Haryana Cm की सुरक्षा में चूक : DGP मनोज यादव से विधानसभा स्पीकर भी नाराज, विशेषाधिकार कमेटी के पास भेजा मामला

Haryana Cm की सुरक्षा में चूक : DGP मनोज यादव से विधानसभा स्पीकर भी नाराज, विशेषाधिकार कमेटी के पास भेजा मामला
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विधानसभा कमेटी के बुलावे पर डीजीपी को विधानसभा हरियाणा परिसर में कमेटी के सामने पेश होना होगा।

चंडीगढ़। हरियाणा डीजीपी मनोज यादव की कार्यशैली को लेकर गृहमंत्री अनिल विज के बाद में हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी नाराज हो गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल की सुरक्षा में चूक मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखाने और दो बार जांच में लीपापोती कर रिपोर्ट पेश करने के बाद नाराज हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने मामला विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी के पास में भेजा है।

उक्त मामले में अब डीजीपी को इस कमेटी के सामने पेश होना होगा साथ ही उन्हें पेशी से किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगी। विधानसभा स्पीकर गुप्ता ने डीजीपी और उनकी टीम के गैर जिम्मेदाराना मानते हुए केस विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी के पास सीएम की सुरक्षा में चूक व जांच में लीपापोती करने का मामला रेफर कर दिया है। विधानसभा कमेटी के बुलावे पर डीजीपी को विधानसभा हरियाणा परिसर में कमेटी के सामने पेश होना होगा।

अनिल विज डीजीपी को अयोग्य बता चुके

राज्य में डीजीपी हरियाणा मनोज यादव का दो साल का कार्यकाल पूरा हो चुका और आने वाले अगले सप्ताह में उनका जाना भी लगभग तय है। अब स्पीकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके पहले गृहमंत्री अनिल विज डीजीपी को अयोग्य बता चुके हैं। डीजीपी के जाने के बाद विशेषाधिकार कमेटी उन्हें विधानसभा में विधिवत नियमों के अनुसार तलब करेगी? स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता का कहना है कि पूरा का पूरा मामला वर्तमान डीजीपी मनोज यादव के कार्यकाल में हुआ है, इसीलिए उन्हें ही तलब किया जाएगा। डीजीपी अगर बुलावे व सूचना के बाद में हाजिर नहीं होते, तो कार्रवाई होगी। वैसे, उनका कोई प्रतिनिधि अफसर विशेषाधिकार कमेटी के समक्ष पेश होकर अपनी बात रख सकेगा।

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव प्रदेश से जाने से पहले विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के निशाने पर हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सुरक्षा में चूक पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ वाजिब कार्रवाई नहीं करने से नाराज विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता ने पुलिस महानिदेशक का केस विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी को भेजकर उनके लिए नया सिरदर्द खड़ा कर दिया है, क्योंकि गृहमंत्री पहले से ही उनकी कार्यशैली को लेकर नाराज हैं। उक्त कमेटी में विधायक हिसार और कमल गुप्ता अद्यक्ष व अन्य कईं विधायक विशेषाधिकार कमेटी सदस्य हैं। विशेषाधिकार कमेटी के बुलावे पर अब पुलिस महानिदेशक को विधानसभा में हाजिर होकर मुख्यमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक पर अपना जवाब देना होगा।

यह था पूरा मामला

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सुरक्षा में उस वक्त चूक हुई थी, जब किसान संगठनों का आंदोलन खूब चल रहा था। बजट सत्र के अंतिम दिन जब मुख्यमंत्री विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेकर बाहर आए और गेट पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उसी वक्त अकाली विधायकों ने उन्हें घेरने और हमला करने की कोशिश की थी। उक्त पूरे मामले में स्पीकर ने जांच बैठा दी थी। यहां पर उल्लेखनीय है कि हरियाणा और पंजाब विधानसभा एक ही परिसर में स्थित हैं। इसमें 7 ऐसे प्रवेश द्वार कामन एंट्री वाले हैं, जिनके जरिये हरियाणा और पंजाब विधानसभा में दाखिल हुआ जा सकता है। विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक मानते हुए पुलिस महानिदेशक मनोज यादव से रिपोर्ट मांगी थी। हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ आइजी स्तर के तीन अधिकारियों की एक कमेटी गठित की थी। आने वाले वक्त के लिए चूक नहीं होने देने के लिए सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही इस बार विधानसभा के मानसून सत्र में सिक्योरिटी प्लान बनाया जा रहा है। एक दिन पहले ही मंत्रीमंडल की बैठक में विधानसभा का मानसून सत्र 20 अगस्त से बुलाने का फैसला लिया गया है।

सीएम की सुरक्षा चूक मामले में डीजीपी ने पेश की दो रिपोर्ट

डीजीपी ने विधानसभा स्पीकर के सामने दो अलग-अलग रिपोर्ट पेश की हैं। रिपोर्ट में उन्होंने एसपी सिक्योरिटी पंकज नैन समेत आठ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सुरक्षा में चूक का दोषी माना था। इसके विपरीत दूसरी रिपोर्ट में पंकज नैन समेत छह अधिकारियों को क्लीन चिट देने का काम कर दिया गा। जिसके स्थान पर मात्र तीन कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया। विधानसभा अध्यक्ष इस बात से भी खासे नाराज हुए हैं कि पुलिस महानिदेशक ने उनके सामने एक्शन टेकन रिपोर्ट तक दाखिल नहीं की। सीएम पर हमले का मामला बेहद ही गंभीर है और उन्हें सुरक्षित गाड़ी में पहुंचने का पूरा वाकया मात्र आठ मिनट से ज्यादा का है, जो सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गया था। उस समय सुरक्षा प्रभारी पुलिस अधिकारी मौके पर नहीं होकर विधानसभा के वीआईपी कक्ष में बैठे हुए थे। उसके बाद भी डीजीपी की रिपोर्ट में उन्हें किसी भी तरह से दोषी नहीं माना और क्लीन चिट देकर मामले में लीपापोती कर दी गई। इस तरह की जांच रिपोर्ट से बेहद नाराज स्पीकर ने उक्त पूरे मामले को अब कमेटी के सामने चलाने का फैसला कर दिया है। इस तरह से आने वाले दिनों में डीजीपी मनोज यादव चले भी गए, तो उन्हें कमेटी के सामने पेश होने आना पड़ेगा।

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