की भर्ती पर नहीं पड़ा है। सरकार से जल्द से जल्द भर्ती रैलियों की शुरूआत करने की मांग के अलावा युवाओं का यह भी कहना है कि उस दौरान उन्हें आयुसीमा को लेकर दो साल की छूट दी जानी चाहिए। जो कि कोविड महामारी की वजह से बंद पड़ी भर्ती प्रक्रिया के चलते बढ़ी है। उधर सेना का एक तर्क यह भी है बल में तेजी से बढ़ रहे तकनीक के प्रयोग और अन्य सुधारों की वजह से भी इसके आकार को भविष्य में नियंत्रित किए जाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। 2018 से इस कवायद को लेकर सेना में प्रयास किए जा रहे हैं।
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