केवल अस्पतालों में ही होगी रेमेडिसिविर इंजेक्शन की सप्लाई

हरियाणा सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान रेमिडेसिविर की बढ़ती मांग को देखते हुए रेमेडिसिविर और टोसिलुइमाब इंजेक्शन जैसी प्रयोगात्मक दवाओं के प्रतिबंधित बिक्री एवं वितरण के निर्देश दिए हैं ताकि इन दवाओं के तर्कहीन उपयोग को रोका जा सके।
खाद्य एवं औषध प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण के लिए आपातकालीन और चिकित्सा आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के उपचार के लिए ही रेमेडिसिविर वैक्सीन के प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी है।
सरकार ने निर्देश दिए हैं कि रेमेडिसिविर वैक्सीन की आपूर्ति केवल अस्पतालों या चिकित्सा संस्थानों के उपयोग के लिए ही की जाए ताकि दवा का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, इस दवा की बिक्री केवल चिकित्सा विशेषज्ञों के प्रिस्क्रीप्शन पर ही करने भी निर्देश दिए गए हैं। यह ज्ञात हुआ है कि कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टर तर्कहीन रूप से रेमेडिसिविर इंजेक्शन लगवाने की सलाह दे रहे हैं। इस इंजेक्शन को भारतीय ड्रग्स कंट्रोलर जनरल द्वारा एक आपातकालीन दवा के रूप में अनुमोदित किया गया है और यह केवल कोविड-19 के आईसीयू बेड/वेंटिलेटर के रोगियों में उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। अत: डॉक्टरों द्वारा इस दवा को उन रोगियों के लिए नहीं लिखा जाना चाहिए जो अस्पतालों में भर्ती नहीं हैं तथा घरों में ही आइसोलेट किए गए हैं और जिन्हें आईसीयू/वेंटीलेटरस की आवश्यकता नहीं है।
इंजेक्शन रेमिडेसिविर या इंजेक्शन टोसिलुइमाब की कोई भी अनुचित बिक्री ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत दंडनीय है, जिसके लिए विक्रेता के ड्रग लाइसेंस को निलंबित या रद्द किया जा सकता है। इसके अलावा, ऐसी दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग/जमाखोरी भी संज्ञेय और दंडनीय अपराध हैं, जिनके लिए उचित प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये दवाएं कोविड-19 मरीजों के प्रबंधन के लिए आवश्यक हैं इसलिए इनका दुरुपयोग आईपीसी, महामारी अधिनियम, आपदा प्रबन्धन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा।
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