देश के पीतल बाजार पर रेवाड़ी का था दबदबा, 150 इकाइयों पर संकट

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
पारंपरिक रूप से चला आ रहा देश में पीतल नगरी के नाम से फेमस रेवाड़ी का धातु उद्योग भी कोरोना महामारी से अछूता नहीं है। वह भी तब जब 150 से अधिक उद्योगोंं में काम करने वाले ज्यादातर लोग स्थानीय है। लाकडाउन के बाद पूरी क्षमता से उद्योगों को चलाने में सक्षम होते हुए भी उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत ही हो पा रहा है। धातु उद्योग को कोरोना इफेक्ट से उभारने के लिए न केवल आर्थिक पहिए को गति देने की जरूरत है, बल्कि सहारा देने के लिए सरकार को भी आगे आना होगा।
देश से बाहर माल भेजकर कोरोना काल के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को कच्चा माल इम्पोर्ट करने के लिए चाइना सहित पांच एशियन देशों की तर्ज पर अपनी नीतियों में बदलाव कर उद्योगों को मिलने वाले इंसेटिव को उन देशों के सामानांतर लाना होगा। ताकि चीन को भारत के साथ विदेशों में भी चुनौती दी जा सके। चाइना ने धातु उद्योग को मिलने वाले इंसेटिव को पोस्ट कोविड बढ़ाकर 9 से 13 कर दिया तथा भारत में आज भी डेढ़ प्रतिशत इंसेटिव पाने के लिए रेवाड़ी से होते हुए दिल्ली-चंडीगढ़ तक दफ्तरों के कई-कई चक्कर काटने पड़ते हैं। यही कारण है कि क्वालिटी बेहतर होने के बाद भी लागत घटाने के लिए मल्टीनेशनल कंपनी व स्थानीय कारोबारी भारतीय धातु की बजाय चाइना सहित पांच एशियन देशों से कच्चा माल खरीदने को प्राथमिकता देते हैं। बावजूद इसके कोरोना काल शुरू होने से पहले तक चीनी मिल व इलेक्ट्रानिक क्षेत्र में रेवाड़ी का धातु उद्योग देश में अपना दबदबा बनाए रखने में सफल रहा। प्रदेश में फरीदाबाद, जगाधरी बड़ौदा (गुजरात), जयपुर व अहमदाबाद में भी धातु उद्योग हैं, परंतु देश में 50 प्रतिशत से अधिक डिमांड रेवाड़ी से पूरी होती है।
चीन को भी टक्कर देने में सक्षम
रेवाड़ी के धातु उद्योग सरकार का साथ मिले तो चाइन सहित पांच एशियन देशों को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी टक्कर देने में सक्षम हैं। सरकार से इंसेटिव का लाभ लेकर एशियन कंट्री के उद्योगों में तैयार होने वाले प्रोडेक्ट स्थानीय धातु उद्योगों से सस्ते पड़ते हैं। जिस कारण कारोबारा स्थानीय प्रोडक्टों की बजाय चाइनीज प्रोडक्ट को प्राथमिकता देते हैं। चीन सहित पांचों देशों ने धातु उद्योगों को मिलने वाले 9 प्रतिशत इंसेटिव को कोरोना काल में बढ़ाकर 13 कर स्थानीय धातु उद्योग की कमर तोड़ने का दांव चला है। जबकि भारत में यह न केवल अब भी डेढ़ प्रतिशत पर अटकी हुई है, बल्कि अफसरशाही इस पर भी कुंडली मार के बैठ जाती है।
गन की गोली से बैलिस्टिक मिसाइल तक में हिस्सेदारी
रेवाड़ी के धातु उद्योग से तैयार होने वाले प्रोडेक्ट घर में प्रयोग होने वाले बल्ब से लेकर हर प्रकार की छोटी-बड़ी मशीनरी में प्रयोग होते हैं। इतना ही नहीं देश की सुरक्षा में सैनिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली गन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल मिसाइल में भी अपनी हिस्सेदारी है। बैलिस्टिक मिसाइसों में प्रयोग होने वाली यूरिका वायर भी रेवाड़ी में तैयार होती है। इनकी संख्या समय के साथ सीमित हुई है।
गेट से प्लांट तक कोरोना की पहरेदारी
कोरोना को जिंदगी का हिस्सा मानकर धातु उद्योग के कारोबारी कंपनी कर्मचारियों के बचाव के लिए एंट्री गेट से प्लांट तक कोरोना की पहरेदारी कर रहे हैं। गेट से इन और आउट पर मॉस्क के सेनिटाइजेशन के साथ थर्मल स्क्रीनिंग आवश्यक की हुई है। कार्यस्थल पर सोशल डिस्टेसिंग की गाइडलाइन को फॉलो किया जा रहा है।
सबसे अधिक 72 दिन रही लॉक
प्रदेश में भले ही लॉकडाउन-4 में इंडस्ट्री खुलनी शुरू हो गई थी, परंतु धातु उद्योग अनलॉक होने के बावजूद दो जून तक बंद रहे। शहर के अंदर होने के कारण लॉकडाउन में प्रशासन से खोलने की अनुमति नहीं मिल पाई। हालांकि इन्हें शिफ्ट करने के लिए 1990 में रेवाड़ी में बाइपास पर औद्योगिक सेक्टर काट दिया गया था, परंतु पहले प्रशासनिक उदासनीता और फिर कानूनी दाव-पेंचों के कारण शिफ्ट करने का सपना 30 साल बाद आज तक पूरा नहीं हो पाया है।
दबाव नहीं सहयोग से बनेगी बात
लॉक डाउन में सरकार ने उद्यमियों पर दबाव बनाने की कौशिक की, जबकि हमें सहयोग की उम्मीद थी। सरकार के सहयोग बिना दो-तीन महीने घर बैठे कर्मचारियों को 100 प्रतिशत वेतन देना संभव नहीं है, परंतु नियमानुसार सरकार के निदेर्शों को हमेशा माना है। एक सीमा में रहकर अपने साथ वर्षों से जुड़े लोगों का ख्याल रखना बिना किसी आदेश भी हमारी जिम्मेदारी है, जिसके लिए हम हमेशा तैयार रहते हैं। - सुभाष जैन, एमडी अग्रवाल मेटल एवं कार्यकारिणी सदस्य आरआईए।
उभरने में लगेगा वक्त
लॉकडाउन तो खुल गया है, परंतु महामारी के बाद हालात अभी सामान्य नहीं हो पाए हैं। हमें हालात सामान्य होने का इंतजार करना होगा। डिमांड नहीं होने के कारण अभी उत्पादन 15 से 20 फीसदी तक ही हो पा रहा है। सरकार मदद करे तो फिर से उद्योगों को गति मिले। -दिनेश गोयल, एमडी डिन्को ग्रुप एवं कार्यकारिणी सदस्य आरआईए।
सरकार का सहयोग जरूरी
पीतल उद्योग को लॉकडाउन में काम करने की छूट का लाभ नहीं मिला। देश में धातु की 50 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति रेवाड़ी से पूरी होती है। सरकार चाइना की तरह इंसेटिव देना शुरू कर तो हम विदेशों में चाइन को टक्कर देकर अपनी हिस्सेंदारी बढ़ा सकते हैं। गुणवत्ता में हमारे प्रोडेक्ट चाइना से बेहतर है। सरकार से सहयोग मिले बिना हमारे लिए वर्तमान परिस्थितियों में उभरना मुश्किल दिख रहा है। -अमित गुप्ता, एमडी विपिन मेटल एवं प्रधान रेवाड़ी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन।
नुकसान का आकलन संभव नहीं
आंकड़ों से नुकसान का आंकलन नहीं हो सकता। अभी भी 15-20 फीसदी ही उत्पादन हो पा रहा है। आर्थिक पहिया पूरी गति के साथ घूमने तक हालात सामान्य होने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। सरकार नए लोन देने की बजाय कंपनियों का पुराना ट्रैक रिकार्ड देख सहयोग करे। इससे कंपनियों को लॉकडाउन पटरी से उतरी व्यवस्था को दुरूस्त करने में मदद मिलेगी। -रिपुदमन गुप्ता, एमडी बीएमजी ग्रुप एवं चेयरमैन रेवाड़ी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन।
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