Rewari : नाहड़ में बंदरों के आतंक से ग्रामीण परेशान, कई लोग हुए जख्मी

- 3 माह पूर्व 400 के करीब पकड़वाएं थे बंदर, बीहड़ से फिर से गांव में बढ़ी संख्या
- स्वास्थ्य केंद्र में नहीं रेबिज के इंजेक्शन, प्राइवेट अस्पताल में लगवा रहे मरीज
Rewari : गांव नाहड़ में एक बार फिर बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। गांव की गली में घरों में घूमते बंदर लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। बंदर घरों में नुकसान करने के साथ-साथ काफी बच्चों, वृद्धजनों तथा महिलाओं को जख्मी भी कर चुके हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई है। इस संदर्भ में ग्रामीण पहले भी कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके है, लेकिन कोई कारगर समाधान नहीं हुआ।
करीब तीन माह पूर्व ग्राम पंचायत नाहड़ की ओर से करीब 400 बंदरों को पकड़वाकर मानेसर की पहाड़ियों में छुड़वाया गया था, लेकिन उस समय सभी बंदर नहीं पकड़े गए थे। इसके अलावा नजदीक के बीहड़ से भारी तादाद में बंदर गांव में आ गए है। स्वास्थ्य केंद्र नाहड़ में रोजाना बंदरों व कुत्तों के काटने से मरीज बढ़ रहे हैं। अस्पताल में रेबिज के इंजेक्शन नहीं होने के कारण लोगों को बाहर से महंगे दामों में इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है। झुंड के रूप में गली- मोहल्ले में उत्पात मचाते बंदरों के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। नाहड़ के सरपंच महेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ समय पहले ही करीब 400 बंदर पकड़वाए गए थे, लेकिन पास के बीहड़ से भारी संख्या में बंदर फिर से गांव में आ गए है। क्योंकि बीहड़ में भी अन्य जगह से बंदर पकड़कर छोड़े बाहर से भी बंदर छोड़ जाते-जाते हैं। बीहड़ में बंदरों की संख्या आए दिन बढ़ रही है। अधिकारियों वा सामाजिक संगठनों की सलाह पर पंचायत बंदरों के समाधान के लिए तैयार है।
महिलाओं व बच्चों पर हमला कर रहे बंदर
पिछले दिनों गली से गुजरते हुई महिला व बच्चों पर बंदरों ने हमला करके घायल कर दिया। लोगों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें बंदरों से बचाया। महिलाओं को सुबह शाम कचरा डालने, दूध तथा दूसरे सामान लाने के लिए घर से बाहर जाना होता है। ऐसे में गली में झुंड में घूम रहे बंदरों के काटने का भय बना रहता है। बंदर महिलाओं तथा बच्चों के हाथ में थैली व सामान देखकर झपट पड़ते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान गांव में बंदरों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। बंदर घरों के अंदर घुसकर फ्रिज खोलकर खाने का सामान निकाल लेते हैं तथा काफी सामान को नष्ट भी कर देते हैं। छत पर सूखते कपड़ों को फाड़ने के साथ-साथ बंदर पेयजल की पाइप लाइनों तथा टंकियों को भी तोड़ रहे हैं।
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