डाॅ. एल. एस. यादव का लेख : रूस रक्षा सहयोग करता रहेगा

डाॅ. एल. एस. यादव
रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच उसने भारत को सतह से हवा में मार करने वाली दूसरी अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की आपूर्ति शुरू कर दी है। गौरतलब है कि यह आपूर्ति तय समय से पहले की गई है। इस महीने के अंत तक इस प्रणाली के सभी उपकरणों की आपूर्ति रूस द्वारा कर दी जाएगी। पूरे उपकरणों के मिलने के बाद इसकी तैनाती कर दी जाएगी। एस-400 ट्रायम्फ की दूसरी मिसाइल रक्षा प्रणाली की प्रशिक्षण स्क्वाड्रन है। इसमें केवल सिमुलेटर और प्रशिक्षण से संबंधित कुछ अन्य उपकरण ही शामिल हैं। इसमें मिसाइल या लॉन्चर जैसे उपकरण नहीं हैं।
रूस की तरफ से इस रक्षा प्रणाली के सभी उपकरणों की आपूर्ति जारी रहेगी। अभी तक इसमें कोई बाधा नहीं आई है। हालांकि भविष्य में इसकी आपूर्ति जारी रखने को लेकर कुछ चिंताएं जरूर हैं, क्योंकि रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण भारत रूसी कंपनियों को भुगतान नहीं कर पा रहा है। अभी रूस से जो उपकरण मिले हैं उनमें मरम्मत किए गए लड़ाकू विमानों के इंजन और पुर्जे भी शामिल हैं। इसके साथ ही एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली स्क्वाड्रन के आखिरी उपकरण भी शामिल हैं। इस मिसाइल रक्षा प्रणाली के मिलने से भारत की पश्िचमी और उत्तरी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
रूस ने यूक्रेन युद्ध के बावजूद हथियारों की आपूर्ति पर कोई असर न पड़ने देने का भारत से वादा किया है। मिसाइल रक्षा प्रणाली की तरह भारतीय नौसेना को तलवार श्रेणी के दो स्टील्थ फ्रिगेट तय समय पर देने का भरोसा दिलाया है। उल्लेखनीय है कि स्टील्थ फ्रिगेट राडार की पकड़ में न आने वाल युद्धपोत हैं। भारत और रूस के बीच वर्ष 2016 में चार स्टील्थ फ्रिगेट की खरीद का सौदा हुआ था। एक अरब डाॅलर के इस समझौते में यह निश्िचत हुआ था कि दो स्टील्थ फिग्रेट रूस में बनाए जाएंगे और बाकी दो निर्माण तकनीक हस्तांतरण के बाद गोवा शिपयार्ड में किया जाएगा। रूस में बनने वाले दोनों फ्रिगेट 2022 के अंत तक भारत को मिलने वाले थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इनके निर्माण में देरी हो गई। अब पहला फ्रिगेट 2023 के मध्य में भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा। गोवा में बनने वाले दोनों पोतों में से पहला 2026 में बनकर तैयार हो जाएगा।
भारत से पहले यह डिफेंस सिस्टम चीन और तुर्की की सेना में शामिल हो चुका है। यही नहीं चीन ने तो तनाव को देखते हुए लद्दाख सीमा क्षेत्र में इसे तिब्बत में तैनात भी कर रखा है। एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल हथियार नहीं बल्कि महाबली है। इसके सामने बड़े से बड़ा शत्रु कांपने लगता है। इसके सामने किसी भी हथियार की कोई साजिश नहीं चलती है। यह आसमान से घात लगाकर आने वाले हमलावर हथियार को पल भर में राख में बदल देता है। इसके सामने दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला खतरनाक फाइटर जेट एफ-35 भी दुम दबाकर भाग जाता है। अमेरिका द्वारा दी जा रही पाबंदियों की धमकी के बावजूद रूस ने पहले ही भारत को आश्वस्त कर दिया था कि उसे एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति तय समय पर कर दी जाएगी। इस सौदे को निश्िचत समय सीमा के अंदर पूरा करने के लिए रूस प्रतिबद्ध है।
विदित हो कि भारत ने वर्ष 2018 में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस से पांच अरब डाॅलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को आपरेट करने का प्रशिक्षण भी भारतीय सशस़़़़्त्र सेनाओं के दल को रूस द्वारा दिया जा चुका है। रूस द्वारा एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति भारत को शुरू ऐसे शुरू की गई है जब तुर्की द्वारा की गई एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिका उससे काफी नाराज है। तुर्की द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने पर अमेरिका ने 'अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी विशेष प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए)' के तहत उस पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका के रुख में बनी हुई यह तल्खी भारत द्वारा रूस से की जा रही एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर बनी हुई है। लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस इस सिस्टम प्रणाली के जरिये 400 किलोमीटर की दूरी तक उड़ते हुए विमान, मिसाइल, छुपे हुए विमानों व ड्रोन आदि तक किसी भी लक्ष्य को निशाना बनाया जा सकता है। इस एयर डिफेन्स सिस्टम की मदद से बैलिस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। इसकी मदद से आसानी से राडार की पकड़ में न आने वाले लड़ाकू विमान भी मार गिराए जा सकते हैं।
एस-400 सुपरसोनिक एयर डिफेन्स सिस्टम में सुपरसोनिक एवं हाइपरसोनिक मिसाइलें होती हैं जो लक्ष्य को निशाना बनाने में अचूक होती हैं। इस सिस्टम की गिनती दुनिया के आधुनिकतम एंटी एयरक्राफ्ट हथियारों में होती है। इस प्रणाली के विकास की शुरुआत 1990 के दशक में हो गई थी और सन 1999 में इसे रूस की वायु सेना में शामिल किया गया था। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम नई पीढ़ी का एंटी मिसाइल और एंटी एयर क्राफ्ट हथियार है जिसे रूस के अलमाज सेन्टल डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। यह एस-300 श्रेणी का नवीनतम तथा अत्याधुनिक संस्करण है और फिलहाल इसका प्रयोग रूस की सेना कर रही है। यह प्रणाली तीन तरह का सुरक्षा घेरा मुहैया कराती है। इसके लिए तीन अलग-अलग तरह की मिसाइलों को प्रयोग में लाया जाता है। इनमें 400 किलोमीटर की अधिकतम दूरी तक मार करने के लिए 40-एम-6, लम्बी दूरी तक मार करने के लिए 48-एन-6 और मध्यम दूरी तक मार करने के लिए 9-एम-96 मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है। अपनी तरफ आने वाली शत्रु की मिसाइल को मार गिराने में सक्षम सबसे लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल की गति 4800 मील यानी कि 17000 किलोमीटर है।
यह सिस्टम दूूर से चलाई गई मिसाइलों को उपग्रहों की मदद से भांप लेता है और खतरा महसूस होते ही उस पर मिसाइलें दाग देता है। यह प्रणाली एक साथ 36 लक्ष्यांे को निशाना बना सकती है। यह पांच मीटर से तीस मीटर की ऊंचाई पर देश की तरफ आने वाली 72 मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। रूस का यह एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम अमेरिका के मिसाइल सिस्टम पैट्रियाट-3 को भी टक्कर देने वाला है। राडार की पकड़ में न आने वाला यह डिफेंस सिस्टम अमेरिका के सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक जेट फाइटर तथा स्टील्थ फाइटर एफ-35 को भी नष्ट करने में सक्षम है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS