Haryana roadways : हवा में जहर घोल रहीं रोडवेज की लारी, अंडर कंट्रोल नहीं बसों का पॉल्यूशन लेवल

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी
एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लगातार बड़े कदम उठाता रहता है। प्रदूषण के खतरे को देखते हुए वाहनों की उम्र सीमा तक निर्धारित कर दी गई है। रोडवेज की बसों में पॉल्यूशन कंट्रोल को लेकर किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। कई बसें सड़कों पर धुआं के गुब्बार छोड़ती दिखाई देती हैं, परंतु इन बसों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाता।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोडवेज डिपो के पास अपनी पॉल्यूशन टेस्टिंग मशीनें नहीं होने के कारण बसों में पॉल्यूशन की जांच के नाम पर महज औपचारिकता ही पूरी की जाती है। बसों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने तक सीमित रहता है। इसके लिए विभाग की एक कमेटी पॉल्यूशन कंट्रोल चेक करने वाले लोगों को इस काम का ठेका देती है। ठेका लेने वाले लोग वर्कशॉप में आकर पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल का सर्टिफिकेट जारी करते हैं। सूत्र बताते हैं कि पॉल्यूशन जांच के नाम पर महज औपचारिकता ही पूरी की जाती है। सर्टिफिकेट मिलने के बाद उसे बसों के अंदर चस्पा कर दिया जाता है। प्रदूषण जांच का कार्य भी समय पर नहीं कराया जाता, जिस कारण बड़ी संख्या में बसें वातावरण में जहर घोलने का काम करती हैं।
समयावधि हो चुकी पूरी
डिपो की कई बसों में लगे प्रदूषण सर्टिफिकेट के अनुसार उनकी प्रदूषण जांच की समयावधि पूरी हो चुकी है। इसके बाद इन बसों के प्रदूषण की जांच का कार्य नहीं कराया गया है। कई बसें सड़कों पर काला धुआं फैलाकर पर्यावरण को प्रदूषित करने का काम कर रही हैं। इसके बावजूद अधिकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
ओवर रेस से प्रदूषण
तकनीकी खामियां बसों से अधिक धुआं निकलने का कारण बन रही हैं। तकनीकी अधिकारियों के अनुसार अगर चालक अचानक ज्यादा स्पीड देते हैं, तो इससे बसों से ज्यादा धुआं निकलने लगता है। इंजन में कुछ तकनीकी खामियां भी धुएं का कारण बन जाती हैं। तकनीकी कर्मचारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते।
पुलिस नहीं करती चालान
प्रदूषण करने वाले वाहनों पर पुलिस तत्काल चालान की कार्रवाई करती है, लेकिन मामला सरकार से जुड़ा होने के कारण पुलिस रोडवेज बसों पर ऐसी कार्रवाई नहीं करती। बसों के चालक भी इनसे निकलने वाले धुएं के दुष्प्रभावों को देखते हुए उनकी खामियां दूर कराने के प्रयास नहीं करते, जिससे इन बसों से प्रदूषण फैलता है।
कई कारणों से बसों से ज्यादा धुआं निकलने लगता है। साल में एक बार प्रदूषण की जांच कराई जाती है। डिपो के पास खुद का प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है। - रामकिशन, फोरमैन, रेवाड़ी डिपो।
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