तिरंगे ने दी सुरक्षा : भारतीय झंडा देखकर रूसी सैनिकों ने छात्रों को सुरक्षित पहुंचाया रोमानिया बॉर्डर तक

हरिभूमि न्यूज : तोशाम ( भिवानी )
रूस और युक्रेन के बीच लगातार हो रही बमबारी व मिसाइल हमले के बीच इंडिया के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। वहां पढाई कर छात्रों के लिए देश का तिरंगा ढाल बन गया। युद्ध के बीच इंडिया के बच्चों को लेकर निकली मिनी बस को रूसी फौज ने चार बार चेक किया, लेकिन उस बस पर भारत का तिरंगा झंडा लगा होने की वजह से रूसी सेना ने उनको जाने की अनुमति दे दी। अनुमति ही नहीं, बल्कि रूसी सेना उस मिनी बस को रोमानिया के बार्डर तक पहुंचाया।
यह दावा यूक्रेन के लवीव शहर स्थित यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने वाले तोशाम निवासी चिराग मेहता ने अपने परिजनों से बातचीत करते हुए किया। चिराग मेहता ने बताया कि उन्होंने लवीव शहर से एक मिनी बस किराए ली। उसके बाद वे शहर से निकलने के बाद आगे रूस की सेना खड़ी थी। उक्त सेना ने उनकी बस की तलाशी ली और इंडिया का झंडा लगा होने की वजह से उनको आगे जाने दिया। उसके बाद उनकी बस की तीन बार सेना ने तलाशी ली। बस में सभी इंडियन होने की वजह से उनकी बस को रोमानिया बॉर्डर तक छोड़कर आई।
खाने-पीने की कोई समस्या नहीं : विक्की मेहता
तोशाम निवासी विक्की मेहता ने बताया कि उसक बेटा यूक्रेन के शहर लवीव विश्वविद्यालय में एमबीबीएस कर रहा था। वह दो दिन पहले लवीव शहर से रोमानिया बार्डर के लिए मिनी बस से चले थे। 480 किलोमीटर का सफर तक करके उनका बेटा रोमानियों बार्डर पर पहुंचा। इससे पहले उनकी बस की चार बार चेकिंग हुई। इंडियन झंडा लगा होने की वजह से उनकी बस को बेरोकटोक रोमानियों बार्डर तक आने दिया। अब वहां पर पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद केंद्रीय मंत्री वहां पर पहुंच गए हैं। सभी बच्चों को वहां पर कोई भी खाने व पीने की समस्या नहीं है। वे शीघ्र ही पीएम द्वारा भेजे गए हवाई जहाज से स्वदेश लौट आएंगे।
खारकीव से निकलकर पौलेंड पहुंचा पंकज
यूक्रेन खारकीव में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गए हुए पिंजोखरा निवासी छात्र पंकज खारकीव से निकल कर पौलेंड बार्डर पर पहुंच गया है जिसके बाद परिजनों ने राहत की सांस ली है। छात्र ने परिजनों को बताया कि युद्ध के बाद से 1 मार्च तक उन्होंने बंकरो में छिपकर जान बचाई। छात्र पंकज के चाचा डा जयबीर बुरा व पिता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि उसका भतीजा पंकज यूक्रेन के शहर खारकीव की यूएन काराजीना यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस करने गया हुआ है और वह एमबीबीएस चौथे वर्ष का छात्र है। मंगलवार को खारकीव से 33 बच्चों के साथ रेल में बैठकर लवीव शहर तक आए और बाद में बस में बैठाकर पौलेंड बार्डर पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि युद्व के दौरान वे खारकीव के बैंकरों में रह रहे थे और मंगलवार को ही वहां से निकले है। पंकज ने परिजनों को बताया कि खारकीव में रहते हुए सभी छात्र सहमें हुए थे और बार बार हो रहे धमाकों से डर गए थे।
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