राइट-टू-सर्विस कमीशन ने कई विभागों की मनमानी पर कसा शिकंजा, फाइलें अटकाने वाले अधिकारियों की अब खैर नहीं

चंडीगढ़। हरियाणा में सेवा का अधिकार आयोग ( राइट-टू-सर्विस कमीशन ) की ओर से समयबद्ध तरीके से लोगों को सर्विस प्रदान करने वाले कईं विभागों में तैनात अफसरों की मनमानी पर भी अब शिकंजा कसने की शुरुआत कर दी है। इस क्रम में कईं चर्चित विभागों में लोगों के काम लटकाए रखने को लेकर स्वत संज्ञान लेने का काम किया है। इसी तरह से एमएसएमई इंडस्ट्री से जुड़े लगभग एक हजार मामलों की फाइलें लटकाए जाने को लेकर भी राइट-टू-सर्विस ने अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कमीशन द्वारा संज्ञान लिए जाने का असर यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में मामलों का निस्तारण शुरु हो गया है, वहीं विभाग के संबंधित अफसरों ने यह भी साफ कर दिया है कि वे आने वाले वक्त में समयबद्ध तरीके से कामकाज का निस्तारण करेंगे।
लघु एवं सूक्ष्म उद्योग से जुड़े मामलों में इंडस्ट्री विभाग में एक हजार से ज्यादा मामलों में तय समय सीमा समाप्त हो जाने के बावजूद भी हीला-हवाली की जा रही थी। इस संबंध में राइट टू सर्विस आयोग चेयरमैन टीसी गुप्ता के संज्ञान में भी लघु इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने मामले डाले थे। इतना ही नहीं जब पता लगा कि एक हजार से ऊपर विभिन्न सर्विस देने संबंधी मामलों को लंबित रखा जा रहा है। जो काम एक माह में होने थे, उनमें सात से आठ महीने का वक्त लगा दिया गया है।
हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत अधिसूचित सेवाओं में देरी करने वाले अफसरों और लिपिकों की खैर नहीं है। सेवा का अधिकार आयोग ने मामलों में बेहद ही सख्ती बरतते हुए संज्ञान लेना शुरू कर दिया है। बीते दिनों आयोग के कारण बताओ नोटिस पर तीन अहम विभागों के अफसरों ने आयोग में पेश होकर सफाई दी है। अफसरों ने आयोग को यह भी आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसा नहीं किया जाएगा। अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ आयोग में जहां लिखित में शिकायतें पहुंच रही है, तो वहीं नया साफ्टवेयर ऑटो अपील सिस्टम 'आस' किसी वरदान से कम नहीं है। इस सिस्टम से अब किसी भी तरह की सेवा का लाभ लेने वालों को शिकायत करने की जरूरत नहीं है।
एमएसएमई और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, वित्त विभाग अफसरों पर शिकंजा
सेवा के अधिकार के तहत आयोग के बुलावे पर बीती 18 अक्तूबर को वित्त विभाग व इसके अलावा एमएसएमई, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभागीय अफसरों ने आयोग के समक्ष पेश होकर सफाई पेश की थी। मामले में आयोग ने एसीएस. वित्त, महानिदेशक एमएसएमई और महानिदेशक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। एमएसएमई. से जुड़े मामले में अफसरों ने आयोग के सामने सफाई दी और कहा कि उनके यहां स्टाफ की कमी और पेंंडिंग मामलों की संख्या ज्यादा होने व पेमेंट करने में थोड़ी देरी हुई है, भविष्य में दिक्कत नहीं आएगी। इसी तरह से सीएलयू. के मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अफसर ने बताया कि उक्त मामला अधिसूचित सेवा में नहीं है क्योंकि यहां की फाइलें मुख्यमंत्री तक तक जाती हैं। जिस पर आयोग ने साफ किया कि उक्त पूरे मामले में आयोग के सामने फाइल की नोटिंग दी जाए, इसके बाद ही उस पर विचार मंथन कर अगला आदेश दिया जाएगा।
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