प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा : सालाना नौ फीसदी से ज्यादा फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे

प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा : सालाना नौ फीसदी से ज्यादा फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे
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हरियाणा स्कूल विभाग के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि राज्यपाल ने हरियाणा शिक्षा नियम, 2003 में संशोधन पर सहमति जताई है। नए नियमों के अनुसार वार्षिक फीस वृद्धि करना चाह रहे स्कूलों को यह फॉर्मूला मानना पड़ेगा। कोई भी स्कूल सीपीआई के ऊपर अधिकतम 5 प्रतिशत तक ही चार्ज कर सकता है।

हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए खुशी का समाचार है। प्रदेश सरकार ने अब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगा दी है। स्कूल एक साल में नौ फीसदी फीस ही बढ़ा सकेंगे। मान्यता प्राप्त निजी स्कूल अब अपनी मनमर्जी से फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे।

सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर फीस बढ़ोतरी को लेकर भी नियम तय कर दिए गए हैं, जिसे हर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल को मानना जरूरी है। इससे जहां स्कूलों की मनमानी पर ब्रेक लगेगा, वहीं अभिभावकों की भी जानकारी रहेगी कि बच्चे की फीस कितनी होगी। इस में कुछ मदों को वैकल्पिक रखा गया है, जिसे न चुनने वाले विद्यार्थियों की फीस कम हो सकेगी। इसी तरह हर साल बदलने वाली वर्दी को लेकर भी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। एक तरह से यह अभिभावकों व मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए बेहतर माहौल तो बनाएगा साथ ही फीस बढ़ोतरी को लेकर होने वाले विवादों में भी कमी आएगी।

मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा नए शिक्षा सत्र पर हर साल फीस बढ़ोतरी और एडमिशन फीस को लेकर बवाल होता था। यह विवाद कई बार तो अदालत तक भी पहुंचा, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी इसकी लंबी फेहरिस्त रही है। स्कूल यूनिफार्म हर साल बदलना, एक ही दुकान को सिलेक्ट करना सुविधाओं के नाम पर फंड लेना आदि पर विवाद होता रहा है। खासकर कोरोना काल के बाद खुले स्कूलों द्वारा फंड मांगने को लेकर विवाद किसी से छिपे नहीं है।

यूं तय होगी वार्षिक फीस


> सरकार ने नोटिफिकेशन में कहा कि फीस का एक ही हेड बनाया जाएगा, जिसमें सभी फंड को शामिल किया जाएगा। इसके आधार पर ही स्कूल मासिक, द्विमासिक या फिर त्रैमासिक आधार पर फीस ले सकेंगे। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कक्षा का एनुअल चार्ज (फंड सहित) 15 हजार है और ट्यूशन फीस सालाना 36 हजार रुपये है, तो 51 हजार रुपये को महीने के अनुसार या दो महीने अथवा तीन महीने की एक साथ फीस ले सकते हैं। जो भी चार्ज (पहचान पत्र, डायरी आदि फंड) वह फीस में एक बार ही जोड़े जाएंगे।

> रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा जनवरी माह में महंगाई दर घोषित की जाती है। जो महंगाई दर होगी उसके आधार पर या फिर इस में अधिकतम पांच प्रतिशत जोड़कर ही फीस को बढ़ाया जा सकेगा

> एक साथ तीन माह की फीस से ज्यादा किसी भी बच्चे से नहीं ली जा सकेगी

> नए शिक्षा सत्र में फीस कितनी बढ़ाई जा रही है, इसकी जानकारी फार्म 6 में अब एक फरवरी तक दी जा सकेगी, जो पहले 31 दिसंबर तक थी

> कोई भी निजी स्कूल एक बार जो यूनिफार्म को लागू करता है, उसे पांच साल तक नहीं बदल सकेगा।

नकद नहीं ली जा सकेगी फीस

एक ओर जहां स्कूलों को फीस वृद्धि आदि को लेकर फार्म छह में सारी जानकारी सरकार को देनी होगी, वहीं फीस भी डिजिटल माध्यम से ही ली जाएगी। इसके लिए स्कूल संचालक अब डिमांड ड्राफ्ट, चेक, आरटीजीएस, एनइएफटी अथवा अन्य किसी डिजिटल मोड से फीस दे सकेंगे। फीस का रिकार्ड आनलाइन भी चेक किया जा सकेगा।

यहां बनी असमंजस

एडमिशन फीस को लेकर असमंजस की स्थिति है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि नए एडमिशन पर यह फीस ली जाएगी। लेकिन इसके साथ यह भी कहा गया है कि इसे कक्षा एक, छह, नौ और ग्यारह में भी लिया जा सकता है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि यह क्लास स्पष्ट नहीं है। इस में जब बच्चा एक स्कूल में एडमिशन ले चुका है, तो आगामी कक्षा छह, नौ और ग्यारह में क्यों उससे ली जाए। यह हो सकता है कि यदि वह नए स्कूल में जाता है, तो यह एडमिशन फीस ली जाए। इस मामले में स्कूलों में असमंजस की स्थिति है।

सिक्योरिटी रिफंडेबल

स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों से ली जाने वाली सिक्योरिटी राशि रिफंडेबल होगी। खास है कि फीस कैलकुलेट करते समय इस सिक्योरिटी राशि को नहीं जोड़ा जा सकेगा। शर्त है कि जब विद्यार्थी स्कूल छोड़ता है या दूसरा स्कूल चुनता है, तो ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी करने के एक माह के भीतर यह सिक्योरिटी राशि स्कूल को विद्यार्थी को जारी करनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को की जा सकती है। लेकिन देरी के दौरान क्या स्कूल मूल राशि ही वापस करेगा या फिर उस पर ब्याज लगाकर देना होगा, यह स्पष्ट नहीं है। खास है कि सिक्योरिटी राशि वार्षिक फीस का पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। शर्त है कि विद्यार्थी द्वारा सभी ड्यूड्टा क्लीयर होने चाहिएं।

यह रहेंगे वैकल्पिक खर्च

स्कूल द्वारा विद्यार्थियों के लिए कुछ सुविधाएं दी जाती हैं। यदि विद्यार्थी इन सुविधाओं को नहीं लेना चाहता, तो उसे मासिक फीस में (जो भी तय होगी) उसमें इस खर्च को शामिल नहीं किया जाएगा। इस में ट्रांसपोर्टेशन, बोडिंर्ग, मैस (खाने) की सुविधा शामिल हैं।

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