पहले पुलिस वाले की हत्या, सजा हुई तो पैरोल लेकर बन गया सिक्योरिटी गार्ड

पहले पुलिस वाले की हत्या, सजा हुई तो पैरोल लेकर बन गया सिक्योरिटी गार्ड
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हरियाणा राज्य के जिला सोनीपत के गाँव बरौदा निवासी रणदीप ने 37 साल पहले हरियाणा पुुलिस के एएसआई की गोली मारकर हत्या कर दी। कोर्ट ने दोषी काे उम्र कैद की सजा सुना दी। कैदी ने पैरोल ली और बाहर आकर भाग गया। पुुलिस से बचने के लिए वह जगह जगह फैक्ट्रियों में सिक्योरिटी गार्ड बनकर नौकरी करता रहा।

हरियाणा राज्य के जिला सोनीपत के गाँव बरौदा निवासी रणदीप ने 37 साल पहले हरियाणा पुुलिस के एएसआई की गोली मारकर हत्या कर दी। कोर्ट ने दोषी काे उम्र कैद की सजा सुना दी। कैदी ने पैरोल ली और बाहर आकर भाग गया। पुुलिस से बचने के लिए वह जगह जगह फैक्ट्रियों में सिक्योरिटी गार्ड बनकर नौकरी करता रहा। वह 26 साल तक अलग अलग जगह नौकरी कर पुलिस को चकमा देता रहा। अब बदमाश एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। बदमाश पर पुलिस की तरफ से 25 हजार का ईनाम है।

मामले के अनुसार, एसटीएफ के निरीक्षक संदीप धनखड़ की टीम को सूचना मिली थी कि ईनामी बदमाश रणदीप उर्फ पप्पू निवासी गांव बरौदा जिला सोनीपत एरिया में घूम रहा है। उनकी टीम ने छापेमारी कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित से पूछताछ शुरू हुई तो पता चला कि वह गुजरात में गैंग बनाकर कई वारदातों को अंजाम दे चुका है और 25 हजार का ईनामी बदमाश है। पूछताछ में बताया कि 1983 में थाना इसराना जिला पानीपत में दर्ज हत्या के मामले में उसे उम्र कैद हुई थी। वह सन् 1994 में अंबाला जेल से पैरोल पर आया था। इसके बाद वह फरार हो गया। उसे कोर्ट ने फरार आरोपित घोषित किया था।

एएसआई हरिसिंह की गोली मारकर की थी हत्या-

पुलिस के मुताबिक 15 मार्च 1983 में आरोपित ने अपने साथी के साथ मिलकर राजकोट अहमदाबाद गुजरात से लूटी हुई एंबेसडर गाड़ी में गोहाना रोड पानीपत से हरियाणा पुलिस के दो कर्मचारियों को लिफ्ट देकर उनके साथ लूटपाट की। इस दौरान एएसआई हरि सिंह निवासी आसन रोहतक की गोली मारकर हत्या की।

इन मामलों में रहा संलिप्त-

1. सन् 1980 में अपने साथियों के साथ मिलकर पानीपत चुंगी के पास लूटपाट की। 2. सन् 1982 में जीआरपी थाना पानीपत में अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार हुआ था। 3. सन् 1983 में अपने साथी के साथ मिलकर राजकोट गुजरात से एक एंबेसडर कार लूटी। 4. 23 मई 1983 में आरोपित ने अपने साथियों के साथ मिलकर गुजरात में बैंक लूटने की योजना बनाई, जिसमें आरोपित पकड़ा गया। 5. सन् 1986 में अपने साथी के साथ मिलकर जेल कस्टडी से भागने का प्लान बनाया, जिसमें आरोपित पकड़ा गया और आरोपित के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 6. सन 1991 में अपने साथी के साथ मिलकर जेल में बंद कैदियों के साथ मारपीट की, जिसमें आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

टीम में यह रहे शामिल-

पुलिस टीम में इंस्पेक्टर संंदीप धनखड़ के अलावा, एएसआई हितेंद्र, हवलदार जितेंद्र, सिपही संदीप कुमार, सिपाही सचिन, चालक सिपाही संदीप शामिल रहे।

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