रोहतक : नोबल ब्लड सेंटर में बिना अनुभव निकाल रहे थे लोगों का खून, डॉक्टर पर FIR, सेंटर पर तुरंत रोक

हरिभूमि न्यूज : रोहतक
दिल्ली बाईपास पर नोबल ब्लड सेंटर में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इस सेंटर को जो डॉक्टर चला रहा था उसके पास खून लेने और चढ़ाने का अनुभव ही नहीं था। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर सेंटर का संचालन किया जा रहा था। मामला स्टेट ड्रग कंट्रोलर के पास पहुंचा तो सबकुछ साफ हो गया। रोहतक के वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी कृष्ण कुमार गर्ग ने ब्लड सेंटर पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के निर्देश दिए और डॉक्टर पर एफआईआर भी करवा दी है। हुआ यूं कि नोबल ब्लड सेंटर ने अपने ब्लड सेंटर के मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज होशियार सिंह के त्यागपत्र देने पर उनकी जगह अन्य डॉ. दीपक कुमार को मेडिकल ऑफिसर नियुक्त करने की सूचना स्टेट ड्रग कंट्रोलर को दी। साथ ही डॉ. दीपक के शपथ पत्र के साथ अनुभव प्रमाण पत्र भी उनके कार्यालय के जमा करवाया। इस अनुभव प्रमाण पत्र के अनुसार गाजियाबाद उत्तरप्रदेश में स्थित ली क्रेस्ट ब्लड सेंटर में डॉ. दीपक को कार्यरत दिखाया गया था।
अनुभव प्रमाण पत्र को स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने जांच के लिए उत्तर प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर को लखनऊ भी भेजा। जिन्होंने स्टेट ड्रग कंट्रोलर को पत्र द्वारा सूचित किया कि उपरोक्त डॉ. दीपक कुमार के ली क्रेस्ट ब्लड सेंटर गाजियाबाद के लाइसेंस पर कार्यरत नहीं है। आरंभिक जांच में यह भी पाया गया कि उपरोक्त प्रमाण पत्र संदीप कुमार अहलावत अधिकृत हस्ताक्षरी ली क्रेस्ट ब्लड सेंटर गाजियाबाद जो कि नोबल ब्लड सेंटर का भी महाप्रबंधक है, से साठगांठ कर डॉ. दीपक ने बनवाया। वरिष्ट औषधि नियंत्रण अधिकारी ने थाना अर्बन एस्टेट में डॉ. दीपक निवासी मुनिमपुर ककरोला (झज्जर) और अन्य पर एफआईआर दर्ज करवा दी है। इसकी जांच के लिए रोहतक जोन के वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी कृष्ण कुमार गर्ग, मेरठ डिवीजन के सहायक आयुक्त एफडीए वीरेंद्र कुमार और गाजियाबाद के ड्रग इंस्पेक्टर अनुरोध कुमार के साथ 6 सितंबर को गाजियाबद के ली क्रेस्ट ब्लड सैंटर पहुंचे। वहां मौजूद अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विवेक गर्ग ने लिखित में बताया कि उपरोक्त डॉ. दीपक कुमार ने उनके ब्लड सेंटर में कभी काम नहीं किया और दीपक के कथित अनुभव पत्र के बारे में भी अनभिज्ञता जाहिर की।
इसके बाद वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी अपनी टीम के साथ 7 सितंबर को ब्लड सेंटर पर पहुंचे। वहां उन्होंने डॉ. दीपक द्वारा तथा उसकी देखरेख में किए गए रक्तकेंद्र संबंधित कागजात कब्जे में लिए। क्योंकि ब्लड सेंटर गैर अनुभवी तथा गैर अनुमोदित मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में चल रहा था, ऐसे में रक्त और रक्त की गुणवता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इससे रक्तदाता और रक्त ग्रहता की जान को जोखिम हो सकता है। रोहतक के वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी ने नोबल ब्लड सेंटर के संचालन पर तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए।
ये योग्यता जरूरी
बता दें कि कानून के मुताबिक ब्लड सेंटर के स्वतंत्र रूप से मेडीकल ऑफिसर इंचार्ज के पद पर कार्य करने के लिए एमएमबीएस के बाद ब्लड सेंटर में एक वर्ष के लिए नियमित तौर पर पूर्व अनुमोदित मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में कार्यरत होना, अनुभव होना और ब्लड ग्रुप सीरोलॉजी, ब्लड ग्रुप मेथोडोलॉजी और रक्त और उसके अवयव निर्माण के चिकित्सीय सिद्धांतों का पर्याप्त ज्ञान जरूरी होता है।
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