प्राइवेट बसों को परमिट देने में गोलमाल : ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में लेटर ऑफ इंटेंट का खेल, बिना अप्लाई मिला ऑफर लेटर

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में प्राइवेट बसों को अस्थाई परमिट जारी करने के मामले में मोटा खेल चल रहा है। विभाग की ओर से उन ट्रांसपोर्टरों को भी लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए जा चुके हैं, जिन्होंने इसके लिए समय पर अप्लाई ही नहीं किया था। परमिटों के इस खेल में जिला स्तर से लेकर मुख्यालय तक के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। जांच होने की स्थिति में घूसखोरी का बड़ा मामला उजागर हो सकता है।
विभाग की ओर से वर्ष 2016 में प्राइवेट बसों परमिट जारी किए गए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सरकार की इस स्कीम पर रोक लगा दी गई थी। इस साल नई पॉलिसी के तहत उन आवेदकों को अस्थाई परमिट जारी करने का निर्णय लिया गया था, जिन्होंने वर्ष 2016 में परमिट लिए थे। इसके लिए आवेदन करने के बाद ही विभाग की ओर से ऑफर लेटर यानि की लेटर ऑफ इंटेट जारी किए जाने थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घूसखोरी के खेल के चलते ऐसे लोगों को भी विभाग की ओर से एलओआई जारी कर दिए गए, जिन्होंने इसके लिए आवेदन ही नहीं किया था।
सूत्र बताते हैं कि रेवाड़ी आरटीए कार्यालय से लेकर चंडीगढ़ मुख्यालय तक की सेटिंग के आधार पर ऐसे लोगों को भी लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिए गए, जिन्होंने विभाग के आवेदन ही नहीं किया था। यह लेटर मेमो नंबर 2016-डेटिड 20-6-2022 के जरिए जारी किए गए। सूत्र बताते हैं कि एलओआई जारी करने के मामले में लाखों रुपए का खेल हुआ है। आवेदन का ऑफिस के डिस्पैच नंबर में कहीं कोई जिक्र नहीं होने के कारण यह बात पूरी तरह सही साबित हो रही है। अधीनस्थ कर्मचारियों ने इस मामले में टीसी तक को गुमराह करने का प्रयास किया है।
सीएम को भेजा जांच के लिए पत्र
इस मामले में एक ट्रांसपोर्टर यशवीर यादव ने सीएम को पत्र लिखकर गलत तरीके से जारी किए गए लेटर ऑफ इंटेंट को तत्काल प्रभाव से रद्द कराने की मांग की है। सीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में लाखों रुपए की घूसखोरी को अंजाम दिया गया है, जिसके चलते तथ्यों के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने सीएम से मामले की निष्पक्ष जांच कराकर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
ऐसा करने वाले जाएंगे जेल
इस तरीके से लेटर ऑफ इंटेट जारी नहीं किए जा सकते। मेरी नोटिस में यह पहली बार आया है। अगर किसी ने ऐसा किया है, तो उसे जेल जाने से कोई नहीं बचा पाएगा। मैं खुद इस मामले की जांच कराऊंगा। - मूलचंद शर्मा, परिवहन मंत्री।
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