Mustard Kharid : सरसों की सरकारी खरीद बंद, हैफेड की कमर्शियल खरीद को लेकर संशय, किसान परेशान

सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद। हैफेड (Hafed) के माध्यम से सरसों की खरीद (Sarso Ki Kharid) कर रही केन्द्रीय एजेंसी नैफेड ने सरसों की खरीद बंद कर दी है। हैफेड ने पूरे प्रदेश में 3 लाख 47 हजार 150 एमटी सरसों की खरीद की है। नैफेड का टारगेट पूरा होते ही सरसों खरीद बंद कर दी गई है। हैफेड सरसों की खरीद करेगी या नहीं, इस पर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
हैफेड ने नैफेड के लिए 15 अप्रैल से सरसों की सरकारी खरीद आरंभ की थी। हैफेड कॉ-आप्रेटिव सोसायटियों के मार्फत सरसों खरीद रही थी। हैफेड ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 3 लाख 47 हजार 150 एमटी सरसों की खरीद की है। टारगेट पूरा होते ही सरसों की खरीद बंद हो गई है। सरसों की खरीद बंद होते समय यह बताया गया था कि हैफेड अब अपने स्तर पर कमर्शियल सरसों की खरीद करेगी। यह खरीद आढ़तियों के मार्फत होगी और आढ़तियों को 68 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कमीशन मिलेगा जबकि नैफेड द्वारा खरीदी गई सरसों का कमीशन हैफेड स्वयं ले रही थी।
हैफेड सरसों की कमर्शियल खरीद करेगी या नहीं, इस पर अभी संशय बना हुआ है। नैफेड की खरीद बंद होते ही एक मई को प्रदेश में कहीं भी सरसों की सरकारी खरीद नहीं हुई। अनाज मण्डी के आढ़ती या व्यापार मंडल से जुड़े पदाधिकारी कमर्शियल खरीद शुरू होने की बात कर रहे हैं जबकि हैफेड के डीएम इस बात की पुष्टि नहीं करते। हैफेड के सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार ने मौसम का हवाला देकर पत्र जारी किया है कि आगामी आदेशों तक सरसों की खरीद न की जाए। हैफेड के जिला प्रबंधक राजेश हुड्डा ने इस बात की तो पुष्टि की है कि नैफेड की सरकारी खरीद बंद हो गई है। आगे सरसों की खरीद होगी या नहीं, इस बारे उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि अभी कोई आदेश नहीं मिले हैं।
बता दें कि सरसों की खरीद बंद कर देने से क्षुब्ध किसानों ने सोमवार को भट्टू में अनाज मंडी के सभी गेटों पर ताला जड़ दिया और धरना देकर बैठ गए। किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और हंगामा किया। किसानों के प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता प्रहलाद सिंह गिल्लांखेड़ा भी पहुंच गए और किसानों के समर्थन में धरने पर बैठ गए। किसानों ने कहा कि एक-एक दाना खरीदने की बात कहने वाली सरकार के फैसले के कारण उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। सरसों बिक नहीं रही, मौसम खराब है और कई किसान किराये की ट्रालियां लेकर मंडी में दो-दो दिन से बैठे हैं।
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