स्वाभिमान ने मेहनती किसान को बना दिया शौकीन

स्वाभिमान ने मेहनती किसान को बना दिया शौकीन
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केंद्रीय मंत्री ने किसानों के स्टेटस को लेकर टिप्पणी की तो भावनाओं की रौ में बह गए इस किसान ने अपनी ट्रॉली को सुख-सुविधाओं लैस करने पर लाखों रुपए खर्च दिए।

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़

इस आधुनिक दौर में जहां लोगों को सुपर बाइक और कारों का शौक होता है। वहीं हरियाणा के रतिया इलाके में रहने वाले किसान को सुविधाओं से लैस ट्रॉली बनाने का अनूठा शौक लगा है। दिन-रात कड़ी मेहनत से खेत में मिट्टी के साथ मशगूल रहने वाले किसान को यह शौक केंद्र सरकार के एक मंत्री के अहंकारी बयान से लगा। केंद्रीय मंत्री ने किसानों के स्टेटस को लेकर टिप्पणी की तो भावनाओं की रौ में बह गए इस किसान ने अपनी ट्रॉली को सुख-सुविधाओं लैस करने पर लाखों रुपए खर्च दिए।

कहने के लिए बेशक भारत एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन देश में कृषि एवं कृषकों की कोई प्रधानता नहीं है। यह महज एक भावनात्मक जुमला है, जो वोटों के वक्त अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जाता है। देश में जो कृषि नीतियां बनाई या चलाई जा रही हैं, इनमें व्यवहारिकता का अभाव है। सरकार की योजनाएं एवं कृषि नीतियां जमीनी स्तर पर फुस्स हो रही हैं। कृषि से जुड़ी योजनाओं में देश का पूंजीपति बहुत बड़ी सेंध लगा रहा है।

भारत सरकार द्वारा बनाए गए दो नए कृषि कानूनों तथा तीसरे कानून में संशोधन से असहमत लाखों किसान पिछले 29 दिन से दिल्ली के दरवाजे पर कड़ाके की ठंड में आंदोलन चला रहे हैं। लेकिन उनके पक्ष की गंभीरता को समझने की बजाय एक केंद्रीय मंत्री ने आंदोलनकारी किसानों की हैसियत को लेकर सवाल उठाए तो हरियाणा के फतेहाबाद जिले के किसान को यह बेहद नागवार गुजरा। स्वाभिमानी रवींद्र का कहना है कि किसानों की औकात पर सवाल उठाने से पहले नेताओं को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।

रतिया के गांव लांबा निवासी रवींद्र सिंह आंदोलन की शुरूआत में ही बहादुरगढ़ आ डटे थे। लेकिन केंद्रीय मंत्री के बयान से आहत रवींद्र गांव लौट गए और अपनी ट्रॉली को मॉडिफाई करवाने में जुट गए। पूरा लोहे का ढांचा बनाकर उसमे स्वीडन की कंपनी का सामान लगवाया। रवींद्र की ट्रॉली में 55 इंच की एलईडी, तापमान नियंत्रित करने के लिए हीटर, हवा देने के लिए पंखे, शाही लुक देने के लिए झूमर व डिजाइनर लाइट्स, कपड़े प्रेस करने की इस्त्री, बाल सुखाने का हेयर डे्रसर, लेटने के लिए आरामदायक गद्दे व तकीये आदि मौजूद हैं। पच्चीस एकड़ की खेती करने वाले रवींद्र मंे जुनून की कोई कमी नहीं है। रवींद्र अपने साथ दो जनरेटर भी ले आया, एक पेट्रोल से चलता है, दूसरा डीजल से। इसके अलावा विदेशी टूल किट, साउंड सिस्टम और वॉशिंग मशीन भी ले आया। ट्रॉली में गैस गीजर भी लगा है, पानी की टंकी भी रखी है और साथ ही अटैच बाथरूम भी है। इतना ही नहीं रवींद्र दो दिन पहले 28 हजार रुपए का लग्जरी झूला भी खरीद लाया।

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