बिना सर्वे के छीन लिया गरीबों का हक : परिवार पहचान पत्र में कम वार्षिक आय होने के बावजूद भी काट दिए पात्रों के बीपीएल कार्ड

बिना सर्वे के छीन लिया गरीबों का हक : परिवार पहचान पत्र में कम वार्षिक आय होने के बावजूद भी काट दिए पात्रों के बीपीएल कार्ड
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पीड़ित परिवारों के अनुसार घर-घर जाकर सर्वे होना चाहिए था कि आखिर परिवार की क्या स्थिति है। केवल पहचान पत्र के आधार पर कार्ड काटना सरासर गलत है।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

शासन प्रशासन ने परिवार पहचान पत्र में दर्ज गलत इनकम के आधार पर बिना सर्वे के ही गरीबों के हकों पर डाल दिया है। वर्षों से बीपीएल कार्ड की सुविधा का लाभ उठा रहे उपभोक्ताओं के पीले कार्ड निरस्त कर दिए हैं। पीड़ित परिवारों के अनुसार घर-घर जाकर सर्वे होना चाहिए था कि आखिर परिवार की क्या स्थिति है। केवल पहचान पत्र के आधार पर कार्ड काटना सरासर गलत है।

दरअसल, शहर के गरीब परिवार पहले तो परिवार पहचान पत्र गलत बनने से परेशान थे और अब बीपीएल कार्ड कटने से उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं। सरकार द्वारा पूरे राज्य में नए बीपीएल राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं। सरकार उन सभी लोगो के पीले राशन कार्ड बनवा रही है, जिनकी सालाना कमाई 1 लाख 80 हजार रुपए तक की है। लेकिन राशन कार्ड बनाने में बड़ी लापरवाही सामने आ रही।

लाइनपार के हरिनगर निवासी राजेश मजदूरी करता है। उसकी 52 वर्षीय पत्नी सुनीता, 30 वर्षीय पुत्री चंचल व 25 वर्षीय पुत्र पंकज नेत्रहीन हैं। उनकी वार्षिक पारिवारिक आय 50 हजार से सवा लाख रुपए तक है। फिर भी उनसे बीपीएल परिवार की सुविधाएं छीन ली गई।

जटवाड़ा मौहल्ला निवासी ज्योति देवी विधवा हैं और उनका 12 वर्ष का बेट नमन पढ़ाई करता है। फैमिली आईडी के अनुसार उनकी आमदनी 25 हजार रुपए वार्षिक है। इसके बावजूद उनका बीपीएल कार्ड काट दिया। किला मौहल्ला निवासी 50 वर्षीय गीता रानी विधवा हैं। उनकी बेटी प्रियंका बेरोजगार और चारू छात्रा है। परिवार पहचान पत्र में इस परिवार की कुल वार्षिक आय 50 से 75 हजार रुपए दर्ज है। फिर भी उनका बीपीएल कार्ड निरस्त कर दिया गया।

किला मोहल्ला निवासी अनु ने बताया कि उनकी 7 साल की पुत्री समायरा की आय भी फैमिली आईडी में 5 से 10 हजार रुपए दर्ज है। पीड़ित परिवारों के अनुसार उनके परिवार पहचान पत्र में पहले ही जरूरत से ज्यादा आय दिखा रखी है। उसे ठीक करवाने के लिए भटक रहे हैं। ऐसे में अब बीपीएल राशन कार्ड काटकर उनकी परेशानी बढ़़ा दी है। बिना किसी जांच के कार्ड को रद्द करना सरासर गलत है। सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा आम गरीब लोगों को भुगतना पड़ रहा है।


अपनी फैमिली आईडी दिखाती ज्योति देवी, परिवार पहचान पत्र दिखाती गीता रानी।

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