आयुर्वेद कॉलेज पटीकरा में दूसरे बैच के एडमिशन शुरू, सीटों की संख्या 100 से घटकर हुई 70

राजकुमार/नारनौल। पटीकरा स्थित राजकीय बाबा खेतानाथ आयुर्वेद कॉलेज में नए शिक्षा सत्र के दाखिले शुरू हो गए हैं। शनिवार को पहली बार दूसरे बैच के लिए तीन विद्यार्थियों ने दाखिला लिया, जिनका प्राचार्य डा. एमएस श्रीनिवास गुज्जरवार ने स्वागत किया। इस बार बीएएमएस कोर्स की महज 70 सीटें ही रह हैं, जबकि पिछले साल यहां 100 सीटें थी। सीटें घटने के पीछे कारण यहां पर रेगुलर स्टॉफ का न मिलना एवं हॉस्टल का न होना प्रमुख कारण हैं।
उल्लेखनीय कुरुक्षेत्र में आयुर्वेद का जहां विश्वविद्यालय बनाया गया है तो नारनौल के पटीकरा में प्रदेश का आयुर्वेद चिकित्सा का एकमात्र कॉलेज खोला गया है। यह कॉलेज पिछले साल ही 100 सीटों के साथ शुरू किया गया था, लेकिन नेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन इन आयुर्वेद ने इस बार बीएएमएस की सीटें घटाकर 70 कर दी हैं। फिलहाल 70 सीटों पर 85 प्रतिशत राज्य सरकार तथा 15 प्रतिशत सीटों केंद्र सरकार के अनुसार सीटें आरक्षित की गई हैं, जो क्रमश: 59 सीट राज्य तथा 11 सीटें केंद्र की बनती हैं। सीटें निर्धारण के पश्चात अब दाखिला प्रक्रिया श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र द्वारा पूरी की जा रही है। राज्य कोर्ट के अनुसार नए बैच के लिए तीन नए छात्रों ने शनिवार को पटीकरा कॉलेज में दाखिला दिया गया है, जिनका प्रिंसिपल की ओर से गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया गया।
यहां बता दें कि इस कॉलेज के लिए पहले साल यानी पिछले वर्ष 100 सीट अलॉट की गई थी। इसमें से तीन छात्र छोड़कर चले गए थे और 97 छात्र शिक्षा ले रहे हैं। फिलहाल 70 सीटें ही मिल पाई हैं। दाखिला प्रक्रिया तीन राउंड में प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसमें रजिस्ट्रेशन, पेमेंट, काउंसलिंग, च्वाइस चूज करने व सीट अलाटमेंट का काम पूरा किया जाएगा। तीन राउंड की प्रक्रिया के बाद खाली सीट पर 11 नवंबर तक दाखिला प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक डा. एमएस श्रीनिवास गुज्जरवार ने बताया कि दूसरे बैच के दाखिले शुरू कर दिए गए हैं। पहले दिन तीन विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है। पहले 100 सीटें निर्धारित थी, लेकिन इस बार 70 सीटें कर दी गई हैं। रेगुलर स्टॉफ एवं हॉस्टल जैसी अन्य बड़ी कमियां दूर नहीं होने के कारण ऐसा हुआ है। केंद्रीय कमेटी इस बार काफी सख्त थी और हमारे यहां ही नहीं, कुरुक्षेत्र एवं दिल्ली जैसे बड़े संस्थानों पर भी ऐसा ही असर पड़ा है। हमारे पास 10 टीचर हैं, वह सभी डेपुटेशन पर लगाए गए हैं। जबकि नॉर्म्स के अनुसार 14 लेक्चरर का रेगुलर स्टॉफ होना चाहिए। हमने सरकार को कई बार चिट्ठी भी लिखी और वहां से नई भर्ती के लिए मंजूरी भी मिल गई, लेकिन एचपीएससी वाले नई भर्ती नहीं कर रहे। हम सीधे किसी की भर्ती कर नहीं सकते हैं। जब कंडीशन एवं नॉर्म्स फुलफिल करने लगेंगे, तब पुन: सीटें बढ़ने की संभावना रहेगी।
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