कागजों की अमीरी बीपीएल पर भारी : नाम कटने के बाद खुल रहे बड़े राज, नौकरों के नाम पर खोले बैंक खातों को मेनटेन कर रहे मालिक

कागजों की अमीरी बीपीएल पर भारी : नाम कटने के बाद खुल रहे बड़े राज, नौकरों के नाम पर खोले बैंक खातों को मेनटेन कर रहे मालिक
X
प्रदेश में 1.80 लाख रुपए तक आय वाले परिवारों को ऑटोमैटिक बीपीएल सूची में शामिल किए जाने व अधिक आय वाले परिवारों के नाम कटने के बाद पीपीपी में आय सत्यापित कराने के लिए सीएससी सेंटरों व अन्य स्थानों पर जाने वाले लोगों के सामने खुद के अमीर होने के चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं।

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी। पीपीपी और आधार कार्डों का बैंक खातों से लेकर बिजली कनेक्शनों तक से लिंक होने के बाद दिन भर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बैठाने के लिए पसीना बहाने वाले लोगों के सामने बड़ी आफत खड़ी हो गई। बीपीएल सूची से नाम कटने के बाद आय सत्यापन के लिए मशक्कत कर रहे कई लोगों को उस समय जोर का झटका लग रहा है, जब उन्हें पता चल रहा है कि वह कागजों में गरीब नहीं, बल्कि मालामाल हैं। आय सत्यापन कराते समय वास्तव में गरीब लोगों को अपनी 'कागजी अमीरी' का पता चल रहा है।

प्रदेश में 1.80 लाख रुपए तक आय वाले परिवारों को ऑटोमैटिक बीपीएल सूची में शामिल किए जाने व अधिक आय वाले परिवारों के नाम कटने के बाद पीपीपी में आय सत्यापित कराने के लिए सीएससी सेंटरों व अन्य स्थानों पर जाने वाले लोगों के सामने खुद के अमीर होने के चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं। वास्तव में बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जिन्हें परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने में दिन भर पसीना बहाना पड़ता है। सेठ साहूकारों ने ऐसे लोगों के नाम से लेकर राशनकार्डों तक का जमकर दुरुपयोग किया हुआ है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कई मालिक ऐसे हैं, जिन्होंने टैक्स से बचने के लिए नौकरों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाए हुए हैं। इन बैंक खातों को मालिक न सिर्फ मेनटेन करते हैं, बल्कि नौकरों के नाम पर इनकम टैक्स रिटर्न भी फाइल कर रहे हैं।

हाल ही में एक महिला के नाम पर बिजली कनेक्शन को 15 साल से दूसरे गांव का सेठ इस्तेमाल करने का मामला सामने आ चुका है। शहर में लगभग 3 दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनके बीपीएल सूची से नाम कटने के बाद कागजों में आय ज्यादा नजर आने लगी है। जनधन योजना के तहत खुलवाए गए जीरो बैलेंस के बैंक खातों का इस्तेमाल नियोक्ता अपने लिए कर रहे हैं, ताकि उन्हें टैक्स से राहत मिल सके। रेहड़ी वालों से लेकर दुकानों पर काम करने वाले नौकरों तक के नाम पर चल रहे बैंक खातों को नियोक्ता खुद यूज कर रहे हैं, जबकि खाताधारक खुद पाई-पाई के मोहताज बने हुए हैं। इन बैंक खातों के पीपीपी से लिंक होने के बाद कई परिवार बीपीएल का लाभ लेने से वंचित हो चुके हैं।

पता लगने के बाद बना रहे दबाव

मालिकों की कारस्तानी के कारण बीपीएल सूची से नाम कटने पर जब लोगों को हकीकत पता चल रही है, तो वह एक बार 'बगावती तेवर' का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद मालिक अपने पास नौकरी करने वाले लोगों को किसी तरह मुंह बंद रखने के लिए तैयार किया जा रहा है। कई ऐसे मालिकों को अब जालसाजी के केस में फंसने की आशंका सताने लगी है। नौकरों को प्रलोभन देकर किसी तरह शांत किया जा रहा है, परंतु जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्रवाई शुरू होने के संकेत भी मिल रहे हैं।

सिमकार्ड भी नौकरों के नाम पर

सूत्र बताते हैं कि कई नियोक्ता अपने नौकरों के नाम पर सिमकार्ड लेकर उसे अपने मोबाइल फोन में यूज कर रहे हैं। इसके बाद यूपीआई नंबरों और फोन-पे के जरिए ट्रांजेक्शन भी किए जाते हैं, ताकि वह खुद ज्यादा ट्रांजेक्शन के चक्कर में फंसने से बच सकें। ऐसी स्थितियों में यह ट्रांजेक्शन नौकरों और कर्मचारियों के नाम हो जाती हैं। सिस्टम ऑनलाइन होने के कारण ऐसे लोगों के नाम भी बीपीएल सूची से कट चुके हैं। आईटीआर भरे जाने के कारण भी परिवार बीपीएल की सूची से बाहर हो गए हैं।

जानकारी मिलते ही दें सूचना

अगर किसी श्रमिक या नौकर के नाम पर बैंक खाते खुलवाए हुए हैं, तो उन्हें इसकी सूचना प्रशासन को देनी चाहिए। किसी के नाम का इस्तेमाल करते हुए टैक्स की चोरी करने और आर्थिक लाभ उठाने वाले लोगों के खिलाफ प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी। - अशोक कुमार गर्ग, डीसी।

खूब आ रही ऐसी शिकायतें

मेरे कार्यालय में इस तरह की कई शिकायतें आ चुकी हैं। लगभग 30 केस ऐसे सामने आ चुके हैं, जिनमें वास्तव में गरीब लोगों के नाम बीपीएल सूची से दूसरे कारणों के चलते कटे हैं। इनमें बैंक खातों का लेनदेन भी शामिल है। - सतीश खोला, प्रदेश संयोजक, भाजपा सेवा प्रकोष्ठ।

Tags

Next Story