ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधों की बिक्री बढ़ी, गांवों में भी लगा रहे पीपल, बरगद व नीम के पेड़

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़
कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों को ऑक्सीजन जुटाने में हुई। हालांकि अब ऑक्सीजन की दिक्कत खत्म हो गई है, लेकिन ऑक्सीजन का महत्व लोगों को समझ आ गया है। यही कारण है कि अब ऑक्सीजन देने वाले पौधों की मांग बढ़ गई है। लोग नर्सरियों में ऐसे पौधों की डिमांड करने लगे हैं, जो वातावरण में अधिक प्राणवायु छोड़ते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग पीपल, बरगद व नीम आदि लगा रहे हैं। शहर में रहने वाले स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, स्पाइडर प्लांट, एलोवेरा, लेडी पाम, संसबेरिया, पीस लिली, एरिका, प्रेयर, स्पाइडर, सिफोटिका व तुलसी की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया था। लोगों को संक्रमित होने के बाद इलाज तक नहीं मिल पा रहा था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार किए गए सभी निजी व सरकारी अस्पतालों के बेड फुल हो गए थे। घर के लिए ऑक्सीजन सिलेंडरों की मारामारी मची थी। इस दौरान इंटरनेट मीडिया पर कई चिकित्सकों ने पेड़-पौधों को ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने में सहायक बताया। हालांकि अब हालात सामान्य हो गए हैं। आमजन के साथ चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों व प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। लेकिन इससे सबक सीखते हुए अनेक ग्रामीण अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे पीपल, बरगद, नीम खरीदकर घरों के आसपास लगा रहे हैं।
शहरी क्षेत्र में भी लोग अब जागरूक होकर अपने घरों में ऐसे पौधे लगा रहे हैं, जो ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। इनका मानना है कि कम से कम घर का वातावरण शुद्ध बना रहेगा। नर्सरियों पर लोग ऐसे पौधे खरीदने पहुंच रहे हैं। नर्सरी संचालक मनोज ने बताया कि अभी तक लोग फूल और फुलवारी वाले पौधों की मांग करते थे, लेकिन अब लोग ऑक्सीजन अधिक देने वाले पौधों की मांग बढ़ गई है। इसके लिए लोग रुपए को लेकर बहस भी नहीं कर रहे हैं।
नर्सरी संचालक रामजीलाल ने बताया कि लोग ऐसे पौधों की जानकारी ले रहे हैं, जो ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। लोग स्नेक प्लांट, मनी प्लांट आदि की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण ऐसे पौधों की आवक पर असर पड़ा है। इसलिए कीमतें भी बढ़ गई हैं। इन पौधों की कीमत लॉकडाउन से पहले 100 रुपए तक थी, जो अब बढ़कर 150 से 200 रुपये तक हो गई है। इसी के साथ कई प्रकार के पौधे तो मिल भी नहीं पा रहे।
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