हरियाणा में अगस्त में खोले जा सकते हैं पांचवीं तक के स्कूल, शिक्षा मंत्री ने दिए संकेत

चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ( Education Minister Kanwarpal ) ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2030 तक लागू करने का लक्ष्य रखा है परन्तु मुख्यमंत्री मनोहर लाल ( Chief Minister Manohar Lal) ने प्रदेश में इसे 2025 तक ही पूरी तरह से लागू करने की मंशा जाहिर की है। इसके अलावा, कॉलेजों में एनसीसी को इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में लागू करने के बारे में सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है और इसके क्रियान्वयन के लिए कमेटी बनाई है।
कंवरपाल सरकारी और सहायता-प्राप्त कॉलेजों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ से जुड़े विभिन्न संगठनों से बातचीत के बाद मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे। स्कूल खोलने के बारे में उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना को लेकर स्थिति नियंत्रण में है और यदि सब कुछ ठीक रहा तो पहली से पांचवीं तक के स्कूल भी अगस्त में खोले जा सकते हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बैठक में हरियाणा प्राइवेट कॉलेज (एडिड कॉलेज) नॉन टीचिंग कर्मचारी यूनियन, हरियाणा गवर्नमेंट एडिड कॉलेज प्रिंसीपल एसोसिएशन, कॉलेज टीचर एसोसिएशन, हरियाणा गवर्नमेंट कॉलेज टीचर एसोसिएशन, ऑल गवर्नमेंट कॉलेज, मिनिस्ट्रयल स्टाफ एसोसिएशन, एक्सटेंशन लेक्चरर से जुड़ी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की मांगों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि इन सबकी जायज मांगों को मान लिया गया है। कुछ मांगों में कुछ पेचीदगियां हैं उन्हें एग्जामिन करवाकर उनकी व्यावहारिकता का पता लगाया जाएगा।
कंवरपाल ने बताया कि कई एसोसिएशनों का एतराज कॉलेजों में ऑनलाइन पोर्टल के चलते दाखिलों में हो रही देरी को लेकर था। पिछले साल कोरोना के चलते कुछ देरी हो गई थी लेकिन अबकी बार इस तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल को जल्द ही परिवार पहचान पत्र से जोड़ा जाएगा ताकि विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियों समेत विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्राप्त करने में आसानी हो। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रेजुएशन के द्वितीय और तृतीय वर्ष में दाखिला प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए।
सहायता-प्राप्त कॉलेजों द्वारा अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की विश्वविद्यालय फीस से जुड़े मुद्दे पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार के नियमों का अध्ययन किया जाए। साथ ही, स्कीम में कुछ इस तरह का प्रावधान किया जाए कि यूनिवर्सिटी द्वारा कॉलेजों द्वारा अदा की गई फीस छात्रवृत्ति से काटकर कॉलेजों को दी जाए और बाकी पैसे बच्चे के खाते में जाए।
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