हरियाणा के कर दाताओं को राहत : 31 दिसंबर तक प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने पर पूरा और 31 जनवरी तक 50 प्रतिशत ब्याज माफ

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहरों में संपत्ति कर जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2022 से बढ़ाकर 31 जनवरी, 2023 कर दी है बशर्ते कि इसमें 50 प्रतिशत ब्याज में छूट दी जाएगी। मुख्यमंत्री विधानसभा सदन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शहरी सीमा क्षेत्र से बाहर अवैध तरीके से विकसित की गई कालोनियों को नियमित करने का भी रास्ता निकाला जा रहा है, इसके लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है। शहरों में पुराने क्षेत्र में बसी कालोनियों को कोर एरिया घोषित किया जाएगा और इसमें 50 साल से अधिक कब्जे पर बैठे व्यक्तियों को मिश्रित भूमि उपयोग की अनुमति दी जाएगी क्योंकि ऐसी कालोनियों में सम्पत्तियां ना तो आवासीय श्रेणियों में आ रही थीं और ना ही वाणिज्यिक। हमारा लक्ष्य योजनाबद्ध तरीके से शहर बसाना है। रजिस्ट्री के लिए निकाय बेबाकी प्रमाण पत्र जारी करती है। अवैध कालोनियों में विकास शुल्क नहीं लिया जाता, इसलिए पहले हमें कालोनियों को नियमित करना होगा तब हम विकास शुल्क लगा सकते हैं और रजिस्ट्री खोल सकते हैं। तत्काल सेवा के लिए अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा।
31 दिसम्बर 2022 तक देय सम्पत्ति कर जमा करवाने पर पूरा ब्याज माफ
स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने बताया कि सरकार ने प्रदेश में 31 दिसम्बर,2022 तक देय सम्पत्ति कर जमा करवाने पर पूरा और 31 जनवरी, 2023 तक देय सम्पत्ति कर जमा करवाने पर 50 प्रतिशत ब्याज माफ की योजना को लागू किया है। सरकार ने नागरिकों के हित में नई प्रापर्टी आईडी बनाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद अब तक प्रदेश में सम्पत्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। पूर्व में राज्यभर के हाउस टैक्स के मूल्यांकन की गई प्रॉपर्टियों ( सभी छ: कलस्टरों में ) की संख्या 32,06,839 थी, जिसका कर निर्धारण 540.56 करोड़ रुपये था तथा वर्तमान में सर्वे की गई सम्पत्तियों का कर निर्धारण 924.11 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने बताया कि पालिकाओं की सीमा के भीतर स्थित प्रत्येक प्रापर्टी की पहचान करके शत-प्रतिशत हाउस टैक्स इकठ्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है। इस निर्णय से पालिका सीमा के भीतर आने वाली सभी प्रॉपर्टियों की पहचान उनकी नेचर के अनुसार न होकर अपितु प्रॉपर्टी आईडी के अनुसार होगी।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि पूर्व में राज्यभर में हाउस टैक्स के मूल्यांकन की गई प्रॉपर्टियों ( 32,06,839 ) का कर निर्धारण 540.56 करोड़ रुपये था तथा वर्तमान सर्वे की गई सम्पत्तियों का कर निर्धारण 924.11 करोड़ रुपये हो गया है। पूरे राज्य में सम्पत्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। वर्ष 2019 में प्रॉपर्टी सर्वे शुरू किया गया था और यह देखा गया कि मालिक/किरायेदार का नाम, प्रॉपर्टी श्रेणी, उप-श्रेणी आदि समय-समय पर बदल गई है। साथ ही सर्वे के दौरान जो प्लॉट खाली और निर्माणाधीन बताए गए थे, उन प्लॉटों पर पिछले दो-तीन वर्षों में निर्माण भी हो गये। इसके अतिरिक्त, बहुत से निवासियों ने सर्वे करने की अनुमति नहीं दी और कुछ निवासियों ने सर्वेक्षण के दौरान सही जानकारी भी नहीं दी। बंद प्रॉपर्टियों पर कोई मकान नंबर भी अंकित नहीं था तथा खाली प्लॉट पर कोई पहचान चिन्ह नहीं था। ऐसी सभी प्रॉपर्टियों के घर का नंबर सर्वे के दौरान दर्ज करना कभी भी संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, हाउस टैक्स का नोटिस या नो ड्यूज सर्टिफिकेट किसी भी प्रॉपर्टी के लिए मालिकाना अधिकार नहीं देता है। प्रॉपर्टी डाटा में सर्वे के दौरान नागरिकों द्वारा प्रदान किए गए मालिक/किरायेदार के नाम दर्ज किये जाते है। इस मुद्दे पर जांच रखने और किसी भी त्रुटि को दूर करने के लिए विभाग द्वारा एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जाती है।
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