रूस-यूक्रेन युद्ध ने बिगाड़ा मंडियों का गणित : पिछले साल की अपेक्षा आधी घटी गेहूं की आवक, किसानों को रेट बढ़ने की भी उम्मीद

- गेहूं खरीद के 15 दिन बीतने के बाद भी अभी तक बीते वर्ष की खरीद के आंकड़े के आधे तक ही पहुंच पाई है। जबकि अब गेहूं कटाई का सीजन महज दो से तीन दिन और चलने की उम्मीद है
हरिभूमि न्यूज : भिवानी
रूस व यूक्रेन युद्ध के चलते व भाव में एकदम उछाल आने की अफवाह ने अनाज मंडियों में गेहूं की आवक का गणित पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। गेहूं खरीद के 15 दिन बीतने के बाद भी अभी तक बीते वर्ष की खरीद के आंकड़े के आधे तक ही पहुंच पाई है। बीते साल 15 अप्रैल तक सरकारी खरीद एजेंसियों ने भिवानी ( भिवानी, चांग, धनाना, बवानीखेड़ा ) की मंडियों में मात्र 4 लाख 6 हजार दो सौ 47 क्विंटल गेहूं खरीद हो पाई थी, जबकि इस बार अभी तक दो लाख 42 हजार 634 क्विंटल गेहूं अनाज मंडियों में पहुंचा है। यह स्थिति तब बनी है। जब गेहूं का सीजन ( कम्बाइन मशीन से कटाई ) का सीजन महज दो से तीन दिन और चलने की उम्मीद है। गेहूं कम आने का दूसरा कारण किसान गेहूं को खेतों से निकालकर मंडियों की बजाए सीधे अपने घरों में उतारना भी माना जा रहा है।
बीते साल भी पहली अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई थी और इस बार भी इसी तारीख से खरीद प्रक्रिया शुरू की गई। शुरू की तीन.चार तारीखों तक मंडियों में गेहूं पहुंचा ही नहीं, लेकिन उसके बाद गेहूं की आवक ने थोड़ी सी गति पकड़ी। 15 अप्रैल तक भिवानी, चांग, धनाना, बवानीखेड़ा की अनाजमंडियों में 242834 क्विंटल ही गेहूं पहुंच पाया है। कम्बाईन मशीन से गेहूं निकालने का कार्य महज दो से तीन दिन ओर चल सकता है। उसके बाद मंडियों में गेहूं की आवक पर विराम लग सकता है। हालांकि जिन किसानों ने चारे के लिए गेहूं की कटाई करवाई हुई है। उनमें से भी मात्र दस फिसदी किसान ही गेहूं को अनाजमंडियों तक ला पाएंगे। उन किसानों को भी गेहूं के भाव में बढौतरी की संभावनाएं लग रही है। ऐसे में खरीद एजेंसी बीते साल के 15 दिनों की खरीद के आंकड़े को भी नहीं छू पाएंगी।
फसलों के भाव बढने की अफवाह ने कराया किसानों पर गेहूं का स्टॉक
बताते है कि विगत में गेहूं व अन्य फसलों की कीमतों में उछाल की अफवाह फैली। साथ ही पशुओं के चारे की कीमतों में बेहताशा बढौतरी होने की अफवाह ने गेहूं की कटाई करवा दी। चूंकि अधिकांश किसान अपनी गेहूं की फसल की लागत कम करने के लिए कम्बाइन मशीन से गेहूं की कटाई करवाते थे,लेकिन इस बार पशु चारे के कीमतें आसमान पर होने की वजह से किसानों ने अपनी फसलों की कटाई करवाई। जिसकी वजह से केवल कम्बाइन मशीन से निकला हुआ आधा गेहूं की अनाजमंडियों में पहुंचा है,जबकि जिन किसानों ने गेहूं की फसल की कटाई करवाई हुई है। उन किसानों ने अपनी गेहूं की फसल अभी निकाली ही नहीं है। अगर गेहूं के भाव में उछाल आया तो वे किसान भी अपनी गेहूं की फसल को सीधे घरों में ले जाएंगे। यदि कीमत कम रही तो फिर मंडियों में पहुंच सकता है।
लोहारू में नहीं मिला एक भी दाना गेहूं का
सरकारी खरीद शुरू होने के दो सप्ताह बीतने के बाद लोहारू अनाजमंडी की स्थिति बेहद पतली रही। उक्त अनाजमंडी में अभी सरकारी एजेंसी के खाते में एक भी दाने की खरीद नहीं हो पाई। ढिगावा मंडी में महज 70 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हैफेड कर पाई है। यही स्थिति जुई अनाजमंडी की रही। वहां पर अभी तक 1000 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। उक्त सभी अनाजमंडी व खरीद केंद्रों पर सारी व्यवस्थाएं मुक्कमल है, लेकिन किसान अपनी फसल लेकर नहीं पहुंच रहे है।
क्या कहते हैं अधिकारी
मार्केट कमेटी के सचिव हीरालाल ने बताया कि इस बार अभी तक अनाजमंडी में आधा गेहूं ही पहुंच पाया है। पिछले साल 15 अप्रैल तक करीब चार लाख क्ंिवटल के आसपास गेहूं पहुंचा था,लेकिन इस बार अभी तक 2 लाख 42 हजार क्विंटल ही गेहूं पहुंचा है। जिन किसानों की गुंजाइश है। उन किसानों ने गेहूं को अनाजमंडियों में ले जाने की बजाए सीधे अपने घरों में उतार लिया। जिसकी वजह से मंडियों में गेहूं कम पहुंच पाया है।
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