ई-टेंडरिंग के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा के लिए 15 जनवरी को टोहाना में जुटेंगे प्रदेशभर से सरपंच

ई-टेंडरिंग के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा के लिए 15 जनवरी को टोहाना में जुटेंगे प्रदेशभर से सरपंच
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इस मीटिंग में विरोधी मुहिम को लेकर पूरी रूप रेखा तय की जाएगी। साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि 23 जनवरी को पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के मधुर मिलन समारोह का किस प्रकार से विरोध किया जाए।

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद/टोहाना

एक तरफ जहां नाढोड़ी के सरपंच को लेकर विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली विवाद में उलझे हुए हैं तो दूसरी तरफ अब पंचायतों में लागू ई-टेंडरिंग का मामला भी एक आंदोलन का रूप लेने जा रहा है। ई-टेंडरिंग के विरोध में आवाज उठाने वाले हरियाणाभर के सरपंच 15 जनवरी को टोहाना में प्रदेशस्तरीय मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग में विरोधी मुहिम को लेकर पूरी रूप रेखा तय की जाएगी। साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि 23 जनवरी को पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के मधुर मिलन समारोह का किस प्रकार से विरोध किया जाए।

पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के हलके टोहाना के गांव समैन के सरपंच रणबीर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ई-टेंडरिंग के विरोध में फतेहाबाद जिला ही नहीं बल्कि प्रदेशभर के सभी जिलों के सरपंच है। इसको लेकर कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानग, पलवल, बहादुरगढ़, रोहतक, झज्जर सहित लगभग सभी जिलों में सरपंचों से उनकी बात हो चुकी है और सभी जिलों के भारी संख्या में सरपंच ई-टेंडरिंग के विरोध में एकजुट होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगले 10 दिन में रा’यभर का दौरा कर सभी सरपंचों को एकजुट किया जाएगा। इसके बाद 15 जनवरी को टोहाना में सरपंचों की राज्य स्तरीय बैठक कर आगामी आंदोलन की पूरी रूपरेखा तय की जाएगी। पंचायत मंत्री द्वारा नाढोड़ी के सरपंच को राईट टू रिकॉल की चेतावनी देने के मामले में सरपंच रणबीर सिंह ने कहा कि किसी भी सरपंच को ऐसे दबाव में काम नहीं करना चाहिए। गांव नाढोडी के लोग भी अपने गांव का माहौल खराब न होने दें। लोग ध्यान दें कि गांव में उन्होंने ही रहना है, कोई मंत्री गांव में आकर नहीं बसेंगे। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम को भी इस मामले में गौर करना चाहिए कि उनके मंत्री कैसे गलत भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।

ई-टेंडरिंग के विरोध बारे में उन्होंने कहा कि इससे गांव और पंचायतों को भारी नुकसान होगा। पंचायती सिस्टम खत्म हो जाएगा और ठेकेदार अपनी मर्जी से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सरपंचों को राईट टू रिकॉल की धमकी दी जा रही है। यदि सरपंच काम ही नहीं करेगा तो पंच और ग्रामीण खुद उसका साथ छोड़ देंगे तो इस कानून को लाने की जरूरत ही क्या है। यदि करना है तो विधायकों के लिए भी यह कानून लाया जाए। बहुत से विधायकों के हल्कों में कोई काम नहीं होते। उनके आंदोलन के पीछे किसी राजनीतिक सपोर्ट को नकारते हुए सरपंच ने कहा कि वे किसी राजनीतिक मुद्दे के लिए नहीं बल्कि ग्रामीण मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं।

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