Right to Information Act : 18 साल का हुआ आरटीआई एक्ट, अब आसान नहीं रहा सूचना लेना

Right to Information Act : 18 साल का हुआ आरटीआई एक्ट, अब आसान नहीं रहा सूचना लेना
X
राज्य सूचना आयोग अधिकारियों पर 5.38 करोड़ का जुर्माना लगा चुका है। वहीं आवेदकों को 89.11 लाख हर्जाना भी दिलवाया चुका है।

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़। आज से 18 साल पहले 12 अक्टूबर को देश में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) लागू हुआ था। उस समय शासन-प्रशासन के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही का माहौल बना। लेकिन इसके प्रति राजनेताओं और नौकरशाहों का रवैया काफी नकारात्मक रहा। सूचना आयोग भी प्रभाव नहीं छोड़ पाया। यह एक्ट लागू होने के बाद अगस्त-2023 तक हरियाणा के राज्य सूचना आयोग में कुल 1 लाख 6 हजार 528 अपील दायर हुई हैं। इस दौरान एक्ट की अवमानना के आरोप में 1920 अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई। जबकि 5.38 करोड़ रुपए जुर्माना व 89.11 लाख रुपए हर्जाना लगाया गया है।

हरियाणा की बात करें तो 12 अक्टूबर 2005 को आरटीआई लागू होने के बाद से आरटीआई एक्ट की धारा 18 (2) के तहत 10 हजार 28 और धारा 19 (3) के तहत 96 हजार 500 अपील दायर की गई। अब तक एक लाख एक हजार 969 अपील निस्तारित की जा चुकी हैं। जबकि 4 हजार 559 अपीलों पर सुनवाई जारी है। इस समयावधि के दौरान 3834 मामलों में ढिलाई बरतने के दोषी जनसूचना अधिकारियों पर आरटीआई एक्ट की धारा 20 (1) के तहत 5 करोड़ 38 लाख 98 हजार 240 रुपए जुर्माना लगाया जा चुका है। जबकि 3492 मामलों में एक्ट की धारा 19 (8) (बी) के तहत 89 लाख 11 हजार 37 रुपए बतौर हर्जाने के आरटीआई आवेदकों को दिलवाए गए हैं। इसके अलावा एक्ट की धारा 20 (2) के तहत 1920 मामलों में अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई।

यह है पूरी प्रक्रिया

आरटीआई के तहत जन सूचना अधिकारी को आवेदन के 30 दिनों के भीतर जानकारी देनी होती है। इस दौरान सूचना नहीं मिलने या सूचना से असंतुष्ट होने पर अगले 30 दिनों के भीतर प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास प्रथम अपील का प्रावधान है। प्रथम अपीलीय अधिकारी को 45 दिन में इसका निपटारा करना होता है। इस निर्णय से असंतुष्ट आवेदक अगले 90 दिनों के भीतर सूचना आयोग में द्वितीय अपील या शिकायत कर सकते हैं। प्रथम अपील अथवा द्वितीय अपील के लिए कोई शुल्क अदा नहीं करना होता।

हरियाणा सूचना अधिकार मंच के संयोजक सुभाष के अनुसार इन 18 सालों में हाल यह हो गया कि छोटे से लेकर बड़े लेवल के ऑफिस में सूचना लेने के लिए आरटीआई आवेदकों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। शुरुआत में आरटीआई के अंतर्गत आवेदन कम थे, लेकिन अब हर विभाग और एजेंसी में सूचना मांगने वाले आवेदनों की भरमार है। राज्य सूचना आयोग में भी अपील करने वालों की संख्या में कई गुणा इजाफा हुआ है। इसका एक बड़ा कारण प्रथम अपीलीय अधिकारियों की बेरुखी भी है।

आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश जून के अनुसार 30 दिनों की मियाद के बावजूद सूचना लेने के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है। प्रथम अपील और द्वितीय अपील के तहत सुनवाई की हालत भी खराब है। एक अदद सूचना मांगने वाले आरटीआई एक्टिविस्टों की जान पर भी बन आती है। जान जोखिम में डालकर भी सच उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता शासन व प्रशासन के रवैये से हताश हैं। भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा करने वाली सरकार आरटीआई से उजागर हुए घोटालों पर एक्शन की बजाए सुस्ती ही दिखाती है।

ये भी पढ़ें- बहादुरगढ़ नागरिक अस्पताल : आउटसोर्सिंग घोटाले में सवाल कई, जवाब केवल खामोशी


Tags

Next Story