आरटीएस आयोग ने लिया कड़ा संज्ञान : अधिसूचित सेवा में देरी पर जिला नगर आयुक्त महेन्द्रगढ़ के विरुद्ध की जाएगी विभागीय कार्यवाही

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग (Haryana Right To Service Commission) ने अधिकारियों पर सख्ती बरतते हुए हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत अपने कर्तव्यों की अवहेलना करने पर जिला नगर आयुक्त, महेंद्रगढ़ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।
सेवा का अधिकार आयोग के सचिव हितेन्द्र कुमार ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए आयोग को महेंद्रगढ़ के शहरी स्थानीय निकाय से संबंधित सेवाओं के लिए ऑटो अपील सिस्टम पर 15 अपीलें प्राप्त हुईं, जो कि नामित अधिकारियों द्वारा लंबित और विचाराधीन दिखा रही थीं। जब शिकायत निवारण प्राधिकरण होने के नाते डीएमसी महेंद्रगढ़ के साथ देरी के लिए ऑटो अपील प्रणाली पर अपील की गई, तो वह उस पर कोई कार्रवाई करने में भी विफल रहे, जिसके कारण मामले को आयोग के पास ले जाया गया। आयोग ने मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए उन्हें एक पत्र जारी किया।
एचआरटीएससी के सचिव ने मामले की अधिक जानकारी देते हुए बताया कि डीएमसी महेंद्रगढ़ से कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। तत्पश्चात, डीएमसी, महेंद्रगढ़ को आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए बुलाया गया। सुनवाई के दौरान, उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों को सुलझा लिया गया है लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है। हालांकि, वह इसे साबित करने के लिए आयोग के सामने कोई सबूत पेश करने में विफल रहे। सुनवाई के बाद भी, डीएमसी, महेंद्रगढ़ लंबित मामले के संबंध में आयोग को कोई संतोषजनक उत्तर देने में विफल रहे। हालांकि, आयोग ने उन्हें मामलों पर अपना रुख साबित करने के लिए पर्याप्त समय दिया। राज्यभर के नगर निगमों और डीएमसीज़ के अन्य आयुक्तों को भी इसी तरह के नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें से अधिकांश ने डीएमसी महेंद्रगढ़ के विपरीत आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
आयोग ने इससे पहले भी नोटिस जारी किए थे और एचआरटीएसए, 2014 के तहत अधिसूचित नागरिक सेवाओं के 199 मामलों के संबंध में डीएमसी, महेंद्रगढ़ के साथ सुनवाई भी की थी ताकि उन मामलों का समाधान सुनिश्चित किया जा सके और हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत शिकायत निवारण प्राधिकरण में उनके कर्तव्यों के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके। हालांकि, उसके बाद भी वर्तमान स्थिति उत्पन्न हुई। सेवा का अधिकार आयोग के सचिव ने कहा कि सरकारी सेवा में कार्यरत कोई भी कर्मचारी चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, उसे लोक सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए और उनके समय के मूल्य का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग बिना किसी पक्षपात के सार्वजनिक कार्य के प्रति अपने दृष्टिकोण में ढिलाई बरतने वाले अधिकारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करता रहेगा।
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