Rohtak Nagar Nigam : न ग्लब्ज, न मास्क, साबुन-तेल का हिसाब नहीं, कैसे होगी शहर की सफाई

विजय अहलावत.रोहतक। रोहतक शहर को साफ सुथरा रखने के लिए नगर निगम सफाई पखवाड़ा मना रहा है। दो अक्टूबर तक लोगों को सफाई के प्रति जागरूक कर सफाई करवाई करवाई जा रही है, लेकिन हैरानी की बात है कि जिनके कंधों पर सफाई का जिम्मा है वो खुुद ही सुविधाओं को तरस रहे हैं। न तो सरकार अनियमित सफाई कर्मचारियों को नियमित कर रही है और न ही समय पर साबुन, तेल, और रेनकोट मुहैया करवा रही है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क और ग्लब्ज भी नहीं दिए जा रहे। छोटी-छोटी मांगों के लिए उन्हें अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। गली मोहल्ले में गंदगी फैली हुई है। जिससे निपटने के लिए उन्हें ओवर टाइम करना पड़ रहा है। निजी कंपनी को ठेका जारी नहीं किया गया है। सरकार के रवैये के खिलाफ सफाई कर्मी आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
22 वार्डों पर मात्र 220 स्थाई कर्मचारी
शहर में बहुत कम संख्या में सफाई कर्मी लगाए गए हैं। निगम में अनुबंध के आधार पर 460 कर्मचारी हैं। जबकि स्थाई कर्मचारियों की संख्या सिर्फ 220 है। सफाई कर्मचारी नेताओं की माने तो 22 वार्डाें के लिए 15 सौ कर्मचारियों की जरूरत है। हर बार सरकार सफाई कर्मचारी यूनियन को आश्वासन देकर आंदोलन खत्म करवा देती है। आज तक अस्थाई कर्मचारी नियमित नहीं किए गए। सरकार ने फरवरी 2023 में निगम में कार्यरत पे रोल की सफाई कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पत्र भी जारी किया हुआ है। लेकिन पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रेनकोट से महरुम कर्मचारी
सफाई कर्मचारी बरसात के दिनाें में भी सुुबह शाम काम करते हैं। उनके लिए रेनकोट उपलब्ध करवाने के लिए कई बार निगम को लिखा जा चुका है लेकिन अधिकारियों द्वारा किसी भी कर्मचारी को रेनकोट उपलब्ध नहीं करवाया गया।
शेड और शौचालय तक नहीं
निगम में कार्य करने वाली सफाई कर्मचारी शहर के अलग-अलग हिस्सों में कार्य करते हैं। उनकी हाजिरी लगाने के लिए शेड और महिला कर्मचारियों के लिए शौचालय बनाने के लिए कई बार नगर निगम अधिकारियों को लिखा जा चुका है। आज तक इनके लिए शेड और शौचालय नहीं बनाए गए।
कर्मियों को संक्रमण का खतरा
सफाई कर्मचारियों को सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा होता है। इसलिए सरकार ने नियम बनाया हुआ है कि उनको साबुुन तेल निगम की तरफ से दिया जाएगा। हर माह साबुन, तेल देने के आदेश हैं लेकिन तीन माह से सामान नहीं मिला। अनुबंधित कर्मचारियों के ईएसआई कार्ड भी नहीं बनाए गए हैं। उन्हें गंदगी हाथों से उठानी पड़ती है इसलिए ग्लब्ज और मास्क होने चाहिए। लेकिन काफी समय से दोनों ही नहीं दिए गए। हालांकि साल में एक बार वर्दी और जूते मिल जाते हैं।
सफाई का ठेका रद
निगम ने शहर में सफाई का ठेका रद किया हुआ है। इस समय सफाई का पूरा जिम्मा निगम के कर्मचारियों पर है। निजी कंपनी का कोई कर्मचारी सफाई का काम नहीं कर रहा। जबकि कूड़ा उठाने के लिए गाड़ियां निजी कंपनी ने लगाई हुई हैं। इसी माह अंतिम सप्ताह में सफाई का ठेका होने की उम्मीद है। करीब 50 लाख की कीमत से ठेका दिया जाएगा।
सरकार के समक्ष कई बार मांगें उठाई गई हैं। सरकार और अधिकारी सफाई कर्मचारियों के प्रति गम्भीर नहीं हैं। उन्हें समय पर कोई सुविधा नहीं दी जा रही। कर्मचारियों की मांगों को लेकर आयुक्त को भी ज्ञापन दिया जा चुका है। -संजय बिड़लान, प्रधान नगर पालिका कर्मचारी संघ
सफाई कर्मचारियों को साबनु, तेल तक समय पर नहीं मिलता। सरकार के आदेश हैं कि हर माह मिलना चाहिए। रेनकोट आज तक नहीं मिले। जबकि बरसात में भी काम किया गया। उनकी मांगों को पूरा करवाने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। -श्रवण बोहत, महासचिव, नगर पालिका कर्मचारी संघ
सफाई पखवाड़ा मनाया जा रहा है। दो अक्टूबर तक लोगों को जागरु किया जाएगा। पार्षदों के नेतृत्व में सफाई करवाई जाएगी। शहर में अभी सफाई का जिम्मा निगम कर्मचारियों के कंधों पर ही है। सफाई का ठेका होने के बाद उन पर काम का ज्यादा बोझ नहीं रहेगा। कुछ दिनों के लिए परेशानी है। -मनमोहन गोयल, मेयर
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