फिल्म शोले की दिलाई याद : बीमा क्लेम की मांग को लेकर जलकर की टंकी पर चढ़े किसान

- पिछले 3 महीने से नाथूसरी चौपटा तहसील प्रांगण में धरना दे रहे थे किसान
- विरोध प्रकट करने का खोजा अनोखा तरीका, चर्चा का बना रहा विषय
Sirsa : खरीफ फसल 2022 के बीमा क्लेम और मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 3 महीने से नाथूसरी चौपटा तहसील कार्यालय में धरना दे रहे किसानों ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। धरनारत 4 किसान गांव नारायण खेड़ा के जल घर की टंकी पर चढ़ गए। किसानों (Farmers) का कहना है कि जब तक बीमा क्लेम उनके खातों में नहीं आएगा, तब तक टंकी से नहीं उतरेंगे। इसके साथ ही क्षेत्र के किसानों ने जलघर प्रांगण में धरना शुरू कर दिया। धरना प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या भी काफी रही। इसके साथ कई संगठनों ने किसानों के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पिछले 3 महीने से बीमा क्लेम की मांग को लेकर धरना दे रहे किसानों को जब अपनी समस्या के समाधान का कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने शांतिपूर्वक संघर्ष का रास्ता अपनाया। किसान भरत सिंह झाझड़ा, दीवान सहारण, नरेंद्र पाल सहारण, जेपी कासनियां बुधवार सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर नारायण खेड़ा जलघर की करीब 110 फुट ऊंची टंकी पर चढ़ गए। सूचना मिलने पर डीएसपी जगत सिंह दलबल के साथ धरना स्थल पर पहुंचे। इसके बाद एसडीएम राजेंद्र जांगड़ा ने भी किसानों को मनाने की कोशिश की, लेकिन किसान एक बात पर अड़े रहे कि बीमा क्लेम उनके खातों में आने पर ही टंकी से उतरेंगे।
किसानों के समर्थन में नारायण खेड़ा के सरपंच सत्य प्रकाश, सरपंच एसोसिएशन हरियाणा प्रदेश की उपाध्यक्ष संतोष बैनीवाल सहित अन्य किसानों ने कहा कि खरीफ फसल 2022 का बीमा 31 मार्च तक उनके खातों में आना चाहिए था। लेकिन सरकार व बीमा कंपनियों की मिलीभगत के चलते बीमा क्लेम की राशि जारी नहीं की गई। इसी के तहत किसानों ने 2 माह तक इंतजार करने के बाद 5 मई को तहसील कार्यालय नाथूसरी चौपटा में धरना प्रदर्शन शुरू किया, लेकिन 3 महीने के बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं होने के कारण किसानों को बड़ा कदम उठाना पड़ा। इसके तहत 4 किसानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर जलघर की टंकी पर चढ़ने का फैसला किया और जब तक किसानों की मांगों का समाधान नहीं होगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों के लिए बाल्टी को रस्सी बांधकर पहुंचाया जा रहा है सामान
सुबह 5:30 से नारायण खेड़ा जलघर की टंकी पर चढ़े किसानों के लिए आवश्यक सामान बाल्टी को रस्सी के सहारे ऊपर तक पहुंचाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक बीमा क्लेम उनके खातों में नहीं आएगा, तब तक टंकी पर चढ़े रहेंगे ? किसानों के समर्थन में हजारों की संख्या में किसान, क्षेत्र की महिलाएं व कई संगठन धरना स्थल पर पहुंचे हुए हैं।
2018 में गांव रुपावास की टंकी पर चढ़े थे किसान
इसी प्रकार साल 2018 में बीमा क्लेम की मांग को लेकर भी किसानों ने काफी संघर्ष किया था। और चोपटा क्षेत्र के 5 किसान गांव रुपावास के जलकर की टंकी पर चढ़ गए थे। बाद किसानों के खातों में बीमा राशि आ गई थी।
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