Russia Ukraine War : यूक्रेन छोड़ने से पहले हरियाणा की इस बच्ची ने विक्ट्री चिन्ह बनाकर जीते दिल, फोटो वायरल

हरिभूमि न्यूज. गुहला-चीका (कैथल)
रूस व युक्रेन युद्ध के दौरान जहां पूरे विश्व में गोला बारूद, मिसाइलों व यहां तक की परमाणु बमों तक की चर्चा हो रही है और लोग युद्ध से जूझ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति, वहां के निवासियों के हौसले को सलाम कर रहे हैं, वहीं हरियाणा के जिला कैथल के हलका गुहला की दो छोटी-छोटी बहनों की जिन्दादिली की भी दोनों देशों की सेना व वहां के लोग भी दाद दिए बगैर नहीं रह रहे। दरअसल यहां का एक युवक रघुबीर सिंह अपने परिवार के साथ रूस व यूक्रेन के बीच फंसा हुआ है और वहां से निकलने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है।
इसी बीच कल जब वह यूक्रेन से पोलैंड की तरफ रवाना हुआ तो उसके साथ उसकी पत्नी व दो बेटियां भी थी और बरसते बम के गोलों के शोर के बीच बेटी यक्षिता ने अपनी दो अंगुलियों से जब विक्ट्री निशान बनाकर अपनी मुस्कान बिखेरी, तो वहां मौजूद सैनिकों व वहां खड़े लोगों के चेहरों से भी एक बार तो युद्ध का भय मानों गायब ही हो गया हो। इसी बीच जब लोगों ने अपने मोबाइल से वह सीन कैप्चर किया तो जल्द ही वह फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गई।
बम धमाकों के बीच पैदा होने वाली यक्षिता की फोटो भी हो रही वायरल
युद्ध के दौरान बम धमाकों के बीच जन्मी बच्ची यक्षिता ने जब यूक्रेन से पोलैंड की तरफ अपने परिवार के साथ पहले रेल व बाद में कुछ समय तक सड़क से सफर तय किया तो यह हृदय विदारक दृश्य देखकर लोग अपने मुंह में अंगुलियां दबाने को मजबूर हो गए। मालूम रहे कि जब यक्षिता ने करीब एक सप्ताह पूर्व अपने जन्म के बाद पहली बार दुनिया देखी तो उसे यह नहीं पता था कि चारों तरफ बमों के धमाकों की गूंज उसका स्वागत करेगी। यही नहीं जब उसके माता पिता ने यूके्रन छोड़ा तो पहले रेल व बाद में कुछ किमी तक सड़क के रास्ते बग्घी पर चल रही नन्ही परी व एक सप्ताह की जच्चा उसकी मां को देखा तो लोग इस परिवार के हौसलों की एक बार फिर दाद दिए बगैर नहीं रह सके और बग्घी में चल रही यक्षिता की फोटो भी सोशल मीडिया पर जल्द ही वायरल हो गई।
भारत की धरती चूमी तो फफक- फफक कर रो पड़े छात्र
यूक्रेन और रूस में पिछले छह दिन से शुरू हुए भीषण महायुद्ध के बीच जब इस क्षेत्र के करीब एक दर्जन विद्यार्थियों ने जब अपने वतन की धरती चूमी तो भावविभोर हो, उनकी आंखें छलक आई और वे अपने परिजनों को मिलकर फफक फफक कर रो पड़े।छात्र योगेश सैनी, तनूजा शर्मा, योगिता शर्मा व शिवानी ने वहां पर अपने अनुभव बताते हुए कहा कि वहां चारों तरफ मौत का तांडव है और हर व्यक्ति व छात्र को जल्द से जल्द वहां से निकलने की पड़ी है और बॉर्डरों तक पहुंचने का कोई भी साधन मुहैया नहीं है।
ज्यादातर यूनिवस्टिज 250 से 1500 किलोमटीर की दूरी पर है। ज्यादातर ट्रेनें बंद ही है यदि चल भी रही है तो उसमें यूक्रेनियन महिलाओं बच्चे व बूढ़ों से खचाखच भरी हुई है जिसमें सवार होना नामुमकिन सा है। करियाना स्टोर में ज्यादातर में रोजमर्रा का सामान समाप्त हो चुका है और कहीं है भी तो लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है। सभी एटीएम खाली हो चुके है। बैंक खातों में पैसे होने के बाद भी किसी के पास कैश नहीं है जबकि बॉर्डर तक पहुंचने के लिए कैश जरूरी है इसलिए भी ज्यादातर बच्चे वहां फंसे हुए है।
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